‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक और नई लड़ाई छेड़ दी है। जिसके तहत भारत ने दुनिया के कई देशों में कोऑर्डिनेटर डिप्लोमैटिक कैंपेन शुरू किया है। इस अभियान के जरिए भारत आतंकवाद को फंड करने वाले और उसका समर्थन करने वाले पाकिस्तान की भूमिका को उजागर कर रहा है। इस अभियान के तहत भारत वेरिफाइड सबूतों की एक डिटेल डोजियर तैयार कर रहा है जिसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को सबमिट किया जाएगा। इस डोजियर के आधार पर भारत की तरफ से ग्लोबल मॉनिटरिंग बॉडी से पाकिस्तान को उनकी ग्रे लिस्ट में फिर से शामिल करने के लिए आग्रह करने वाला है।
क्या है FATF?
FATF यह एक इंटरनेशनल बॉडी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी संगठनों की फंडिंग को रोकने का काम करती है। इसकी स्थापना 1989 में G7 द्वारा की गई थी। FATF का उद्देश्य फाइनेंशियल क्राइम से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को स्थापित करना, उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना और उसके काम को बढ़ाना है।
क्या होगा भारत के डोजियर में?
भारत की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ ये कदम काफी सोच-समझकर उठाया गया है। दरअसल, FATF ने अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट से बाहर किया था। इसके बाद भी पाकिस्तान आतंक की फंडिंग पर अंकुश लगाने की अपनी कमिटमेंट को पूरा करने में फेल रहा। FATF की होने वाली बैठक में भारत जो डोजियर पेश करने वाला है, उसमें भारत को निशाना बनाने वाले आतंकी समूहों की वित्तीय रिकॉर्ड, खुफिया रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय इनपुट शामिल हैं, जो साबित करते हैं कि पाकिस्तान इन आतंकी समूहों को लगातार समर्थन दे रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि सबूतों से यह पता चलता है कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों के लिए उन्हें डायरेक्ट फंडिंग से लेकर सैन्य सहायता तक समर्थन दे रहा है और इसके कई उदाहरण सामने आए हैं।
पाकिस्तान का रक्षा बजट
भारत के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय बजट का करीब 18 प्रतिशत रक्षा पर खर्च करता है। किसी भी संघर्ष प्रभावित देश के लिए वैश्विक औसत के हिसाब से यह बजट काफी ज्यादा है। आमतौर पर ऐसे देशों का रक्षा बजट 10-14 प्रतिशत के बीच होता है। भारत का तर्क है कि आर्थिक संकट के समय इतना भारी सैन्य खर्च देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाता है। ये चीज पाकिस्तान के शांतिपूर्ण इरादे के दावों को कमजोर करती है।
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पाकिस्तान का लोन लेवल
इसके अलावा मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर्स में दिखाया गया है कि पाकिस्तान का लोन लेवल लगातार बढ़ रहा है। इसके बाद भी पाकिस्तान का रक्षा बजट बढ़ता जा रहा है। इस पर भारत का तर्क है कि पाकिस्तान डोमेस्टिक टैक्स रेवेन्यू से नहीं बल्कि बाहरी उधारी से अपना रक्षा बजट बढ़ा रहा है। इससे फाइनेंस मिसमैनेजमेंट और फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी बढ़ रही है। इसके बाद भी आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दे रही हैं। भारत पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए भी आग्रह कर रहा है।