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‘न जाट ना दलित…’ BJP ने घांची समुदाय से आने वाले मदन राठौड़ को क्यों बनाया अध्यक्ष? समझें इसके सियासी मायने

Why BJP Appointed Madan Rathore: भाजपा हाईकमान ने जाट और गुर्जर जैसे बड़े वोट बैंक को दरकिनार कर घांची समुदाय से आने वाले मदन राठौड़ को नया बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया है। ऐसे में आइये जानते हैं उनकी नियुक्ति के सियासी मायने।  

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jul 26, 2024 09:17
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Rajasthan BJP New President Madan Rathore
सीएम भजनलाल शर्मा के साथ मदन राठौड़

Rajasthan BJP New President Madan Rathore: बीजेपी हाईकमान ने गुरुवार देर रात 12 बजे एक आदेश जारी कर राजस्थान का प्रदेशाध्यक्ष बदल दिया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। मदन राठौड़ जनसंघ के समय से ही पार्टी के नेता रहे हैं। इसके अलावा उन्हें पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी चेहरों के साथ काम करने का लंबा अनुभव है। ऐसे में पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि सीपी जोशी के बाद बीजेपी प्रदेश की कमान किसी जाट या दलित को सौंप देगी। आइये जानते हैं मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के सियासी मायने।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी की ओर से टिकटों का ऐलान होता है। पाली की सुमेरपुर विधानसभा से पार्टी ने जोराराम कुमावत को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे नाराज मदन राठौड़ ने मोर्चा खोल दिया और निर्दलीय पर्चा भरने का ऐलान कर दिया। इसके बाद बीजेपी हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद वे इरादा बदल देते हैं। पार्टी चुनाव के बाद उन्हें राज्यसभा सांसद बनाती है और उसके बाद अब वे पार्टी के नए प्रमुख बन गए हैं। ऐसे में पिछले 6 महीनों में पार्टी ने उनको 2 बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर मदन राठौड़ को ही पार्टी ने क्यों प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया?

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पीएम मोदी के करीबी हैं मदन राठौड़

मदन राठौड़ मूल ओबीसी की जाति घांची समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे पीएम मोदी के बेहद करीबी बताए जाते हैं। गुजरात में जब मोदी CM थे तब वे बतौर प्रभारी चुनाव में बीजेपी का काम देखते थे। राजस्थान में घांची समुदाय की ठीक-ठाक आबादी है। लेकिन जाट और राजपूतों जितनी नहीं। ऐसे में हर कोई हैरान है कि पार्टी ने दो बड़े वोटबैंक को दरकिनार कर मूल ओबीसी पर इतना बड़ा दांव क्यों खेला?

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ओबीसी को साधने की कवायद

राजस्थान में 55 फीसदी वोटर्स ओबीसी में आते हैं। इनमें जाट भी शामिल है। जानकारी के अनुसार इन 55 फीसदी वोटर्स का राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर बड़ा प्रभाव है। राजस्थान को ओबीसी की प्रयोगशाला भी कहा जाता है। क्योंकि यहां 10-15 नहीं बल्कि पूरी 36 जातियां इसमें शामिल है। भारत के किसी राज्य में ओबीसी वोट बैंक में इस प्रकार सोशल इंजीनियरिंग कहीं पर भी नहीं है। ऐसे में पार्टी ने सभी 36 कौम को साधने के लिए ओबीसी चेहरे पर दांव खेला है। इतना ही नहीं प्रदेश के 25 में से 12 सांसद ऐसे हैं जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। यह भी एक बड़ी संख्या है।

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खाली हाथ रहे जाट

हरियाणा के बाद अब बीजेपी राजस्थान में भी जाटों से दूर होती जा रही है। या यूं कहे कि पार्टी को अब जाटों की जरूरत नहीं है। लोकसभा चुनाव में शेखावटी और पूर्वी राजस्थान में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी ने नई रणनीति के तहत ओबीसी वोट बैंक पर नजर बनाई है। राजस्थान में जाटों की ठीक-ठाक आबादी है। राजपूतों के बाद जाट राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है। लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद अब हाईकमान ने उनसे किनारा करने का मन बना लिया है।

प्रदेश में अब तक का इतिहास देखें तो जाट, ब्राहाण और राजपूत प्रदेश अध्यक्ष बनते आए हैं। हालांकि बीजेपी ने अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी को केंद्रीय मंत्री बनाकर जाटों की नाराजगी कुछ हद तक दूर करने की कोशिश की है लेकिन ये नाकाफी है। पार्टी को यहां पर गौर करना होगा कि हरियाणा की तुलना में राजस्थान में जाटों की नाराजगी ज्यादा नहीं है लेकिन पार्टी अभी तक यह भांप पाने में विफल रही है।

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दलितों की नाराजगी किसी से छिपी नहीं

लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय भी बीजेपी से खिसका है। इसकी एक मिसाल गंगानगर-हनुमानगढ़, और पूर्वी राजस्थान में देखने को मिली। जब पार्टी ने पूवी राजस्थान की अलवर और जयपुर सीट छोड़कर बाकी सभी सीटें गंवा दी। विपक्ष के संविधान खत्म करने वाले नैरेटिव को बीजेपी तोड़ नहीं पाई इसका नुकसान पार्टी को हुआ। लेकिन मीणा, जाटव-कोली समेत राजस्थान की कई दलित जातियां पार्टी से नाराज है इसमें कोई दोराय नहीं है। ऐसे में पार्टी केवल ओबीसी वोट बैंक के सहारे अगले विधानसभा चुनाव तक नहीं जा सकती। उन्हें बड़ी जातियों और दलितों को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा।

भाजपा नेता जीएल यादव

मदन राठौड़ को बीजेपी अध्यक्ष बनाए जाने पर भाजपा नेता जीएल यादव ने कहा कि जातीय राजनीति से ऊपर उठकर मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाना राष्ट्रीय नेतृत्व का सीधा संदेश है की सब का साथ सब का विकास ही हमारी प्राथमिकता है। ये निर्णय राष्ट्रीय विचारधारा पर चलने वालों को उपहार है। बीजेपी आलाकमान का यह निर्णय निश्चित रूप से स्वागत योग्य है।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jul 26, 2024 08:34 AM

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