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पेजेशकियान राज में क्या बदलेगी ईरान की विदेश नीति? भारत के साथ संबंधों पर कैसा पड़ेगा असर

Who Is Masoud Pezeshkian : इस साल में कई देशों में चुनाव हो रहे हैं। भारत और ब्रिटेन के बाद ईरान में भी राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम घोषित हुआ, जिसमें मसूद पेजेशकियान नए राष्ट्रपति चुने गए। आइए जानते हैं कि पेजेशकियान के राष्ट्रपति बनने पर ईरान-भारत के संबंध पर क्या पड़ेगा असर?

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jul 6, 2024 19:46
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Masoud Pezeshkian
मसूद पेजेशकियान बने ईरान के नए राष्ट्रपति।

Iran New President Masoud Pezeshkian : ईरान को नया राष्ट्रपति मिल गया। 69 वर्षीय मसूद पेजेशकियान ईरान के अगले राष्ट्रपति बन गए। ईरान के गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। मसूद पेजेशकियान ने राष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी सईद जलीली को भारी मतों से हराया। आइए जानते हैं कि पेजेशकियान के राष्ट्रपति बनने से ईरान और भारत के रिश्ते पर क्या पड़ेगा असर?

युद्ध क्षेत्र में अपनी सेवा दे चुके हैं पेजेशकियान

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उत्तर-पश्चिमी ईरान के महाबाद में मसूद पेजेशकियान का जन्म 29 सितंबर 1954 को हुआ था। उनके पिता जातीय रूप से अजेरी थे, जबकि मां कुर्दिश थीं। ऐसे में उनकी अजेरी भाषा में अच्छी पकड़ है। ईरान और इराक जंग के दौरान पेजेशकियान ने युद्ध के मैदान में अपनी सेवा दी थी। वे चिकित्सा टीम में शामिल थे। पेशे से हार्ट सर्जन पेजेशकियान तबरीज यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। साल 1994 में एक हादसे में उनकी पत्नी फतेमेह मजीदी और एक बेटी की जान चली गई थी। इसके बाद उन्होंने शादी नहीं की। उन्होंने हादसे में बचे दो बेटों और एक बेटी का अकेले ही पालन पोषण किया।

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जानें पेजेशकियान ने राजनीति में कैसे मारी एंट्री

मसूद पेजेशकियन ने ईरान के बतौर डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर के रूप में राजनीति में एंट्री मारी थी। बाद में वे राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी के शासन में हेल्थ मिनिस्टर बने। उन्होंने 2001 से 2005 तक खातमी के दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्यभाल संभाला था। 2006 में पेजेशकियन ने तबरीज से चुनाव जीता। इसके बाद वे संसद के डिप्टी स्पीकर बने।

2011-2021 में भी राष्ट्रपति पद के लिए भरा था पर्चा

पेजेशकियान ने पहली बार 2011 में राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद उन्होंने 2021 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, लेकिन गार्डियन काउंसिल ने उनके नामांकन को रद्द कर दिया था। इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में हुई मौत के बाद पेजेशकियान ने राष्ट्रपति बनने का दावा किया और उन्होंने जीत हासिल कर ली।

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कैसा भारत-ईरान के संबंध पर पड़ेगा असर?

इब्राहिम रईसी के राज में भारत-ईरान के बीच अच्छे संबंध थे। दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह पर समझौता हुआ था। पेजेशकियान के नए राष्ट्रपति बनने पर ईरान ने भारत को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया। दिल्ली में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने कहा कि विदेश और आंतरिक नीति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। ईरान की आतंरिक और बाहरी शक्ति को मजबूत बनाने पर और फोकस किया जाएगा। उदारवादी और सुधारवादी नेता पेजेशकियान पश्चिमी देशों से संबंध बढ़ाने के सपोर्ट में हैं। ऐसे में ईरान और भारत एक-दूसरे के और करीब आ सकते हैं।

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Edited By

Deepak Pandey

First published on: Jul 06, 2024 07:31 PM

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