Incubator Explainer: पाकिस्तान के सिंध में जैकोबाबाद में एक नवजात शिशु ने अस्पताल में इनक्यूबेटर न होने की वजह से दम तोड़ दिया। यह मामला रविवार का है, जब एक पिता अपनी नवजात बेटी को लेकर अस्पतालों के चक्कर काट रहा था। मगर उसे निजी अस्पताल से लेकर सरकारी में भी इनक्यूबेटर नहीं मिला। इसके बाद एक अस्पताल ने उन्हें सुक्कुर जाने की सलाह दी, तो बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। यह इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवा के हालात भी खस्ता हैं। आपने अक्सर अस्पतालों में देखा होगा कि नवजात शिशुओं को एक डिब्बेनुमा मशीन के अंदर रखा जाता है, खासतौर पर जब वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं होते हैं या कुछ घंटों पहले पैदा होते हैं। यह मशीन ही इनक्यूबेटर होती है। चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं इस उपकरण के बारे में।
क्या होता है इनक्यूबेटर?
इनक्यूबेटर एक मशीन होती है, जो विशेष रूप से नवजातों के लिए बनाई गई है। इस मशीन में प्रीमैच्योर, समय से पहले या कमजोर नवजातों को रखा जाता है। इस मशीन में उन्हें सुरक्षित, नियंत्रित और साफ वातावरण मिलता है। इनक्यूबेटर की मदद से बच्चे के शरीर के तापमान, नमी और ऑक्सीजन को कंट्रोल में रखा जाता है। आजकल यह डिवाइस सभी निजी व सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होने लगा है। अधिकांश इस डिवाइस का यूज बच्चे को शुरुआती दिनों में साफ वातावरण और साफ ऑक्सीजन प्रोवाइड करने के लिए किया जाता है। शिशु के विकास करने में इस मशीन की भी भूमिका रहती है।
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क्यों जरूरी है यह मशीन?
इस मशीन का इस्तेमाल कई मामलों में किया जाता है।
प्रीमैच्योर बेबी
ऐसे शिशु जो 37 सप्ताह से कम में पैदा होते हैं, उनके लिए यह मशीन बहुत जरूरी होती है क्योंकि उनके शरीर में तापमान नियंत्रण करने की क्षमता नहीं होती है। इसके अलावा, इनकी त्वचा भी पतली होती है, जिस वजह से इनका शरीर गर्म नहीं रह पाता है। इनक्यूबेटर इनके शरीर को गर्म रखता है।
कम वजन वाले बच्चे
जो बच्चे 2.5 किलोग्राम से कम वजन वाले होते हैं, उनको हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान कम होना) का खतरा रहता है। इसलिए, इनक्यूबेटर इनके लिए भी जरूरी होता है।
रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स
कुछ नवजात बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है, जैसे रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम। इनक्यूबेटर की मदद से उन्हें ऑक्सीजन मिलती है और नियंत्रित वातावरण से उन्हें सांस लेने में मदद मिलती है।
संक्रमण से बचाव
कई बार नवजात बच्चे का शरीर कमजोर होता है, जिस कारण उनकी इम्यूनिटी भी मजबूत नहीं हो पाती है और इस वजह से उनका शरीर बीमारियों के घेरे में आता रहता है। इनक्यूबेटर की मदद से उन्हें सुरक्षित रखा जाता है।
कुछ जरूरी मामलों में
अगर कोई बच्चा सी-सेक्शन या सर्जरी के माध्यम से पैदा हुआ है या बच्चा डिसेबल है, तो भी उसे इनक्यूबेटर में रखा जाता है।
इनक्यूबेटर कैसे काम करता है?
इनक्यूबेटर मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- Neonatal Incubator और Egg Incubator।
नियोनेटल इनक्यूबेटर का काम नवजात को सही तापमान, ऑक्सीजन और नमी प्रदान करना होता है। उसे इस मशीन में साफ हवा मिलती है और इसमें बच्चे की दिल की धड़कनों और सांस लेने की क्षमता की मॉनिटरिंग होती है।
एग इनक्यूबेटर बच्चों के लिए नहीं होते हैं। इसमें पक्षियों के अंडों को सुरक्षित रखा जाता है, ताकि उनमें से चूजे निकल सकें।
बिना इनक्यूबेटर नवजात कितने समय तक जीवित रह सकता है?
प्रीमैच्योर बेबी की पैदा होने के कुछ घंटों से लेकर 1-2 दिन के अंदर कभी भी मौत हो सकती है। वहीं, यह समय घट भी सकता है यदि बच्चे के किसी अंग का विकास ना हुआ हो तो। फुल टर्म बेबी यदि हेल्दी पैदा हुआ है, तो वह बिना इनक्यूबेटर जिंदा रह सकता है।
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे को पीलिया, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम, पैदा होने पर डायबिटीज है या डिलीवरी देर से हुई है, तो उसे भी बहुत जरूरी होता है। ऐसी स्थिति में भी शिशु की मौत कभी भी हो सकती है।
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