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Story of Shaligram: भगवान को क्यों लेना पड़ा पत्थर का रूप? वेश्या के कारण गण्डकी नदी को बनाया घर!

Story of Shaligram: हिन्दू धर्म में शालिग्राम पत्थर को विष्णु का रूप माना गया है। लोग इस पत्थर को पूजते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक श्राप के कारण विष्णु जी को पत्थर बनना पड़ा था। शालिग्राम नेपाल की गंडकी नदी के तल से प्राप्त होते हैं।

Edited By : Nishit Mishra | Updated: Sep 21, 2024 13:49
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gandaki nadi

Story of Shaligram: गण्डकी नदी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी पत्थर इस नदी में आता है वह शालिग्राम अर्थात विष्णु जी का रूप बन जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गण्डकी नदी रूप में आने से पहले एक वेश्या हुआ करती थी। चलिए जानते हैं गण्डकी नदी की सम्पूर्ण कथा।

गण्डकी कौन थी?

पौराणिक समय की बात है किसी गांव में गण्डकी नाम की एक वेश्या रहती थी। वह लोगों से पैसे लेकर अपना शरीर बेचती थी। एक दिन की बात है उस गांव में एक महात्मा जी पधारे। वह लोगों को भगवत भजन सिखाते और जीवन में क्या सही है और क्या गलत इसके बारे में भी ज्ञान देते। वेश्या को जब महात्मा के बारे में पता चला तो वह भी उनके पास आई। गण्डकी ने महात्मा से कहा मुझे भी ज्ञान दीजिये। तब महात्मा बोले पुत्री ज्ञान चाहिए तो तुम्हें ये गलत काम छोड़ना होगा। गण्डकी ने कहा प्रभु मैं अपना शरीर बेचना नहीं छोड़ सकती। तब महात्मा बोले फिर तुम ऐसा करो जो भी पुरुष तुम्हारे पास आये उसे तुम एक रात के लिए अपना पति मान लो। पति की तरह ही उस पुरुष की तुम रात भर सेवा करो।

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गण्डकी और विष्णु जी

उसके बाद महात्मा से आज्ञा लेकर गण्डकी अपने घर आ गई और फिर अगले दिन से जो कोई भी पुरुष उसके पास आता वह उसके साथ पूरी रात एक पत्नी की तरह व्यवहार करती। खुद खाने से पहले वह उस पुरुष को खाना खिलाती उसके बाद ही स्वयं खाती। इसी तरह समय बीतता गया और एक दिन भगवान विष्णु उस वेश्या की परीक्षा लेने पुरुष के वेश में आये। गण्डकी ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। उसके बाद मनुष्य मनुष्य रूपी विष्णु जी के साथ पत्नी जैसा व्यवहार किया। फिर दोनों सो गए। सुबह के समय अचानक विष्णु जी को सर में दर्द होने लगा और कुछ देर बाद ही मनुष्य मनुष्य रूपी विष्णु जी परलोक सिधार गए।

विष्णु जी की मृत्यु

यह बात जब गांव वालों को मालूम हुआ तो वे सभी उसके घर आये और लाश को अर्थी पर सजाकर श्मशान ले जाने लगे। यह देख गण्डकी भी उन लोगों के साथ श्मशान की ओर चल दी। गांव वाले मन ही मन सोचने लगे यह वेश्या श्मशान क्यों जा रही है? फिर जब श्मशान में चिता पर शव को रखा गया तो वह वेश्या भी चिता पर शव को गोद में लेकर बैठ गई। यह देख गांव वाले हैरान हो गए। मुखाग्नि देने के बाद चिता से आग की लपटें उठने लगी। गण्डकी मन ही मन भगवान को याद कर रही थी। कुछ समय बाद अचानक अग्नि के बीच भगवान विष्णु प्रकट हुए और गण्डकी से बोले हे पुत्री मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं।

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गण्डकी को मिला वरदान

अपने सामने विष्णु जी को देखकर गण्डकी रोने लगी, तब विष्णु जी ने उसे वरदान दिया, आज से तुम नदी के रूप में पृथ्वी पर वास करोगी और तुम्हें पूज्य माना जाएगा। तब गण्डकी ने कहा प्रभु मेरी एक विनती है, जैसे आप चिता पर मेरी गोद में थे उसी तरह पत्थर के रूप में इस नदी में भी वास करिए। भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कलयुग के अंत तक मैं शालिग्राम के रूप में गण्डकी नदी में वास करुंगा।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nishit Mishra

First published on: Sep 21, 2024 05:59 AM

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