Red Card In Cricket: रेड कार्ड शब्द आमतौर पर फुटबॉल के खेल में इस्तेमाल किया जाता है। यहां मैच रेफरी खिलाड़ियों को गंभीर अपराध करने पर अनुशासित करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। अगर कोई खिलाड़ी बार-बार गलती करता है तो रेफरी उसे रेड कार्ड दिखाता है, जिसके बाद उसे मैदान से तुरंत बाहर कर दिया जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि फुटबॉल की तरह क्रिकेट में भी रेड कार्ड का इस्तेमाल हो चुका है। यह वाकया 2005 का है, जब न्यूजीलैंड के अंपायर बिली बोडेन ने ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा को रेड कार्ड दिखाया था।
मैक्ग्रा को दिखाया गया रेड कार्ड
यह मैच न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 17 फरवरी 2005 को खेला गया था और यह क्रिकेट इतिहास का पहला टी-20 इंटरनेशनल मैच था। इस मैच में जैसे ही मैक्ग्रा ने ट्रेवर चैपल की तरह अंडरआर्म गेंदबाजी करने की कोशिश की, वैसे ही तुरंत बिली बोडेन ने मजाकिया लहजे में जेब से निकालकर मैक्ग्रा को रेड कार्ड दिखाया। यह मैच एक तरह से टी-20 फॉर्मेट का प्रमोशन था, जहां खिलाड़ियों से लेकर फैन्स ने इसका भरपूर मजा लिया।
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पोंटिंग ने खेली 98 रनों की पारी
मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी और स्कोरबोर्ड पर 214 रनों का मजबूत स्कोर बनाया। कंगारू टीम को इस स्कोर तक लाने में रिकी पोंटिंग का अहम योगदान रहा, जिन्होंने 55 गेंदों पर 98 रनों की पारी खेली। इसके जवाब में न्यूजीलैंड की पारी 170 रनों पर सिमट गई। टीम के लिए स्कॉट स्टायरिस ने 39 गेंदों पर 66 रनों की धुआंधार पारी खेली, लेकिन उनकी यह पारी टीम को जीत नहीं दिला सकी।
ट्रेवर चैपल ने की अंडरआर्म बॉलिंग
न्यूजीलैंड की पारी का आखिरी ओवर मैक्ग्रा ने डाला था। मैक्ग्रा जब लास्ट बॉल डालने वाले थे तो उस समय कीवी टीम को जीत के लिए 45 रनों की जरूरत थी। इस सूरत में न्यूजीलैंड की जीत असंभव थी। यही वजह है कि कंगारू तेज गेंदबाज ने बॉलिंग क्रीज के पास खड़े होकर 1980-81 की मशहूर घटना को रिपीट किया। तब ट्रेवर चैपल ने अपने कप्तान और बड़े भाई ग्रेग चैपल के कहने पर न्यूजीलैंड के खिलाफ अंडरआर्म गेंदबाजी की थी। इस दौरान कीवी टीम को जीत के लिए एक गेंद पर छह रनों की जरूरत थी।
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