Congress Vs BJP On Dattatreya Hosabale Statement : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बयान ने एक बार फिर देश की सियासत में गरमाहट ला दी है। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की वकालत की और कांग्रेस से इमरजेंसी के लिए माफी की मांग की। अब विपक्ष हमलावर है और भाजपा भी पटलवार कर रही है। एक्सपर्ट भी इस पर खुलकर राय दे रहे हैं।
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इमरजेंसी लोकतंत्र की हत्या थी और आज वही लोग संविधान की प्रतियां लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने 1976 में जोड़े गए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की बात कही। उन्होंने ये भी कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान की आत्मा से छेड़छाड़ हुई थी। आज जो लोग लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं, वही उस हत्या के गुनहगार हैं।
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कांग्रेस ने इसे आरक्षण विरोधी मानसिकता बताया
कांग्रेस ने होसबोले के बयान को आरक्षण विरोधी मानसिकता बताया, जबकि इंडिया अलायंस के नेताओं ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये बयान दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडे को उजागर करता है। ये लोग संविधान बदलने की बात करते हैं, क्योंकि उन्हें समावेशी भारत से डर लगता है। आरएसएस और भाजपा की मंशा अब जगजाहिर है।
बीजेपी ने किया पलटवार
बीजेपी ने होसबोले का बचाव करते हुए कांग्रेस पर पलटवार किया। पार्टी ने कहा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई, वही आज संविधान की बात कर रहे हैं। बीजेपी ने दोहराया कि वह संविधान की मूल भावना की पूरी तरह से रक्षा करती है, लेकिन कांग्रेस आज भी इमरजेंसी और तानाशाही वाली मानसिकता के साथ जी रही है। कांग्रेस ने संविधान के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ किया था। हमें सिखाने की जरूरत नहीं है।
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जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
कांस्टीट्यूशनल एक्सपर्ट रोहित पाण्डे ने कहा कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की मूल संरचना को स्पष्ट करते हैं, इन्हें हटाना न तो आसान है और न ही व्यावहारिक। ऐसे में बड़ा सवाल उठताहै कि क्या होसबोले के बयान से बीजेपी को वैचारिक बढ़त मिलेगी या विपक्ष को एक और हमला करने का मौका? सियासत में हर बयान एक तीर बन जाता है किसे लगेगा? ये आने वाला वक्त बताएगा।