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World Liver Day 2025: लिवर का बड़ा दुश्मन कौन? चीनी या शराब, जानें डॉक्टर की राय

World Liver Day 2025: आज दुनियाभर में विश्व लिवर दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन लिवर के स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस साल की थीम है फूड इज मेडिसिन यानी खाना ही प्राथमिक दवा है। इस तर्ज पर ही जानते हैं कि लिवर के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले दो फूड्स चीनी और शराब में से सबसे ज्यादा खतरनाक कौन सा है?

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 19, 2025 11:26

World Liver Day 2025: हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को शरीर के सबसे जरूरी अंग लिवर के बारे में जागरूक करने और इसके स्वास्थ्य को सही रखना क्यों जरूरी है यह बताया जाता है। क्या आप जानते हैं लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग होता है। इसका प्रतिदिन हमारे शरीर में 500 से अधिक अलग-अलग काम होता है। लिवर ही हमारे शरीर में सबसे ज्यादा काम करता है। इस अंग की खासियत यहीं है कि यह थोड़ा बहुत खराब होने पर खुद ही रिकवर हो जाता है। इस वर्ष लिवर दिवस की थीम फूड इज मेडिसिन है। इसका मतलब होता है खाना ही पहली दवा है। अगर हमारी डाइट और खान-पान सही है, तो लिवर स्वस्थ रहेगा और सेहत भी सही रहेगी। भोपाल के मुख्य चिकित्सा डॉ. प्रभाकर तिवारी से जानते हैं कि फैटी लिवर रोग की बीमारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है या नहीं।

क्या है फैटी लिवर?

फैटी लिवर, जिसे हेपेटिक स्टेटोसिस के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर की सेल्स में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। हालांकि, अगर लिवर के कुल वजन में फैट 5-10% से ज्यादा है, तो इसे असामान्य माना जाता है और यह फैटी लिवर डिजीजा का संकेत हो सकता है।

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एल्कोहॉलिक और नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर को समझें

डॉक्टर प्रभाकर तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, राजधानी भोपाल बताते हैं कि दोनों तरह के फैटी लिवर का पैथोजेनेसिस (बीमारी की उत्पत्ति और विकास) एक जैसा है, लेकिन एटियोलॉजी (कारण) अलग-अलग है। एल्कोहॉलिक फैटी लिवर अत्यधिक शराब के सेवन से होता है, जबकि नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर अनहेल्दी खान-पान और डाइट संबंधी आदतों के कारण होता है।

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डॉक्टर के अनुसार, नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर मुख्य रूप से हाइ फैट वाली डाइट के अधिक सेवन और नॉन फिजिकल एक्टिवी लाइफस्टाइल के कारण होता है। जब हम अपनी इस दिनचर्या को नियमित रूप से दोहराते हैं, तो इससे लिवर में फैट जमा होने लगता है। यहीं आगे चलकर लिवर में सूजन और डैमेज को बढ़ावा देती है।

इन्हें ज्यादा रिस्क

डॉ. प्रभाकर तिवारी के अनुसार, फैटी लिवर और मोटापे के बीच भी एक गहरा संबंध है। फैटी लिवर और मोटापा दोनों अक्सर साथ-साथ चलते हैं। टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में फैटी लिवर रोग विकसित होने का जोखिम अधिक होता है।

चीनी या शराब,क्या ज्यादा हानिकारक

चीनी और शराब दोनों ही अलग-अलग हैं लेकिन लिवर के लिए समान रूप से खतरनाक हो सकते हैं। शराब सीधे लिवर के लिए जहरीली होती है, जबकि चीनी धीमे जहर के रूप में लिवर को डैमेज काम करती है, जिससे लंबे समय तक नुकसान होता है। चीनी के अधिक सेवन से मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज भी हो सकता है। इसलिए, शराब एक तेजी से काम करने वाला जहर है और चीनी एक धीमी गति से काम करने वाला जहर है। मगर दोनों ही लिवर को डैमेज करने में अपनी भूमिका निभाते हैं।

पैरासिटामोल का लिवर पर क्या असर?

एनाल्जेसिक और एंटीपायरेटिक्स दवाएं आमतौर पर लिवर की तुलना में किडनी को अधिक प्रभावित करती हैं। एनाल्जेसिक पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं और एंटीपायरेटिक्स बुखार को कम करने के लिए रोगियों को दी जाने वाली आम मेडिसिन हैं। वे शरीर के बढ़े हुए तापमान को कम करने में मदद करते हैं। एनाल्जेसिक किडनी की कार्यक्षमता को लिवर की तुलना में ज्यादा प्रभावित करती है। वहीं, पैरासिटामोल से लिवर पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

फैटी लिवर के संकेत

  • पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में भारीपन या दर्द।
  • लगातार थकान या कमजोरी महसूस करना।
  • कम भूख और जल्दी पेट भरना।
  • वजन बढ़ना और मोटापा।
  • पेट फूलना और पेशाब का रंग बदलना।

हेल्दी लिवर टिप्स

ग्राफिक्स की मदद से समझें…

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

First published on: Apr 19, 2025 11:26 AM

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