Modi Surname Remark: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात के सूरत की सेशंस कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब 20 अप्रैल को फैसला सुनाया जाएगा। राहुल गांधी की तरफ से सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा पेश हुए थे। उन्होंने राहुल गांधी की बात को कोर्ट के सामने रखा है।
राहुल गांधी ने मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि के लिए मिली दो साल की सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनवाई के दौरान पेश होने से छूट दी थी।
ऐसी सजा मिलना अन्याय है: एडवोकेट चीमा
एडवोकेट आरएस चीमा ने कहा कि मोदी सरनेम टिप्पणी पर मानहानि का केस उचित नहीं था। अधिकतम सजा की भी कोई जरूरत नहीं थी। अपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है। कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। दोषी को अपूरणीय क्षति होगी, इस पर भी कोर्ट को विचार करना चाहिए। ऐसी सजा मिलना अन्याय है।
Gujarat | Surat Court to pass order on an interim application filed by Congress leader Rahul Gandhi seeking stay on his conviction in 2019 defamation case on 'Modi surname' remark on April 20 https://t.co/MAKdqlwVku
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) April 13, 2023
पूर्णेश मोदी ने कहा- राहुल मानहानि वाला बयान देने के आदी
इस केस में याचिकाकर्ता और भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी की दोष सिद्धि पर रोक लगाए जाने की याचिका के विरोध में 30 पन्नों में अपनी आपत्ति दाखिल की थी। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी बार-बार मानहानि वाला बयान देने के आदी हैं।
सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दी थी दो साल की सजा
सूरत की एक अदालत ने विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर 2019 के मानहानि के मामले में राहुल गांधी को 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार की एक सभा में मोदी सरनेम का इस्तेमाल करते हुए एक टिप्पणी की थी। राहुल ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?”
2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार गई थी सदस्यता
2013 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, राहुल को 24 मार्च को एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सत्तारूढ़ के तहत, किसी भी सांसद या विधायक को दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर स्वचालित रूप से अयोग्य घोषित किया जाता है।