छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), महाराष्ट्र, 22 नवंबर 2025: सोपान की बड़ी सांस्कृतिक पहल AIKYAM 2025 का तीन दिन का कार्यक्रम (21–23 नवंबर) आज अजंता और एलोरा की यूनेस्को विश्व धरोहर गुफाओं में सफलतापूर्वक खत्म हुआ. यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र (UN) की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर किया गया था, जिसमें कला, संस्कृति, विरासत, कूटनीति और स्थिरता को एक साथ जोड़कर एक खास अनुभव दिया गया. अजंता और एलोरा की शानदार गुफाओं के बीच हुए इस कार्यक्रम में दुनिया भर से कलाकार, इतिहासकार, सांस्कृतिक विशेषज्ञ और राजनयिक आए. AIKYAM 2025 का मकसद भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा, जीवंत संस्कृति और वैश्विक सद्भाव का संदेश दुनिया तक पहुंचाना था.
30 से ज्यादा देशों के एक्सपर्ट हुए शामिल
इस कार्यक्रम में यूनेस्को, महाराष्ट्र पर्यटन विभाग और छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. इनके साथ 30 से ज्यादा देशों के राजदूत, दूतावास प्रतिनिधि और सांस्कृतिक विशेषज्ञ भी शामिल हुए. प्रमुख अतिथियों में महाराष्ट्र पर्यटन के प्रमुख सचिव श्री संजय खंडारे, भारत में यूनेस्को ऑफिस के डायरेक्टर डॉ. टिमोथी कर्टिस और छत्रपति संभाजीनगर के नगर आयुक्त श्री जी. श्रीकंठ उपस्थित रहे. इन सभी की मौजूदगी ने AIKYAM के मुख्य संदेश-वैश्विक एकता, जिम्मेदार सांस्कृतिक पर्यटन और परंपरा व आधुनिकता के सुंदर मेल को और मजबूत किया. कार्यक्रम में कई वरिष्ठ राजनयिक भी आए, जिनमें यूके और न्यूजीलैंड के हाई कमिश्नर, तथा फ्रांस, चीन, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, स्पेन और थाईलैंड के राजदूत शामिल थे. UNDP के कंट्री हेड ने भी इस आयोजन को खास बनाया.
महाराष्ट्र पर्यटन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी का बयान
महाराष्ट्र पर्यटन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी संजय खंडारे ने कहा, ‘महाराष्ट्र आज भारत के पर्यटन में सबसे आगे है और दुनिया का बड़ा सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनने की दिशा में लगातार काम कर रहा है. अजंता और एलोरा की गुफाएं हमारी पुरानी सभ्यता और बेहतरीन कला का जीवंत उदाहरण हैं. संयुक्त राष्ट्र के 80 वर्ष पूरे होने पर AIKYAM को वसुधैव कुटुम्बकम यानी ‘दुनिया एक परिवार है’ की भावना के साथ मनाया जा रहा है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र हमेशा से धर्म और संस्कृतियों को जोड़ने, कला को बढ़ावा देने और एकता की मिसाल पेश करने वाला राज्य रहा है. साल 2024 में महाराष्ट्र ने 3.71 मिलियन विदेशी पर्यटकों के साथ पूरे देश में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आकर्षित किए. राज्य सरकार लगातार पर्यटन स्थलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं और नए अवसरों को बेहतर बना रही है ताकि हर यात्री यहां से समृद्ध, यादगार और संस्कृति से जुड़ा अनुभव लेकर जाए. वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ, महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर दुनिया में सौहार्द और एकता को और मजबूत करे, यही हमारा उद्देश्य है.’

सोपान के को-फाउंडर क्या बोले?
सोपान के को-फाउंडर और डायरेक्टर सिद्धांत मोहता ने कहा, ‘AIKYAM एक खास पहल है, जो दिखाती है कि विरासत, कला और बातचीत कैसे मिलकर दुनिया में बेहतर समझ पैदा कर सकते हैं. यह तीन दिनों की ऐसी डूबकर महसूस करने वाली यात्रा है, जिसमें अजंता और एलोरा की पवित्र गुफाओं को एक जीवंत मंच की तरह बदल दिया जाता है, जहां एकता, कला और विचारों का आदान-प्रदान होता है. सोपान इससे पहले भी जैसलमेर, ग्वालियर के शाही परिवारों और दिल्ली सरकार के साथ पुराना किला में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम कर चुका है और उसी अनुभव के आधार पर AIKYAM को संयुक्त राष्ट्र के 80 साल पूरे होने पर समर्पित किया गया है. उन्होंने आगे कहा, ‘इस पहल के जरिए हम दुनिया को जोड़ने की दिशा में एक और कदम बढ़ा रहे हैं. आज हम एक ऐसे मंच पर खड़े हैं जहां कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनोखा मेल संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों-शांति, सहयोग और साझा भविष्य को और मजबूत बनाता है और यही मेल दुनिया को एकजुट होकर आगे बढ़ने का संदेश देता है.’
यूनेस्को रीजनल ऑफिस इंडिया के डायरेक्टर ने क्या कहा?
यूनेस्को रीजनल ऑफिस इंडिया के डायरेक्टर डॉ. टिमोथी कर्टिस ने कहा, ‘अजंता और एलोरा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल सबसे पुराने भारतीय स्थलों में हैं. ये जगहें भारत की गहरी सोच, रचनात्मकता और मिलकर काम करने की परंपरा का जीवंत उदाहरण हैं. उनकी विरासत, जो उत्कृष्ट कला, वैज्ञानिक समझ और अलग-अलग परंपराओं के साथ रहने की संस्कृति पर आधारित है, हमें यह याद दिलाती है कि इंसान मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकता है. आज की तेजी से बदलती दुनिया में ये धरोहरें हमें संवाद, सहयोग और मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने का संदेश देती हैं. AIKYAM 2025 इसी भावना को आगे बढ़ाता है और दिखाता है कि सांस्कृतिक विरासत सिर्फ हमारी उपलब्धियों का रिकॉर्ड नहीं है बल्कि बेहतर संवाद, समझ और संयुक्त प्रयासों का मार्गदर्शन भी करती है, जो UN@80 की सोच और हमारे साझा भविष्य को आगे बढ़ाती है.’
अपने स्वागत संदेश में छत्रपति संभाजीनगर के म्युनिसिपल कमिश्नर श्री जी. श्रीकांत ने कहा, ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज स्थलों की सदियों पुरानी सभ्यता के बीच मनाया गया AIKYAM हमारी सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक सोच को खूबसूरती से जोड़ता है. UN@80 के मौके पर यह कार्यक्रम दिखाता है कि महाराष्ट्र अपनी परंपराओं का सम्मान करते हुए भविष्य को अपनाने के लिए भी पूरी तरह तैयार और प्रतिबद्ध है.’

AIKYAM 2025, जो एकता का उत्सव है, अजंता और एलोरा की गुफाओं में संस्कृति, विरासत और वैश्विक संवाद का एक सुंदर मेल बन गया. शाम ढलते ही एक ही पत्थर से बने भगवान शिव को समर्पित कैलासा मंदिर का प्रांगण एक खुले मंच में बदल गया. कार्यक्रम की शुरुआत जैसलमेर की महामहिम महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी और निक बुकर की शिव स्तुति से हुई, जहां संस्कृत मंत्रों और उनकी व्याख्याओं ने ‘ऐक्यम’ यानी एकता का संदेश दिया. इसके बाद गौरी शर्मा त्रिपाठी की कोरियोग्राफी में AIKYAM ओंकारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने कथक, भरतनाट्यम और ओडिशी के जरिए सृष्टि, निरंतरता और लय की सार्वभौमिक भावना को दर्शाया. आयोजन का बौद्धिक हिस्सा भी प्रभावी रहा, जहां इतिहासकार विलियम डालरिम्पल का व्याख्यान ‘द गोल्डन रोड: हाउ एंशिएंट इंडिया ट्रांसफॉर्म्ड द वर्ल्ड’ भारत की प्राचीन सोच को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक दृष्टि से जोड़ता दिखा. साथ ही, डॉ. टिमोथी कर्टिस और निक बुकर जैसे विशेषज्ञों के प्रेरक संवादों ने कार्यक्रम को और समृद्ध बनाया.
इस फेस्टिवल में प्रस्तुतियों और भाषणों के साथ कई महत्वपूर्ण कलात्मक और ऐतिहासिक झलकियों का पुनर्निर्माण भी किया गया, जिसने इसके वैश्विक सांस्कृतिक संवाद की थीम को और मजबूत बनाया. सबसे खास आकर्षण था 1967 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए पंडित रवि शंकर और येहूदी मेनुहिन के ऐतिहासिक कॉन्सर्ट का संगीत पुनर्सृजन, जिसे पंडित शुभेन्द्र राव और डच सेलिस्ट सास्किया राव-दे हास ने बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया. यह प्रस्तुति संगीत के जरिए संवाद और एकता का संदेश देती रही. ब्राजीलियाई कलाकार सर्जियो कोर्डेरो ने लाइव म्यूरल बनाकर अजंता की प्राचीन पेंटिंग को आधुनिक अंदाज में दोबारा जीवंत किया. फेस्टिवल का अनुभव और समृद्ध हुआ दौलताबाद किला और बीबी का मकबरा जैसी जगहों की खास हेरिटेज टूर, पैठणी और हिमरू की टेक्सटाइल प्रदर्शनी और महाराष्ट्रियन व्यंजनों के स्वादिष्ट उत्सव से. आखिरी दिन अजंता की गुफाओं के शांत दर्शन के साथ यह उत्सव एक शांत, सकारात्मक और सोचने वाला अनुभव बनकर समाप्त हुआ.
हेरिटेज टूरिज्म बाजार की बढ़ सकती है कीमत
भारत आने वाले कुल विदेशी पर्यटकों में लगभग 40% लोग सांस्कृतिक पर्यटन की वजह से आते हैं. देश का हेरिटेज टूरिज्म बाजार, जिसकी कीमत 2024 में लगभग 19.9 बिलियन डॉलर थी, 2033 तक बढ़कर लगभग 27.1 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है. AIKYAM 2025 ने विरासत को संस्कृति आदान-प्रदान, स्थिरता और वैश्विक जुड़ाव का मजबूत माध्यम बनाकर पेश किया, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर और मजबूत हुई. विज्ञान–आध्यात्मिकता, मानवता–प्रकृति और पुरानी-नई सोच की एकता पर आधारित इस आयोजन ने प्राचीन सभ्यताओं की कला और आध्यात्मिकता का सुंदर उत्सव मनाया और यह भी दिखाया कि भारत कैसे संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ जुड़कर आगे बढ़ रहा है.
एंबेसडर मोनिका कपिल मोहता और सिद्धांत मोहता द्वारा स्थापित सोपान लगातार ऐसे खास सांस्कृतिक अनुभव तैयार करता है, जो भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करते हैं और दुनिया भर के लोगों को जोड़कर सार्थक और उपयोगी संवाद को बढ़ावा देते हैं.
AIKYAM 2025 के खत्म होने के साथ ही इसका सबसे बड़ा संदेश साफ दिखा, जब संस्कृति को साझा किया जाता है, तो वह लोगों, देशों और पूरी दुनिया को जोड़ने वाला एक मजबूत पुल बन जाती है. इस महोत्सव को सफल बनाने में कई बड़े साझेदारों और प्रायोजकों ने अहम भूमिका निभाई, जिसमें एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज, ट्राइडेंट ग्रुप, JSW, RMZ कॉर्प, VFS ग्लोबल, TVS मोटर्स, भारत फोर्ज, SPP पंप्स, वोल्वो, कल्पतरु प्रोजेक्ट्स, CBSL ग्रुप, ZF ग्रुप और इंडिगो शामिल थे.
सोपान के बारे में
सोपान ऐसे खास और समृद्ध कार्यक्रम बनाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने आधुनिक और आकर्षक तरीके से पेश करते हैं. यह संस्था ऐतिहासिक स्थलों को नई तरह से जीवंत बनाते हुए संगीत, नृत्य, फैशन, पेंटिंग, मूर्तिकला, टेक्सटाइल, सिनेमा, वास्तुकला और भोजन जैसी कई कला-शैलियों को एक साथ जोड़कर अनोखा सांस्कृतिक अनुभव तैयार करती है. सोपान का मकसद भारत की जीवंत और प्राचीन जड़ों वाली संस्कृति को दुनिया से जोड़ना है. इसी दिशा में सोपान ने कई राज्य सरकारों, शाही परिवारों और मशहूर क्यूरेटरों के साथ मिलकर भारत के अद्भुत इतिहास और लोगों को उनकी ऐतिहासिक विरासत की पृष्ठभूमि में वैश्विक मंच पर खूबसूरती से प्रस्तुत किया है.
महाराष्ट्र पर्यटन के बारे में
महाराष्ट्र सरकार राज्य की विविध पर्यटन जगहों जैसे विरासत, संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और रोमांच को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है. यहां की यूनेस्को विरासत वाली अजंता-एलोरा गुफाएं, मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहर, और महाबलेश्वर व लोनावाला जैसे शांत पहाड़ी स्थल दुनिया भर के यात्रियों को अपनी ओर खींचते हैं. पर्यटन विभाग लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने, टिकाऊ और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और गणेश उत्सव व हिंदवी स्वराज्य महोत्सव जैसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों को ज्यादा पहचान दिलाने के लिए कई कदम उठा रहा है. महाराष्ट्र पर्यटन का लक्ष्य है कि हर यात्री को यहां की अनोखी विरासत, जीवंत संस्कृति और यादगार अनुभवों के साथ एक सुरक्षित, जिम्मेदार और सुखद यात्रा मिल सके.










