Liver Damage Causes: लिवर की बीमारियां दुनियाभर के मेडिकल डिपार्टमेंट के लिए गंभीर हो रही हैं। इससे संबंधित बीमारियां आए दिन बढ़ रही हैं। लिवर के रोग, इस प्रकार के रोग हैं जिसमें लिवर के अंदर सूजन या इन्फेक्शन जैसी चीजें हो सकती हैं। यह अंग हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है, जिसकी कार्यप्रणाली बाधित होने से सेहत को कई प्रकार से नुकसान पहुंच सकता है। फैटी लिवर, लिवर इंफ्लामेशन और लिवर डैमेज, इनमें अहम रोग हैं। एक नई रिसर्च में पाया गया है कि हाथों और पैरों में खुजली होना लिवर की बीमारी का एक संकेत हो सकता है। इसे प्रुरिटस बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, जो लिवर डैमेज से ही संबंधित होता है। आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
टाइम्स नाऊ में पब्लिश एक रिपोर्ट की मानें तो, अमेरिका के न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. एरिक बर्ग बताते हैं कि बाइल सॉल्ट्स, जो कि पित्त में नमक का प्रमुख घटक होता है, उसके कारण होता है। दरअसल, पित्त के इस भाग के असंतुलन के कारण ही शरीर के कुछ अंगों जैसे कि हाथों और पैरों में खासकर रात के समय में खुजली अधिक महसूस होती है। यह दिक्कत ड्राई स्किन में ज्यादा आम है। डॉक्टर कहते हैं कि कभी-कभी थोड़ी खुजली होना चिंता का विषय नहीं है। लेकिन लगातार खुजली होने से नींद में बाधाएं पैदा होती है और कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
खुजली के कारण क्या हैं?
लिवर डैमेज में खुजली होना सामान्य है लेकिन कुछ लोगों में यह समस्या ज्यादा गंभीर होती है, खासतौर पर रात के समय में या फिर शाम के समय भी कुछ लोगों में यह परेशानी देखने को मिलती है। वहीं, कई लोगों में खुजली उनके अंगों, पैरों के तलवों या हाथों की हथेलियों पर होती है, जबकि अन्य लोगों को पूरे शरीर में खुजली होती है। हालांकि, लिवर डिजीज से होने वाली खुजली में स्किन रैशेज या दाने होने जैसी परेशानी नहीं होती है। वहीं, एक्सपर्ट कहते हैं कि खुजली होने का अबतक कोई ठोस कारण नहीं मिला है लेकिन प्रेग्नेंसी में, प्राइमरी बाइलियरी सिरोसिस की समस्या और हेपेटाइटिस की समस्या होने पर खुजली हो सकती है।
खुजली रोकने के कुछ उपाय
लिवर की बीमारी के कारण होने वाली खुजली अपने आप ठीक नहीं हो सकती है। इसका भी इलाज किया जा सकता है। क्योंकि इसके कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, इसलिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा उपचार करना बेहतर विकल्प है। इसके लिए कई तरह की थेरेपी भी हैं, जो डॉक्टर के परामर्श से ली जा सकती हैं। इसके अलावा, रोजाना नहाना, ठंडे पानी से नहाना, धूप में कम समय बिताना, ढीले-ढाले, हवादार कपड़े पहनना और फ्रेग्रेंस फ्री क्रीम्स या लोशन का यूज करना शामिल है।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।