Maruti Stotra: शास्त्रों में वर्णन आता है कि जहां कहीं भी राम नाम का जप होता है, वहां पर हनुमानजी उपस्थित रहते हैं। यही कारण है कि कलियुग में भी वह धरती पर रुके हुए हैं, जबकि बाकी सभी देवता धरती को छोड़ कर स्वर्ग जा चुके हैं। ऐसे में यदि हम अपनी सभी समस्याओं के समाधान के लिए केवल मात्र हनुमानजी की ही शरण ले लें तो सारे कष्ट दूर हो सकते हैं। ज्योतिषी एम. एस. लालपुरिया के अनुसार हनुमानजी के कई उपाय तुरंत असर दिखाते हैं। ऐसा ही एक उपाय यहां दिया जा रहा है।
मारुति स्तोत्र भी बजरंग बली की ही एक स्तुति है। इसमें संस्कृत भाषा में रामभक्त मारूतिनंदन की महिमा गाई गई है। इस स्तोत्र में कई छोटे-छोटे मंत्र भी पिरोए गए हैं जो आपदाकाल में भक्तों की रक्षा करते हैं। अतः यदि इस स्तोत्र का प्रतिदिन नियमपूर्वक जप किया जाए तो व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं।
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ऐसे करें मारुति स्तोत्र का अनुष्ठान (Maruti Stotra Anushthan)
सुबह जल्दी उठ कर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर किसी मंदिर में जाकर सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करें। इसके बाद राम दरबार और शिव पंचायत की पूजा करें। अब हनुमानजी की पूजा करें। चमेली के तेल की दीपक जलाएं और मारुति स्तोत्र का 21 बार पाठ करें। पाठ करने के बाद हनुमानजी से अपनी आपदा हरने की प्रार्थना करें। इस प्रकार रोजाना उपाय करने से कुछ ही दिनों में आप का कष्ट दूर हो जाएगा। मारुति स्तोत्र निम्न प्रकार है
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय वायु सुताय अञ्जनी गर्भ सम्भुताय अखण्ड ब्रह्मचर्य व्रत पालन तत्पराय धवली कृत जगत् त्रितयाया ज्वलदग्नि सूर्यकोटी समप्रभाय प्रकट पराक्रमाय आक्रान्त दिग् मण्डलाय यशोवितानाय यशोऽलंकृताय शोभिताननाय महा सामर्थ्याय महा तेज पुञ्ज:विराजमानाय श्रीराम भक्ति तत्पराय श्रिराम लक्ष्मणानन्द कारकाय कपिसैन्य प्राकाराय सुग्रीव सौख्य कारणाय सुग्रीव साहाय्य कारणाय ब्रह्मास्त्र ब्रह्म शक्ति ग्रसनाय लक्ष्मण शक्ति भेद निबारणाय शल्य लिशल्यौषधि समानयनाय बालोदित भानु मण्डल ग्रसनाय अक्षयकुमार छेदनाय वन रक्षाकर समूह विभञ्जनाय द्रोण पर्वतोत्पाटनाय स्वामि वचन सम्पादितार्जुन संयुग संग्रामाय गम्भिर शव्दोदयाय दक्षिणाशा मार्तण्डाय मेरूपर्वत पीठिकार्चनाय दावानल कालाग्नी रूद्राय समुद्र लङ्घनाय सीताऽऽश्वासनाय सीता रक्षकाय राक्षसी सङ्घ विदारणाय अशोकबन विदारणाय लङ्कापुरी दहनाय दश ग्रीव शिर:कृन्त्तकाय कुम्भकर्णादि वधकारणाय बालि निबर्हण कारणाय मेघनादहोम विध्वंसनाय इन्द्रजीत वध कारणाय सर्व शास्त्र पारङ्गताय सर्व ग्रह विनाशकाय सर्व ज्वर हराय सर्व भय निवारणाय सर्व कष्ट निवारणाय सर्वापत्ती निवारणाय सर्व दुष्टादि निबर्हणाय सर्व शत्रुच्छेदनाय भूत प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी ध्वंसकाय सर्वकार्य साधकाय प्राणीमात्र रक्षकाय रामदुताय स्वाहा॥
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इन नियमों का रखें ध्यान
जब भी आप किसी भी दैवीय शक्ति का आह्वान करें तो सबसे पहले खुद के आचरण को सुधारें। पूरी तरह से सात्विक जीवन जिएं, मांस, मदिरा, परस्त्री के साथ मैथुन, कुसंग आदि से दूरी बना लें। कभी किसी का अहित न करें और यथासंभव दूसरों की सहायता करें। इस प्रकार उपाय करते रहने से आपको दैवीय शक्ति का आशीर्वाद मिलने लगता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।