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हाई कोर्ट पहुंचा ‘प्लास्टिक के फूलों’ का मामला, केंद्र सरकार ने बताई बैन न करने की वजह

Plastic Flowers Banned : फूलों के उत्पादन से जुड़े किसानों के हित को लेकर ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इतना ही नहीं इसे लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार प्लास्टिक के फूलों को प्रतिबंधित सूची में डालने को तैयार नहीं है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jan 31, 2025 23:19
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Plastic flowers

Bombay High Court : देशभर में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती भी की जाती है और इससे जुड़े किसानों के लिए ये रंग-बिरंगे फूल ही आय का जरिया है। लेकिन बाजार में मिल रहे तरह-तरह के लुभावने प्लास्टिक के फूलों से इन किसानों की आय प्रभावित हो रही है। इसे लेकर एक मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने आया था। दरअसल, महाराष्ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग थी और इसके लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की थी।

अब इस याचिका पर सुनवाई को दौरान केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है। केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जवाब दिया कि प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है क्योंकि इनमें “कूड़ा फैलाने की अधिक संभावना नहीं है और इनकी उपयोगिता भी अधिक है।”

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केंद्र सरकार ने दिया यह तर्क

केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि प्लास्टिक के फूलों को एकल-उपयोग वाली (Single-Use Plastic) प्रतिबंधित प्लास्टिक वस्तुओं की सूची में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि वे “ज्यादा कचरा फैलाने की क्षमता और कम उपयोगिता” के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने एक हलफनामे में कहा कि बिना किसी विश्लेषण के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने मामले को विचार के लिए आगे बढ़ाया था। यह हलफनामा ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (GFCI) द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में दायर किया गया था, जिसमें महाराष्ट्र में प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।

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जनहित याचिका में तर्क दिया गया था कि प्लास्टिक के फूल, विशेष रूप से जिनकी मोटाई 100 माइक्रोन से कम होती है, पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं और उन्हें प्रतिबंधित एकल उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं की सूची में शामिल किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा था जवाब

हाई कोर्ट ने पहले महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी कर प्रतिबंध की मांग पर उनका जवाब मांगा था। अक्टूबर 2024 में, अदालत ने केंद्र से पूछा था कि क्या उसने प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सिफारिशों पर विचार किया है।

इसके बाद पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (DCPC) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने विस्तृत विश्लेषण के लिए 40 एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं की पहचान की थी। हालांकि, प्लास्टिक के फूल उनमें शामिल नहीं थे।

याचिकाकर्ता के दावों का खंडन करते हुए हलफनामे में कहा गया है कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में प्लास्टिक के फूलों के लिए 100 माइक्रोन की न्यूनतम मोटाई की आवश्यकता निर्दिष्ट नहीं की गई है।

सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मोटाई की आवश्यकता के उल्लंघन के कारण प्लास्टिक के फूलों के डीकंपोजिंग में कठिनाइयां आई हैं। यह गलत और भ्रामक है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिका में यह भी बताया गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने 8 मार्च, 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कई एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया था।

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Edited By

News24 हिंदी

First published on: Jan 31, 2025 11:17 PM

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