Punit Renjen first Asian-American CEO Success story: कहते हैं अगर आपमें कुछ करने का जज्बा है तो, कोई भी चीज आपको नहीं रोक सकती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हरियाणा के एक छोटे से गांव रोहतक से निकलकर आईटी कंपनी डेलॉइट ग्लोबल के सीईओ बने पुनित रेनजेन हैं, जिनकी शानदार सोच का लोहा पूरी दुनिया मानती है। पुनित रेनजेन के पास एक समय स्कूल की फीस भरने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं थे लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि जिनके सपनों में जान होती है, उनके सपने हमेशा सच होते हैं।
2 जोड़ी जींस लेकर पहुंचे थे अमेरिका
पारिवारिक स्थिति अच्छी न होने के कारण पुनित को स्कूल छोड़ना पड़ा। हालांकि, सीखने और विकास करने की उनकी इच्छा कायम रही तथा उन्होंने रोहतक के एक कॉलेज से डिग्री लेकर स्नातक की उपाधि प्राप्त की और एक समाचार पत्र में विज्ञापन देखने के बाद नौकरी की तलाश में दिल्ली चले गए। बाद में, वह अपनी प्रसिद्ध ‘रोटरी स्कॉलरशिप’ की बदौलत वर्ष 1984 में संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने में सफल हुए। इस दौरान वे 2 जोड़ी जींस, कुछ 100 डॉलर और एक टेप रिकॉर्डर के साथ अमेरिका पहुंचे थे।
2015 में बने सीईओ
उनके जीवन में तब बदलाव आना शुरू हुआ, जब वर्ष 1989 में एक डेलॉइट पार्टनर ने एक स्थानीय पत्रिका में शीर्ष 10 छात्रों में उनका नाम देखा, जिससे उन्हें उस फर्म में नौकरी पाने में मदद की। इसके बाद पुनित लगातार कड़ी मेहनत करके अपने करियर में आगे बढ़े। पुनित को 2015 में एसोसिएट कंसल्टेंट से कंपनी के सीईओ के रूप में पदोन्नत किया गया। इसके बाद उन्होंने बिग फोर वैश्विक पेशेवर सेवा संगठनों में से एक का नेतृत्व करने वाले पहले एशियाई-अमेरिकी के रूप में इतिहास में अपनी जगह पक्की की।
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हरियाणा में स्वास्थ्य सेवा योजना विकसित की
इस दौरान अपने करियर में रेनजेन की सफलता ने उन्हें जरूरतमंद लोगों की मदद करने या सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए अपने पद का उपयोग करने से नहीं रोका। वहीं, कोविड-19 महामारी के दौरान, पुनित और डेलॉइट ने हरियाणा में एक स्वास्थ्य सेवा योजना विकसित की, जिससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज के क्षेत्र के लोगों को भी मदद मिली।