---विज्ञापन---

Haldwani Protest: बचेगा मकान या चलेगा बुलडोजर? हल्द्वानी के हजारों लोगों की संकट की सनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Haldwani Protest: उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बस्ती के 4000 परिवारों के संकट का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4000 परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। अपने घरों को […]

Edited By : Gyanendra Sharma | Updated: Jan 5, 2023 13:11
Share :

Haldwani Protest: उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बस्ती के 4000 परिवारों के संकट का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4000 परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। अपने घरों को बचाने के लिए लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

50,000 निवासियों का भाग्य का फैसला

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस क्षेत्र में लगभग 50,000 निवासियों का भाग्य का फैसला होगा। इस इलाके में 90% मुस्लिम हैं, प्रशासन के साथ अधर में लटका हुआ है। बस्ती में कई स्कूल और मस्जिद हैं। यहां मंदिर भी हैं। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करेंगे।

---विज्ञापन---

और पढ़िएकंझावला की घटना बेहद अमानवीय और दर्दनाक, दिल्ली सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी-मनीष सिसोदिया

इलाके में 20 मस्जिद और 9 मंदिर

पूर्व सीएम हरीश रावत मामले को लेकर हल्दानी में उपवास पर बैठे हैं। रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। उत्तराखंड हाई कोर्ट की तरफ से अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद इन अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 4300 से ज्यादा परिवारों को बेदखली का नोटिस भेजने की तैयारी है। इस इलाके में 20 मस्जिद और 9 मंदिर हैं।

---विज्ञापन---

कई परिवार 1910 के बाद से बनभूलपुरा में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर कॉलोनियों के “कब्जे वाले इलाकों” में रह रहे हैं। इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 10 निजी, एक बैंक भी है।

और पढ़िए50 दिन 3200 किलोमीटर का सफर, यहां जानें दुनिया के सबसे बड़े रिवर क्रूज ‘गंगा विलास’ के बारे में

रेलवे जीत चुका है केस

रेलवे का दावा है कि उसके पास पुराने नक्शे, 1959 की एक अधिसूचना, 1971 के राजस्व रिकॉर्ड और 2017 के सर्वेक्षण के नतीजे हैं, जो जमीन पर अपना स्वामित्व साबित करते हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का दावा है कि वे यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। कई परिवार जो दशकों से इन घरों में रह रहे हैं, वे इस आदेश का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

और पढ़िएदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

 

 

HISTORY

Edited By

Gyanendra Sharma

First published on: Jan 05, 2023 11:15 AM
संबंधित खबरें