---विज्ञापन---

Parivartini Ekadashi 2024: यहां कलियुग की ‘एंट्री’ है बैन, लिखी गई थी सत्यनारायण कथा, चार धाम यात्रा से भी है संबंध

Parivartini Ekadashi 2024: उत्तर प्रदेश में स्थित एक स्थान के बारे कहा जाता है कि वहां कलियुग का प्रवेश नहीं हुआ। इस पवित्र स्थल पर ही सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा भी लिखी गयी थी। आइए परिवर्तिनी एकादशी के अवसर पर जानते हैं, इस स्थान का महत्व और उससे जुड़ी रोचक धार्मिक बातें।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 14, 2024 17:15
Share :
naimisharanya-religious-history

Parivartini Ekadashi 2024: भारत आस्था और विश्वास की भूमि है। यहां ऐसे-ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जिसका महत्व स्वर्ग से भी महान और ऊंचा है। यहां चर्चा उत्तर प्रदेश के एक ऐसे स्थान की हो रही है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां कलियुग का आना मना है। भगवान विष्णु के विशेष स्वरूप सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा भी यहीं लिखी गई थी। परिवर्तिनी एकादशी के मौके पर आज आइए जानते हैं, यूपी में यह स्थान कहां है, इसका धार्मिक-ऐतिहासिक महत्व क्या है?

88 हजार ऋषियों की तपोस्थली है यह स्थान

इस पवित्र स्थान का नाम है ‘नैमिषारण्य’। यह यूपी की राजधानी लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में स्थित है। गोमती नदी के तट पर स्थित नैमिषारण्य सनातन धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। विष्णु पुराण के अनुसार, यह वैष्णवों और ब्राह्मणों की प्राचीन और पवित्र भूमि है, जहां 88 हजार ऋषियों ने तपस्या की थी।

---विज्ञापन---

यहीं रहते थे वेद व्यास

यहां बहुत विशाल और घना ‘अरण्य’ यानी जंगल थे, जो ‘नैमिष’ नाम से प्रसिद्ध था, इसलिए यह नैमिषारण्य कहलाता है। मार्कण्डेय पुराण में नैमिषारण्य का अनेक बार उल्लेख हुआ है। इस पुराण में इसे 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली बताया गया है। इस पुराण के मुताबिक, इसी जंगल (अरण्य) में वेद व्यासजी ने वेदों, पुराणों तथा शास्त्रों की रचना की थी और 88 हजार ऋषियों को इसका गूढ़ ज्ञान दिया था।

ये भी पढ़ें: Mahalaya 2024: महालया क्या है, नवरात्रि से इसका क्या संबंध है? जानें महत्व और जरूरी जानकारियां

---विज्ञापन---

यहीं लिखे गए है सारे ग्रंथ

कहते हैं, हिन्दू धर्म के जितने भी प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, सबको यहीं नैमिषारण्य में लिपिबद्ध किया गया था यानी लिखा गया था। इन ग्रंथों में 4 वेद, 6 वेदांग, 18 पुराण और 108 उपनिषद प्रमुख हैं। यह द्वापर युग की बात है। इससे पहले सभी ग्रंथ अलिखित थे और पीढ़ी-दर-पीढ़ी याद कर के संजोए गए थे। इन सभी को लिखने वाले थे, महर्षि वेद व्यास और उनके शिष्य।

सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली व्रत कथा

अनेक विद्वानों का आकलन है कि हिन्दू धर्म में श्रीमदभगवद् गीता और हनुमान चालीसा के बाद सबसे अधिक पढ़ी जाने धार्मिक पुस्तक सत्यनारायण व्रत कथा है। इस कथा की पहली पंक्ति में ही नैमिषारण्य का उल्लेख है। कहते हैं, सबसे पहले वेद व्यासजी ने महर्षि सूत को भगवान सत्यनारायण की कथा यहीं सुनायी थी। इसके बाद यह कथा महर्षि सूत ने शौनक ऋषि और अन्य ऋषियों को श्रवण कराई थी। बाद में भगवान सत्यनारायण की कथा को लिखा भी यहीं पर गया था।

ये भी पढ़ें:  Temples of India: जिंदा लड़की की समाधि पर बना है वाराणसी का यह मंदिर, दिल दहला देने वाला है इतिहास!

यह कलियुग का आना है मना

माना जाता है कि जब ब्रह्मा जी धरती पर मानव की सृष्टि यहीं पर की थी। धरती की प्रथम मानव युगल जोड़ी मनु और शतरूपा के रचना की बाद उन्होंने मनुष्य जाति के काम को आगे बढ़ाने के जिम्मा इन्हीं दोनों को दिया। कहते हैं, मनु और शतरूपा ने यहां 23 हजार सालों तक साधना की थी। नैमिषारण्य के बारे में यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने कलियुग को यहां आने से मना किया है। इसलिए यहां कलियुग आना निषिद्ध यानी बैन है।

अधूरी रहती है चारधाम यात्रा

साथ ही इस स्थान के बारे में यह भी मान्यता है कि चार धाम की यात्रा के बाद नैमिषारण्य आकर भगवान सत्यनारायण मंदिर और व्यास गद्दीपीठ का दर्शन अवश्य करना चाहिए, अन्यथा चार धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

ये भी पढ़ें: Vamana Jayanti 2024: धरती पर होता राक्षसों का राज, यदि विष्णु न लेते वामन अवतार, जानें रोचक कथा

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Shyam Nandan

First published on: Sep 14, 2024 02:19 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें