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यूपी विधानसभा में कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष? अखिलेश के सामने बड़ा चैलेंज… रेस में हैं ये 3 नाम

Shivpal Yadav News: नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवपाल यादव के पक्ष में एक बात यह जाती है कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उन्होंने कोई महत्वाकांक्षा नहीं प्रदर्शित की है। अखिलेश यादव के फैसलों को जमीन पर उतारने में लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार मेहनत की है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 20, 2024 15:09
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अखिलेश यादव के सामने यूपी विधानसभा के लिए नेता प्रतिपक्ष चुनने की चुनौती है। फाइल फोटो
अखिलेश यादव के सामने यूपी विधानसभा के लिए नेता प्रतिपक्ष चुनने की चुनौती है। फाइल फोटो

Uttar Pradesh News: अखिलेश यादव के सामने इस समय एक बड़ी चुनौती है। हालांकि लोकसभा चुनाव में यूपी में रिकॉर्ड सीटें जीतने के बाद उनके हौसले बुलंद हैं। लेकिन उनके सामने यूपी की राजनीति से जुड़ा एक बड़ा सवाल है। इस सवाल का जवाब अखिलेश यादव को जल्द से जल्द तलाशना है। दरअसल 29 जुलाई से यूपी विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में अखिलेश यादव को विधानसभा में सपा का नेता कौन होगा? उसी की तलाश करनी है। सवाल यह है कि क्या अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव पर भरोसा जताएंगे? या फिर किसी और नेता को जिम्मेदारी देंगे। यूपी विधानसभा में सपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष कौन हो सकता है। इसके लिए तीन नाम चर्चाओं में हैं : एक नाम तो चाचा शिवपाल यादव का ही है, दूसरा नाम दलित नेता इंद्रजीत सरोज का है और तीसरा नाम विधायक रामअचल राजभर का है। देखना ये है कि अखिलेश यादव किस पर भरोसा जताते हैं। इसी पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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शिवपाल यादव

अखिलेश यादव के अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ रिश्ते, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ही सुधरे हैं। ऐसा देखने में लगता है। हालांकि लोकसभा चुनावों के बाद से शिवपाल यादव बहुत सक्रिय नहीं हैं। अखिलेश यादव अब दिल्ली की राजनीति कर रहे हैं और करहल सीट खाली कर चुके हैं। सपा के वरिष्ठ विधायकों में से एक अवधेश प्रसाद भी सांसद बन चुके हैं। ऐसे में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवपाल यादव की दावेदारी बहुत मजबूत है। लेकिन 2017 के बाद अक्टूबर 2022 के दरम्यान की राजनीति में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के रिश्ते सामान्य नहीं थे। इसी दौरान शिवपाल यादव, बीजेपी के करीब भी जाते दिखे। अलग पार्टी बनाई और फिर सपा के साथ चुनाव भी लड़े। विधानसभा में अक्सर सीएम योगी शिवपाल यादव के साथ दोहरे व्यवहार का जिक्र करते रहे हैं। साथ ही योगी सरकार की ओर से उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा भी मिली हुई है। लेकिन सवाल वही है कि क्या अखिलेश यादव के मन में इतना भरोसा बन पाया है कि वह चाचा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बिठा दें।

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हालांकि शिवपाल यादव के पक्ष में एक बात यह जाती है कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उन्होंने कोई महत्वाकांक्षा नहीं प्रदर्शित की है। अखिलेश यादव के फैसलों को जमीन पर उतारने में लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार मेहनत की है। अखिलेश यादव ने पहले अपने चाचा को बदायूं से लोकसभा का टिकट दिया। लेकिन बाद में उनके बेटे आदित्य यादव बदायूं से चुनाव लड़े और जीते। उसके बाद शिवपाल यादव शांत हैं। अगर शिवपाल यादव, नेता प्रतिपक्ष बनते हैं तो पार्टी में उनका कद बढ़ेगा। उनके समर्थकों को नया जीवन मिलेगा और शिवपाल अपनी राजनीति मजबूत कर पाएंगे। लेकिन इससे पार्टी में दो गुट बन सकते हैं। हितों का टकराव हो सकता है। और तो और शिवपाल यादव को अखिलेश के निर्देशों का भी पालन करना पड़ेगा। यही वह पेंच जहां दोनों नेता उलझते दिखते हैं। अखिलेश यादव यही चाहेंगे कि नेता प्रतिपक्ष उनके निर्देशों का पालन करने वाला हो।

इंद्रजीत सरोज

शिवपाल यादव के बाद चर्चा में शामिल दूसरा नाम इंद्रजीत सरोज का है। इंद्रजीत सरोज पांच बार के विधायक हैं और कौशांबी की मंझनपुर सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। इंद्रजीत सरोज मायावती सरकार में समाज कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं। इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

रामअचल राजभर

नेता प्रतिपक्ष की रेस में तीसरा नाम पिछड़ा वर्ग के विधायक रामअचल राजभर का है। रामअचल राजभर 6 बार के विधायक हैं। बसपा सरकार में 2007 से 2012 तक परिवहन मंत्री रह चुके हैं। पीडीए की राजनीति कर रहे अखिलेश यादव के पास बेहतर विकल्प हैं। देखना होगा कि वे किस पर भरोसा जताते हैं।

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News24 हिंदी

First published on: Jul 20, 2024 03:09 PM

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