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कृष्ण छठी कब? जानें इस पर्व की पौराणिक कथा, जिसे सुनने से संतान की लंबी आयु का मिलता है आशीर्वाद!

Krishna Chhathi 2024: कृष्ण जन्माष्टमी के 6 दिन बाद भगवान के बाल रूप लड्डू गोपाल जी की छठी का पर्व मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इस बार कृष्ण छठी का त्योहार कब मनाया जाएगा और इस पर्व की पौराणिक कथा क्या है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Aug 31, 2024 14:03
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Krishna Chhathi 2024
कृष्ण छठी की कथा

Krishna Chhathi 2024: सनातन धर्म में छठी के पर्व का विशेष महत्व है। परिवार में जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तो उसके जन्म के छह दिन बाद ‘छठी ’ मनाई जाती है। आमजन के अलावा भगवान कृष्ण की ‘छठी’ का त्योहार भी मनाया जाता है। साल 2024 में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का जश्न यानी जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया गया था, जिसके 6 दिन बाद यानी 1 सितंबर को लड्डू गोपाल की छठी मनाई जाएगी। चलिए जानते हैं कृष्ण छठी की पौराणिक कथा के बारे में।

कृष्ण छठी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मामा कंस की मथुरा जेल में हुआ था। कंस ने भगवान कृष्ण के माता-पिता देवकी और वासुदेव को बंधी बना रखा था, ताकी वो उनकी सभी संतानों का वध कर सकें। दरअसल, मथुरा की जनता कंस के अत्याचारों से परेशान थी। कंस सभी को डराकर व धमकाकर रखते थे। इसी बीच एक दिन आकाशवाणी हुई कि, ‘हे कंस, तेरा वध तेरी बहन के गर्भ से उत्पन्न आठवें बालक के जरिए ही होगा।’ ये सुनकर कंस वसुदेव को मारना चाहते थे। लेकिन तभी देवकी ने अपने भाई से कहा कि,’मेरे गर्भ से जो भी संतान होगी, मैं उसे तुम्हे दे दूंगी। लेकिन तुम अपने बहनोई को मत मारो’। कंस ने माता देवकी की बात मान ली और वसुदेव-देवकी दोनों को जेल में बंद कर दिया।

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Krishna Chhathi 2024

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एक-एक करके सभी बच्चों को मार डाला

जब-जब मां देवकी को संतना हुई, वो अपने बच्चे को लेकर कंस को दे देती थी। कंस हर बार देवकी माता के बच्चे को मार देते थे। जब आठवां बच्चा होने वाला था, तो उसी समय वसुदेव के दोस्त नंद की पत्नी यशोदा भी बच्चे को जन्म देने वाली थी। जैसे ही माता देवकी के गर्भ से भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो उनके हाथ से बेड़ियां अपने आप खुल गई। अपने बेटे को जीवित रखने के लिए वासुदेव सबसे छिपाकर भगवान कृष्ण को यमुना नदी के जरिए गोकुल लेकर गए। जहां उन्होंने भगवान कृष्ण को अपने दोस्त नंद और माता यशोदा को सौप दिया और उनकी बेटी को अपने साथ ले आएं।

राक्षसी पूतना को कंस ने दिया आदेश

जब ये सूचना कंस तक पहुंची की वसुदेव-देवकी का बच्चा पैदा हो गया है, तो वो तुरंत जेल में पहुंचे। उन्होंने देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीना और पृथ्वी पर पटक दिया। लेकिन तुरंत ही वो कन्या आकाश में उड़ गई। इसी के साथ एक आकाशवाणी हुई, ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से कुछ नहीं होगा। तेरा काल तो वृंदावन में पहुंच गया है। वो जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देने के लिए आएगा।’ ये सुनने के बाद कंस ने राक्षसी पूतना को आदेश दिया कि, वृंदावन में जिन बच्चों ने अभी-अभी जन्म लिया है, तुम्हें उन्हें मारना है।

लेकिन कृष्ण जी ने 6 दिन के अंदर पूतना का वध कर दिया था, जिसके बाद मां यशोदा ने कान्हा की छठी मनाई। इसी वजह से हर साल जन्माष्टमी के 6 दिन बाद लड्डू गोपाल जी की छठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कृष्ण छठी के दिन यदि माताएं इस कथा को सुनती हैं या पढ़ती हैं, तो इससे उनके संतान का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही लंबी उम्र का भी वरदान मिलता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Aug 31, 2024 01:55 PM

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