Towel Became Power Symbol : आपने राजनीति में अक्सर कुर्सी की लड़ाई के बारे में सुना होगा, लेकिन अब कुर्सी पर लगे तौलिए के लिए खींचतान जारी है। देश के सबसे बड़े राजनीतिक सूबे में तौलिए पर सियासी घमासान मचा हुआ है। सांसदों-विधायकों और अधिकारियों की हाईफाई प्रोफाइल के लिए तौलिया एक सिंबल बन गया है। जिस आदमी की कुर्सी पर तौलिए लगे हैं वो उतना ही बड़ा आदमी है। आइए जानते हैं कि क्या पूरा मामला?
तौलिए वाली कुर्सी का मुद्दा उत्तर प्रदेश का है। यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस महीने एक मीटिंग की, जिसमें अधिकारियों को प्रशासनिक प्रोटोकॉल के बारे में बताया गया। इस बैठक में कहा गया है कि जनता द्वारा चुने गए सांसद और विधायक अफसरों से ऊपर हैं। प्रोटोकॉल के तहत उनका सम्मान करना जरूरी है। मुख्य सचिव सिर्फ यही समझाने की कोशिश कर रहे थे कि मीटिंग में प्रतिनिधियों को तौलिए वाली कुर्सी दी जाए। वो भी उनके प्रोफाइल के अनुसार हो।
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विधायकों ने स्पीकर से की थी शिकायत
पिछले दिनों कुछ विधायकों ने यूपी विधानसभा के स्पीकर सतीश महाना के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं करने का मुद्दा उठाया था। विधायकों ने कहा कि अफसर खुद तो तौलिए लगी कुर्सी या सोफे में बैठते हैं और उन्हें बैठने के लिए साधारण कुर्सी देते हैं। अगर अधिकारी ही उनका सम्मान नहीं करेंगे तो वो जनता के सामने कैसे पेश आएंगे।
पुलिस विभाग में भी सफेद तौलिए की प्रथा
यूपी सचिवालय के अधिकारियों और नेताओं तक ही सफेद तौलिए लगी कुर्सी में बैठने की प्रथा नहीं है, जबकि पुलिस विभाग में डीजीपी से लेकर एसएचओ तक तौलिए वाली कुर्सी में बैठते हैं। ये तो नेताओं और अफसरों के बीच सफेद तौलिए को लेकर खींचतान है। सीएम योगी आदित्यनाथ की कुर्सी में भी तौलिए लगे होते हैं, लेकिन रंग भगवा होता है।
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पावर का सिंबल बना तौलिया
उत्तर प्रदेश में अब लाल-नीली बत्ती पावर का सिंबल नहीं है, बल्कि सफेद तौलिए से जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की प्रोफाइल का पता चलता है। सचिवालय में एक हफ्ते में दो बार तौलिए बदले जाते हैं। ये तौलिया सफेद रंग का होता है, जिसका 180X90 सेंटीमीटर साइज होता है। सिर्फ अधिकृत एजेंसियों से इस तौलिए को खरीदा जाता है।