Health Tips for Monsoon Season: दिल्ली में जहां एक तरफ गर्मी और उमस है तो वहीं मानसून भी अपना रंग दिखा रहा है। क्योंकि मानसून यानी रिमझिम बारिश का मौसम कभी भी बरसकर गर्मी से राहत देता है। यह मौसम ऐसा है कि कब झमाझम बारिश होने लगेगी और कब तेज धूप खिलेगी, कुछ नहीं कहा जा सकता। पल-पल बदलता मौसम हमारी सेहत का भी कुछ ऐसा ही हाल कर देता है। कभी बदन दर्द तो कभी खांसी-जुकाम जैसी दिक्कतें लगी ही रहती हैं और भी नहीं तो थकान ही इतनी ज्यादा हो जाती है कि शरीर टूटने लगता है। बस एक बार जहां शरीर कमजोर पड़ा तुरंत कोई न कोई मौसमी बीमारी जकड़ लेती है।
बच्चों से बड़ों तक को जकड़ लेती हैं कई बीमारियां
बरसात के मौसम में बच्चों को जो बीमारियां सबसे ज्यादा घेरती हैं, उनमें कफ और सर्दी के बाद सबसे ज्यादा मामले निमोनिया के देखने को मिलते हैं। ये सभी दिक्कतें आमतौर पर तभी होती है, जब बच्चे बारिश में भीग जाते हैं और घंटों तक उन्हीं गीले कपड़ों में मस्ती करते रहते हैं। बारिश के मौसम में मौसमी बुखार होना आम बात है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इसका मुख्य कारण इम्यूनिटी का कम हो जाना, बारिश में भीगना, ज्यादा देर तक गीले कपड़ों में रहना, मौसम के हिसाब से खानपान न करना, रात के समय फ्रिज में रखे खाने को ठंडा ही खा लेना, जैसे कई बहुत नॉर्मल से लगने वाले कारण शामिल हैं।
मलेरिया लेकर डेंगू तक का खतरा
बरसात के मौसम में मच्छर भी ज्यादा पनपने लगते हैं। इस मौसम में मच्छरों के कारण फैलने वाली बीमारियों में मलेरिया बड़े लेवल पर फैलता है। इसलिए इस मानसून मे मच्छरों से बचकर रहना चाहिए। इसके अलावा डेंगू का रोग भी मच्छरों के काटने से ही होता है। आपको ये भी जान लेना चाहिए कि जिन एडीज मच्छरों से यह बीमारी होता है। वह दिन के समय में ही काटते हैं और साफ पानी में पनपते हैं।
लक्षणों से पता चलेगा आपको कौन सी बीमारी है
जब किसी को मलेरिया वायरस देने वाला मच्छर काट लेता है, उसके कुछ हफ्ते के अंदर यह बीमारी असर दिखाना शुरू करती है। मलेरिया के मरीज को बुखार आना और बुखार में ही पसीना आना, शरीर में दर्द रहना और रह-रहकर उल्टी आने जैसी शिकायतें होने लगती है। वहीं, डेंगू के मच्छर के काटे जाने पर 3 से 5 दिन के अंदर ही व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार आता है, बुखार के साथ बहुत ज्यादा सर्दी लगती है, हड्डियों और जोड़ों में दर्द होता है, आंखों में तेज दर्द और चुभन होती है। इस बीमारी में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरने लगती है। अगर समय पर मरीज को सही इलाज न मिले तो जान तक जा सकती है।
कैसे करें बचाव
जब भी बाहर जाएं तो अपने साथ छाता या रेन कोट हमेशा रखें। क्योंकि अचानक बारिश कब हो जाए, ये पता नहीं चल पाता है। अगर पॉसिबल हो तो एक जोड़ी एक्सट्रा कपड़े अपने पास रखें, ताकि बाई चांस बारिश में भीगने पर आप इन्हें चेंज कर पाएं। अपने घर में कूलर, छत या गमलों में पानी जमा न होने दें। इस पानी में ही डेंगू के मच्छर खासतौर पर पनपते हैं। जबकि मलेरिया के मच्छर नालियों में भरे गंदे पानी, तालाब और कीचड़ वाली जगह पर ज्यादा पनपते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने घर और आसपास के एरिया में सफाई का पूरा ध्यान रखें।
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