Akhurath Sankashti 2025: हर मास में चतुर्थी तिथि दो बार आती है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से करने पर भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा जीवन के समस्त विघ्न, कष्ट और दुख दूर होते हैं. पौष माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. ‘अखुरथ’ भगवान गणेश का ही एक पवित्र नाम और स्वरूप है. आइए जानते हैं, इस वर्ष यह पर्व 7 दिसंबर को पड़ेगा या 8 दिसंबर को. साथ ही यह भी जानते हैं कि भगवान गणेश को ‘अखुरथ’ क्यों कहते हैं, पौष माह की इस संकष्टी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि क्या है?
भगवान गणेश को ‘अखुरथ’ क्यों कहते हैं?
‘अखुरथ’ दो शब्दों के मेल से बना है, यहाँ ‘अ’ का अर्थ है ‘नहीं’ और ‘खुरथ’ का अर्थ है ‘रथ’ यानी जिसका कोई रथ न हो. इस प्रकार भगवान गणेश को ‘अखुरथ’ इसलिए कहा जाता है कि उनके पास कोई रथ नहीं है. ‘अखुरथ’ नाम नाम उनके मूषक (चूहे) वाहन की विशेषता को दर्शाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भगवान गणेश छोटे से जीव को भी अपना वाहन बनाकर करुणा, सरलता और विनम्रता का संदेश देते हैं. पौष मास में आने वाली संकष्टी चतुर्थी भगवान गणपति के इसी स्वरूप की उपासना को समर्पित होती है, इसलिए इसे ‘अखुरथ संकष्टी चतुर्थी’ कहा जाता है. इस दिन भक्त गणेश जी के अखुरथ रूप की विशेष पूजा करते हैं.
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अखुरथ संकष्टी 2025 कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 7 दिसंबर की शाम में 06:24 पी एम बजे से होगी और इस तिथि का समापन 8 दिसंबर की अपराह्न में 04:03 PM बजे होगी. संकष्टी चतुर्थी के लिए पूजा और व्रत का निर्धारण चंद्रमा के उदय के अनुसार, तय होता है. चूंकि इस साल चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रोदय तिथि शुरू होने के बाद 07:55 PM बजे हो रहा है, इसलिए चंद्रोदय नियम के अनुसार, इस साल अखुरथ संकष्टी चतुर्थी रविवार 7 दिसंबर, 2025 को रखी जाएगी.
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए अखुरथ संकष्टी का व्रत करने से जीवन की परेशानियां, तनाव और रुकावटें दूर होने की मान्यता है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से कामों में सफलता मिलती है, सोच-समझ बेहतर होती है और मन में विचारों की स्पष्टता रहती है. कहा जाता है कि अखुरथ स्वरूप की आराधना से घर में शांति, प्रेम और समृद्धि बढ़ती है. यह व्रत खास तौर पर परिवार की भलाई, उन्नति और शुभकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है.
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: शुभ मुहूर्त
चूंकि चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रोदय तिथि 07:55 PM बजे हो रहा है, इसलिए पूजा को इसी समय के बाद शाम में करना उचित है. लेकिन इसके व्रत के उपवास शुरुआत 7 तारीख के सूर्योदय के बाद आरंभ हो जाएगी. इस दिन रविपुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ बन रहे हैं, इससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया है
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