नई दिल्ली: श्रीलंका के बाद बांग्लादेश में भी आर्थिक संकट गहराने लगा है। शेख हसीना सरकार ने अचानक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। हसीना सरकार के इस फैसले को लेकर बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
गुस्साए प्रदर्शनकारियों को पेट्रोल-डीजल पंपों के आसपास और सड़कों पर तोड़फोड़ करते देखा गया है। प्रदर्शनकारियों ने ईंधन की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि को वापस लेने की मांग की है। उधर, बांग्लादेश सरकार ने ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराया है।
महंगाई और बढ़ने की पूरी उम्मीद
शेख हसीना सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के फैसले से महंगाई और बढ़ने की पूरी उम्मीद है। बता दें कि बांग्लादेश में महंगाई की दर पहले से 7 फीसदी से ऊपर चल रही है। अब हसीना सरकार के फैसले का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा।
बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वर्षों से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बढ़ती ऊर्जा और खाद्य कीमतों ने इसके आयात के खर्च को बढ़ा दिया है जिससे सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित वैश्विक एजेंसियों से ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
पेट्रोल की कीमत बढ़कर 108 रुपए प्रतिलीटर हुई
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार तक पेट्रोल की कीमतें 52 प्रतिशत बढ़कर 130 टका (लगभग 108 रुपये) प्रति लीटर हो गई हैं, जबकि 95-ऑक्टेन गैसोलीन 51.7 प्रतिशत बढ़कर 135 टका (लगभग 113 टका) हो गया है। देश के बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डीजल और मिट्टी के तेल में 42.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पिछले नौ महीनों से बांग्लादेश की मुद्रास्फीति दर 6 प्रतिशत से ऊपर रही है और जुलाई में 7.48% पर पहुंच गई है, इसका खामियाजा मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों को अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए भुगतना पड़ रहा है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने बताया, “हम पहले से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब जब सरकार ने ईंधन की कीमतें बढ़ा दी हैं, तो हम कैसे बचे रहेंगे?”
तेजी से घट रहा बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार
बता दें कि बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है। सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें लक्जरी सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगाना और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) सहित ईंधन आयात पर प्रतिबंध लगाना और डीजल से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करना शामिल है।
राज्य के बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्री नसरुल हामिद ने रॉयटर्स के हवाले से कहा, “नई कीमतें हर किसी को बर्दाश्त नहीं होंगी, लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था। लोगों को धैर्य रखना होगा।” उन्होंने कहा कि हसीना सरकार की ओर से संचालित बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को छह महीनों में तेल की बिक्री पर 8 बिलियन टका (85 मिलियन डॉलर) से अधिक का नुकसान हुआ है। मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक कीमतों में गिरावट के बाद कीमतों को समायोजित किया जाएगा।