प्रशांत देव, न्यूज 24, दिल्ली
CBI Operation Chakra strike on cyber crime : अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराध नेटवर्क के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखते हुए, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ऑपरेशन चक्र- II चलाया, जिसका उद्देश्य भारत में संगठित साइबर-समर्थित वित्तीय अपराधों के बुनियादी ढांचे का मुकाबला करना एवं उन्हें ध्वस्त करना है। यह ऑपरेशन निजी क्षेत्र के दिग्गजों के साथ-साथ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से चलाया गया।
पांच अलग-अलग मामलों में सीबीआई का एक्शन
राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के दौरान, सीबीआई ने पांच अलग-अलग मामलों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल व हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में 76 स्थानों पर गहन तलाशी ली।
ऑपरेशन चक्र-II के परिणामस्वरूप, 32 मोबाइल फोन, 48 लैपटॉप/हार्ड डिस्क, दो सर्वर की तस्वीरें, 33 सिम कार्ड एवं पेन ड्राइव जब्त कर लिए गए तथा कई बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। सीबीआई ने 15 ईमेल खातों के डंप को भी जब्त कर लिया, जिससे आरोपियों द्वारा रची गई घोखाधड़ी के जटिल तंत्र का पता चला।
धोखाधड़ी के दो मामले आए सामने
ऑपरेशन चक्र-II के तहत लक्षित मामलों में, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहायता प्रदान करने वाले धोखाधड़ी के घोटाले के दो मामले सामने आए। इन मामलों में, आरोपियों ने एक वैश्विक आईटी प्रमुख कम्पनी एवं एक ऑनलाइन संचालित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म वाले बहुराष्ट्रीय निगम का परनाम धारण किया। 5 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कई कॉल सेंटर संचालित करने वाले आरोपी, तकनीकी सहायता प्रतिनिधियों के रूप में भेष बदलकर, विदेशी नागरिकों को शिकार बनाते थे। आरोप है कि इन केंद्रों से जुड़ी धोखाधड़ी वाली गतिविधियां पिछले पांच वर्षों से जारी थीं, अपराधियों ने अवैध रूप से पैसा इक्क्ठा करने के लेन देन को सुविधाजनक बनाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय भुगतान गेटवे एवं चैनलों को नियोजित किया था।
पॉप-अप मैसेज के माध्यम से पीड़ितों से करते थे संपर्क
आगे यह आरोप है कि कई घोटालेबाज समूह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं दिल्ली सहित कई राज्यों में इन कॉल सेंटरों को संचालित करने में संलिप्त थे और दो प्रसिद्ध बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के तकनीकी सहायता प्रतिनिधियों का परनाम धारण करके विदेशी नागरिकों को धोखा दे रहे थे। इन घोटालेबाजों ने कथित तौर पर इन प्रतिष्ठित तकनीकी कंपनियों हेतु ग्राहक सहायता एजेंट के रूप में स्वयं को पेश किया। यह भी आरोप है कि ये घोटालेबाज इंटरनेट पॉप-अप संदेशों के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करते थे, जो गलत तरीके से इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों (शिकायतकर्ताओं) के सुरक्षा अलर्ट के रूप में प्रतीत होते थे।
दो अलग-अलग मामले किए गए दर्ज
पॉप-अप संदेशों में कपटपूर्ण तरीके से दावा किया जाता था कि उपभोक्ता के कंप्यूटर में विभिन्न तकनीकी समस्याएं है। जालसाज वैश्विक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (शिकायतकर्ता) वाली उक्त एमएनसी की विभिन्न फर्जी सदस्यताएं बेचते/पेश करते। एक टोल-फ्री नंबर दिया जाता, जहां पीड़ित संपर्क करेगा एवं कॉल उनके (आरोपियों के) ई-कॉल सेंटर में आ जाती थी। इसके पश्चात, ये कंपनियां, पीड़ित के कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस ले लेती थीं और पीड़ित को गैर-मौजूदा समस्याओं के होने के बारे में समझाती थीं तथा फिर कथित तौर पर इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों (शिकायतकर्ताओं) का परनाम धारण कर अनावश्यक सेवाओं के लिए उन्हें सैकड़ों डॉलर का भुगतान करवाते। पीड़ित मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी आदि से हैं। 08 निजी कंपनियों एवं अन्यों के विरुद्ध उक्त आरोपों के आधार पर की गई शिकायतों पर दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए।
जाली क्रिप्टो माइनिंग ऑपरेशन की आड़ में दिया अंजाम
इसके अलावा, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट-इंडिया (एफआईयू-इंडिया) की महत्वपूर्ण जानकारी से प्रेरित ऑपरेशन चक्र-II ने एक उन्नत क्रिप्टो-मुद्रा वाली धोखाधड़ी के संचालन का भंडाफोड़ा।जाली क्रिप्टो माइनिंग ऑपरेशन की आड़ में इस दुस्साहसिक योजना ने कथित तौर पर भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय पीड़ितों को 100 करोड़ रु.से अधिक की हानि हुई। न्याय हेतु सीबीआई की निरंतर तलाश से यह सुनिश्चित होता कि इस निंदनीय कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून की पूर्ण शक्ति का सामना करना पड़े।
वेबसाइट बनाकर करते थे उगाही
आरोप है कि धोखेबाजों ने एक डुप्लीकेट क्रिप्टोकरेंसी टोकन बनाया, जिससे निवेशकों को बिटकॉइन एवं अन्य क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में निवेश से समुचित वापसी के वादे के साथ लुभाया। यह भी आरोप है कि आरोपियों ने एक प्रसिद्ध भारतीय अमेरिकी क्रिप्टो टेक्नोलॉजिस्ट की तस्वीर का उपयोग करके एक वेबसाइट बनाई, निवेशकों को यह विश्वास दिलाया कि उनके धन का उपयोग खनन मशीनें खरीदने के लिए किया जाएगा। कथित तौर पर गढ़ी(minted ) गई क्रिप्टोकरेंसी से हुए लाभ को निवेशकों के बीच वितरित किया जाएगा। ऐप अगस्त 2021 तक संचालित हुआ, इस दौरान बिना सोचे-समझे भारतीय नागरिकों ने ऐप में विभिन्न एकीकृत भुगतान गेटवे एवं एग्रीगेटर्स के माध्यम से निवेश किया। प्रारंभ में, निवेशकों को उनका विश्वास जीतने के लिए कथित तौर पर रिटर्न दिया गया, लेकिन अगस्त 2021 के बाद सभी भुगतान बंद कर दिये गए।
ऐसे की गई जालसाजी
आरोपियों ने निवेशकों को वित्तीय संकट में डालकर कथित तौर पर 168.75 करोड़ रु.(लगभग) भुगतान सेवा केन्द्र की सेवाओं के माध्यम से एकत्र किया। आगे यह भी आरोप है कि जालसाजों ने अपने पीड़ितों को धोखा देने के लिए निर्दिष्ट एप्लिकेशन भी विकसित किए। जांच के दौरान, 150 खातों की पहचान की गई, जिनमें 46 मुखौटा कंपनियों, 42 प्रोपराइटरशिप फर्मों एवं 50 व्यक्तिगत खाते शामिल हैं, जो जनता से पैसा इकट्ठा करके, उसे वैध बनाने एवं उन्हें अंतिम लाभार्थियों को हस्तांतरित करने के लिए वाहक (conduits) के रूप में काम कर रहे थे। इनमें से अधिकांश धनराशि कथित तौर पर निष्क्रिय मुखौटा कंपनियों एवं व्यक्तिगत बचत व चालू खातों के माध्यम से भेजी गई। यह मामला दो निजी कंपनियों, उनके निदेशकों एवं अज्ञात अन्य लोगों के विरुद्ध दर्ज किया गया।
सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय पुलिस का लिया साथ
ऑपरेशन चक्र- II के दौरान एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर, इन अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने हेतु व्यापक कार्रवाई के लिए चिन्हित पीड़ितों, मुखौटा कंपनियों, अवैध रूप से धन प्राप्त करने एवं भेजने वाले चिन्हित अपराधियों, अपराध से प्राप्त की गई चिन्हित धनराशि, आरोपियों के विवरण के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विधि प्रवर्तन एजेंसियों को सूचित किया जा रहा है। आगे के सुरागों की जानकारी हेतु सीबीआई अपने अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग से मिलकर काम कर रही है, जिसमें यूएसए की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टिगेशन(एफबीआई), इंटरपोल के साइबर क्राइम डाइरेक्टरेट एवं आईएफसीएसीसी, यूनाइटेड किंगडम स्थित नेशनल क्राइम एजेंसी (एनसीए), सिंगापुर पुलिस फोर्स तथा जर्मनी की बीकेए शामिल हैं।
इन मामलों में जांच जारी
इससे पहले, वर्ष 2022 में, सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र चलाया था, जो संगठित साइबर समर्थित वित्तीय अपराध के नेटवर्क से निपटने एवं उसे ध्वस्त करने के लिए इंटरपोल से सहायता प्राप्त वैश्विक कार्रवाई की थी। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्राधिकारो में स्थित पीड़ितों, आरोपियों, संदिग्धों, साजिशकर्ताओं के साथ संगठित साइबर समर्थित वित्तीय अपराधों के तेजी से बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रसार हेतु विश्व स्तर पर समन्वित कानून प्रवर्तन प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। इन तेजी से बढ़ते उन्नत अपराधों में परनाम धारण के घोटाले, मेल घोटाले, फ़िशिंग घोटाले, रोमांस घोटाले, लॉटरी घोटाले आदि जैसे अपराध शामिल हैं। बड़ी संख्या में निर्दोष पीड़ित ऐसे घोटालेबाजों के हाथों भारी रकम खो देते हैं। इन संगठित अपराधियों के पास वैश्विक पहुँच और वे डेटा हार्वेस्टिंग, अनुकूलित संदेश, मनी म्यूल्स(money mules), रिमोट एक्सेस सॉफ़्टवेयर, संचालन हेतु कॉल सेंटर मॉडल आदि सहित उन्नत तकनीकों का प्रयोग करते हैं।