Sabse Bada Sawal, 08 June 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं विशुद्ध राजनीति की। राजनीति मौसम है। चुनावों का आगाज हो गया है। 9 महीने के बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। बात होगी सिर्फ बीजेपी। 9 साल से सत्ता पर काबिज है। 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी। 2019 में फिर रिपीट हुई। अब हैट्रिक मारेंगे क्या?
ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में एक संपादकीय छपा। संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा कि मौजूदा राजनीतिक सूरतेहाल का आंकलन करने का वक्त आ गया है। मगर ये चर्चा का विषय नहीं है। क्यों आ गया? मुखपत्र का मानना है कि राज्यों स्तर पर मजबूत नेतृत्व जब तक नहीं होगा, वायदे को जमीन पर नहीं उतारा जाएगा तो पीएम मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व की वैचारिक गोंद है ये पर्याप्त नहीं होगा। ये तब चलता है जब स्थानीय स्तर पर गवर्नेंस कदमताल करता दिखे। बाकी जगह नहीं काम आएगा। उदाहरण कर्नाटक का दिया गया। पिछले 9 साल में पहली बार कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और सरकार भी बना ली। क्या जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है। दरकार है कि स्थानीय नेतृत्व को मजबूत किया जाए। वहीं, बिखरा हुआ पक्ष अब एक होता दिख रहा है। 23 मई को पटना में विपक्ष की बड़ी बैठक होने वाली है।
ऐसे में जरूरी हो गई है कि आरएसएस ने जो दो टूक कहा है, उसके मायने क्या हैं। मोदी का करिश्मा, हिंदुत्व जीत के लिए काफी नहीं? मोदी मैजिक और हिंदुत्व के सहारे बीजेपी? RSS की दो टूक…स्थानीय नेतृत्व को करो मजबूत? देखिए संदीप चौधरी के साथ बड़ी बहस