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क्या है भारत-चीन सीमा विवाद? 2020 में हुई थी हिंसक झड़प, सुलझने पर दोनों को होंगे ये फायदे

India China Border Dispute: भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख की सीमाओं को लेकर विवाद चल रहा है, जो सालों पुराना है, जिसे सुलझाने का प्रयास एक बार फिर दोनों देशों ने किया है, जिसके लिए सीमा प्रबंधन समझौता हुआ है और मनसरोवर यात्रा बहाल की गई है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Aug 31, 2025 12:36
India China Relations | Border Dispute | SCO Summit 2025
भारत और चीन के बीच 2 राज्यों के लेकर चल रहा सीमा विवाद काफी पुराना है।

India China Border Dispute: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन पहुंचे हैं, जहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। यह मुलाकात स्थानीय समयानुसार दोपहर के करीब 12 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे) हुई और दोनों के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई। PM मोदी 7 बाद चीन के दौरे पर गए और 10 महीने में राष्ट्रपति जिनपिंग से उनकी दूसरी मुलाकात हुई है।

सीमा विवाद सुलझने की हुई शुरुआत

बता दें कि साल 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी, जिसके चलते भारत ने चीन के लिए वीजा और फ्लाइट सर्विस बंद कर दी थी। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा हुआ था, लेकिन अब दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन पर समझौते और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली के साथ सीमा विवाद सुलझने की शुरुआत भी हो चुकी है। वहीं भारत और चीन के बीच 5 साल बाद सीधी उड़ानें भी शुरू होंगी। दोनों देश राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को फिर से मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

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भारत-चीन में क्या है सीमा विवाद?

बता दें कि भारत और चीन आपस में 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) शेयर करते हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र को लेकर विवाद है। इस विवाद ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को काफी प्रभावित किया है। भारत और चीन की सीमा का निर्धारण 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन रेखा के रूप में हुआ था, लेकिन चीन उस सीमा निर्धारण का विरोधी है और उसे नहीं मानता।

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तिब्बत के पास चीन की सीमा से लगता अरुणाचल प्रदेश राज्य है, जिसे सीमा के अनुसार, जो इस समय भारत का पूर्वी राज्य है, लेकिन चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा कहकर इसके चीन का राज्य होने का दावा किया है। वर्ष 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था, जिसने सीमा विवाद को और गहरा कर दिया, क्योंकि चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन पर कब्जा किया था और शिनजियांग स्टेट का हिस्सा बताया, जबकि भारत अक्साई चिन पर दावा करता है।

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क्या हुआ था गलवान घाटी में?

लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र अक्साई चिन पर विवाद के चलते ही दोनों देशों की सेनाओं में साल 2020 में गलवान घाटी में हिंकस झड़प हुई थी। गश्त और पेट्रोलिंग के दौरान हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इस झड़प के बाद दोनों देशों ने LAC पर सेना की तैनाती बढ़ा दी थी। चीन के लिए वीजा और फ्लाइट सर्विस सस्पेंड कर दी थी। गलवान हिंसा के बाद विवाद सुलझाने के लिए भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता हुई। परिणामस्वरूप दोनों देशों ने कुछ इलाकों से सैनिक हटा दिए।

लेकिन विवाद पूरी तरह सुलझा नहीं है। क्योंकि दोनों देश LAC के पास सड़कें, हवाई पट्टी और सैन्य चौकी बना रहे हैं। सीमा विवाद के चलते LAC पर भारत और चीन के बीच अकसर सैन्य संघर्ष होता रहता है। आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय सहयोग पर असर पड़ा है। 1993, 1996 और 2005 जैसे विवाद को लेकर समझौते हुए, लेकिन शर्तों का पूरी तरह पालन नहीं हुआ, क्योंकि सीमा विवाद और राष्ट्रीय हित टकराने के कारण अविश्वास को बढ़ावा मिला।

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विवाद सुलझ जाए तो यह होगा फायदा

भारत और चीन का सीमा विवाद सुलझ जाए तो आर्थिक और डिप्लोमेटिक फायदे होंगे। दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे और कई बड़े समझौते होंगे। चीन के साथ भारत के आर्थिक संबंध आगे बढ़ेंगे और मजबूत होंगे। सोलर पैनल, बैटरी और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में चीन का इन्वेस्टमेंट बढ़ने से औद्योगिक निर्भरता घटेगी और आर्थिक विकास होगा। पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना की तैनाती, गश्ती और पेट्रोलिंग बढ़ सकती है। BRICS और SCO समिट में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

आर्थिक संबंध सुधरने से 1.45 अरब की आबादी वाली भारतीय मार्केट चीन को मिल जाएगी। चीन का भारत के साथ निर्यात व्यापार बढ़ेगा तो आर्थिक दबाव भी कम होगा, जिससे मंदी जैसी समस्याओं से निपटना चीन के लिए संभव होगा। भारत से सीमा विवाद सुलझने से चीन ताइवान से चल रहे विवाद पर फोकस कर पाएगा। एंटी-चाइना गठबंधन क्वाड कमजोर पड़ेगा और चीन की स्थिति वैश्विक स्तर पर मजबूत होगी। BRICS संगठन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग मजबूत स्थिति में नजर आएंगे।

First published on: Aug 31, 2025 11:44 AM

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