Piyush Goyal Shared Bad Experience : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपना एक ऐसा निराशाजनक अनुभव शेयर किया, जो कई खरीदारों को झकझोर देगा। पीयूष गोयल साल 2010 में अपने तैयार घर में प्रवेश नहीं कर सके थे, क्योंकि प्रोजेक्ट को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं मिला था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए एक कार्यक्रम में इस बात का खुलासा किया।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वे करीब 5 से 6 साल तक पूरी तरह तैयार घर में प्रवेश नहीं कर पाए, क्योंकि उसका ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं था। उनका यह बयान उन खरीदारों के लिए है, जिनको भुगतान करने के बाद भी अबतक मकान का पजेशन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एक समय यह अनिश्चितता भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में आम बात थी। अधूरे कागजी कार्रवाई की वजह से खरीदारों के घर वर्षों तक फंसे रहते थे। गोयल ने बताया कि खरीदारों को हमेशा इसी स्तर की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता था।
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रियल एस्टेट में रेरा से आई पारदर्शिता
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 2016 में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (RERA) की शुरुआत के साथ इस क्षेत्र में काफी बदलाव आया। रेरा से रियल एस्टेट में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि RERA ने यह सब बदल दिया है। RERA एक्ट डेवलपर्स को कब्जा सौंपने से पहले ऑक्यूपेशन और पूर्णता प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज प्राप्त करने के लिए बाध्य करता है। ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है, जो घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करता है। इसके बिना खरीदार कानूनी रूप से अपने घरों में नहीं जा सकते हैं और उन्हें पानी एवं बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंचने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
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बेईमान बिल्डर्स मार्केट से हुए बाहर
इस प्रमाण पत्र के बिना घरों को अवैध करार दिया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि RERA ने न केवल डेवलपर्स को अधिक जवाबदेह बनाया है, बल्कि मार्केट से बेईमान बिल्डर्स को बाहर निकालने में भी मदद की है।