Rabies Symptoms In Human: जानवरों से प्रेम करने की सलाह आजकल खूब दी जाती है, मगर कई बार जानवर इतने घातक हो जाते हैं कि वह इंसान की जान तक ले लेते हैं। पिछले कुछ समय में कुत्ते के अटैक से लोग परेशान थे, मगर अब लोग कुत्ते के काटने से होने वाली रेबीज बीमारी से खौफ में है। हाल ही में नेशनल कबड्डी प्लेयर बृजेश सोलंकी की जान भी रेबीज की वजह से चली गई थी। उन्होंने स्ट्रीट डॉग को बचाया था, जिसने उन्हें काट लिया था। इस मामले से यह पता चलता है कि लापरवाही से कैसे आप अपनी जान को जोखिम में डाल सकते हैं। उन्होंने वैक्सीन नहीं लिया था, जिस कारण ऐसा हुआ। आइए जानते हैं इस पर WHO की गाइडलाइन्स और डॉक्टर की राय।
पिछले कुछ दिनों में लगातार मिले मामले
एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में पिछले 6 महीने के अंदर-अंदर 2.5 लाख कुत्ते के काटने के केस और 19 लोगों की रेबीज से मौतें हुई हैं। इस हफ्ते हुबली जंक्शन में एक बच्ची को भी कुत्ते ने काटा है। गाजीपुर में भी एक युवक को कुत्ते ने काट लिया जिसके बाद उसने डॉक्टर से इलाज न करवाके झाड़ फूंक की मदद ली, जिसने उसकी जान ले ली। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में सालाना 22 लाख से ज्यादा केस रेबीज के मिलते हैं, जो चिंताजनक है। हालांकि, कई बार इनमें ऐसे मामले भी मिले हैं, जो पालतू जानवरों के हैं।
ये भी पढ़ें- पल्मोनरी फाइब्रोसिस कितनी गंभीर बीमारी है? डॉन डायरेक्टर का इसी से निधन, जानें शुरुआती संकेत
पालतू कुत्ते और बिल्ली का रेबीज वैक्सीनेशन शेड्यूल कैसा होना चाहिए?
रेबीज का पहला टीका पिल्ले या बिल्ली के बच्चे को तीन महीने की उम्र में लगाया जाना चाहिए। इसके बाद 1 साल के अंदर उन्हें बूस्टर डोज देना जरूरी होता है। WHO और भारतीय पशु चिकित्सा परिषद (VCI) की गाइडलाइन्स के मुताबिक, रेबीज वैक्सीन की वैधता एक वर्ष तक ही मानी जाती है। इसके बाद पेट को नया डोज देना जरूरी होता है। इन बातों का ख्याल रखेंगे तो पालतू जानवरों को सुरक्षित रख सकते हैं।
क्या बचाव किया जा सकता है?
झारखंड के पब्लिक हेल्थ सेक्टर के डॉक्टर अनुज कुमार बताते हैं कि अगर किसी इंसान के काटने के बाद तुरंत इलाज करवाना जरूरी है। यदि आपको कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही है, तो जानवर को काटने के बाद कम से कम 10 दिनों तक निगरानी में रखें। अगर वह इस दौरान सामान्य रहता है, तो रेबीज ट्रांसमिशन की संभावना बहुत कम होती है। वहीं, अगर जानवर की मृत्यु हो जाए, लक्षण दिखें, या वह लापता हो जाए, तो व्यक्ति को पूरी वैक्सीनेशन ले लेनी चाहिए।
आवारा पशु के काटने पर क्या करें?
गली के कुत्ते या बिल्ली के काटने के बाद सबसे पहले तो आपको नजदीकी अस्पताल में जाना चाहिए। अगर जानवर का मल या थूक आपकी त्वचा पर लगा है, तो उस जगह को तुरंत पानी और साबुन की मदद से साफ करें। अगर आवारा जानवर को रेबीज है, तो 2 से 10 दिन के अंदर ही आपको लक्षण दिखने लगेंगे। इसके लक्षणों में हाथ-पैर सुन्न होना, दर्द और कंपकंपी शामिल है। इसके अलावा, बुखार या बिहेवियर में बदलाव देखने को मिलता है।
ध्यान देने योग्य बातें
रेबीज एक बार हो जाए, तो उसके बचने की संभावना काफी कम हो जाती है। मगर समय पर वैक्सीन और इलाज से बचाव किया जा सकता है। इस बात का खास ख्याल रखें कि अगर आपको किसी स्ट्रीट डॉग या ऐसा जानवर जिसकी हरकतें बाकी कुत्तों से अलग दिखाई दे रही हैं, तो वह भी रेबीज से पीड़ित हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर किसी आवारा जानवर को कोई चोट लगी है और वह आपको काट लेता है तो भी इलाज में देरी करने से बचना चाहिए।
ये भी पढ़ें- क्या होता है इनक्यूबेटर? मशीन की कमी से पाकिस्तान में हुई बच्चे की मौत, कब पड़ती है जरूरत