France Violence: फ्रांस में 17 साल के लड़के की मौत को लेकर हिंसा तीसरे दिन जारी है। प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों, दुकानों, स्कूलों को आग लगा दी है। हिंसा को रोकने के लिए 40 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। अब तक 875 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। शुक्रवार को फ्रांसीसी प्रधान मंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने कहा कि सरकार इमरजेंसी लगाने समेत अन्य सभी विकल्पों पर विचार कर रही है।
दरअसल, विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने के लिए इमरजेंसी लगाए जाने की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को पत्रकारों ने पूछा कि क्या इमरजेंसी की स्थिति संभव है? बोर्न ने जवाब देते हुए कहा कि मैं आपको अभी नहीं बताऊंगी, लेकिन देश में कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए हम एक प्राथमिकता के साथ सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
राष्ट्रपति मैक्रों ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
प्रधान मंत्री ने शुक्रवार को पेरिस के दक्षिण में एवरी-कौरकोरोन्स में एक पुलिस स्टेशन का दौरा किया। उधर, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। अगर इमरजेंसी का ऐलान होता है तो अधिकारियों को कर्फ्यू घोषित करने, प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने और पुलिस को संदिग्ध दंगाइयों को रोकने और घरों की तलाशी लेने में अधिक स्वतंत्रता मिल जाएगी।
2005 में भी लगी थी इमरजेंसी
2005 में भी फ्रांस में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे। उस समय की सरकार ने लगभग दो सप्ताह की झड़पों के बाद आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी। वहीं, 1950 के दशक के बाद पहली बार इमरजेंसी का इस्तेमाल फ्रांस में किया गया था।
यह है पूरा मामला
मंगलवार 27 जून को नेन्तेरे की एक सड़क पर दो पुलिस अफसरों ने एक कार को रोका। बहस के दौरान पुलिस अफसर ने पिस्टल निकाली और ड्राइवर नाहेल के सिर में गोली मार दी। ड्राइवर ने गाड़ी तेजी से दौड़ाई और कुछ दूर जाकर दुर्घटना का शिकार हो गई। इससे उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस अफसर को सस्पेंड कर दिया और उसे हिरासत में ले लिया गया। इसी घटना के विरोध में बीते तीन दिन से दंगे हो रहे हैं।
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