Heart Valve Disease: इस आर्टिकल में हम आपके लिए हृदय वाल्व रोग के बारे में अहम जानकारी लेकर आए हैं। ये खासकर उन मरीजों के लिए जरूरी है जिनकी हार्ट वाल्व सर्जरी हो चुकी है। हृदय वाल्व रोग के तहत पहली बार 1913 में दिल के वाल्व का सर्जिकल ऑपरेशन हुआ था। हृदय वाल्व रोग के लक्षण से लेकर इसके इलाज के बारे में कार्डिएक सर्जन डॉ.अतनु साहा ने विस्तार से बताया है।
डॉ. अतनु साहा फिलहाल कोलकाता के रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज में बतौत सलाहकार अपनी सेवा दे रहे हैं। वह कहते हैं कि जो भी व्यक्ति हृदय वाल्व रोग का शिकार होता है तो उसके हृदय के वाल्व काम करना बंद कर देते हैं। आखिर ये वाल्व होते क्या हैं और कैसे काम करते हैं, इसके बारे में नीचे विस्तार से जानिए…
हमारे दिल में चार तरह के वाल्व (Valve) होते हैं
डॉ. अतनु साहा के अनुसार, हमारे दिल में चार तरह के वाल्व (Valve) होते हैं, जो खून के दिल में जाने पर खुलते हैं और खून के विपरीत दिशा में जाने पर बंद हो जाते हैं, लेकिन जब ये वाल्व खराब होते हैं, तो ये संकुचित और कठोर (Compressed and Hardened) हो जाते हैं। जिसकी वजह से वाल्व ब्लड के आने-जाने पर खुल या बंद नहीं हो पाते हैं। इसी स्थिति को हृदय वाल्व रोग (Heart Valve Disease) कहते हैं।
चार वाल्व कौन-कौन से होते हैं
एक इंसान के दिल में चार वाल्व होते हैं। इन्हें ट्राइकसपिड, पल्मोनरी, माइट्रल और एओर्टिक नाम से जाना जाता है। इन वाल्व में टिश्यू फ्लैप होते हैं, जो प्रत्येक दिल की धड़कन के साथ खुलते और बंद होते हैं। फ्लैप यह सुनिश्चित करते हैं कि हृदय के चार कक्षों और पूरे शरीर में खून सही दिशा में बहता रहे। उनका मुख्य कार्य कम से कम प्रतिरोध के साथ रक्त के यूनिडायरेक्शनल प्रवाह को बनाए रखना है।
वाल्व के खराब होने पर क्या होता है?
हृदय वाल्व रोग दिल के चार वाल्वों में से किसी एक या अधिक को प्रभावित कर सकता है । जब वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो यह हृदय के माध्यम से सामान्य रक्त संचार को बाधित कर सकता है। हृदय वाल्व निम्न स्थितियों में से एक या दोनों विकसित कर सकते हैं
पुनरुत्थान या अपर्याप्तता- इसमें वाल्व पूरी तरह से बंद नहीं हो सकता है।
स्टेनोसिस- इस स्थिति में वाल्व का खुलना संकरा हो जाता है।
1. पुनरुत्थान या अपर्याप्तता- इस स्थिति में कभी-कभी वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और पूरी तरह से बंद होने में विफल हो जाते हैं। ऐसा होने से रक्त उल्टी दिशा में लीक होता हरै, जिससे वह पूरे शरीर में नहीं पहुंच पाता। इससे फेफड़ों में दबाव बना सकता है।
2. वाल्व स्टेनोसिस (Valve Stenosis)
इस स्थिति में वाल्व संकरे हो जाते हैं। लिहाजा वेंट्रिकल में कम रक्त भर सकता है। यह शरीर में पंप किए गए रक्त की मात्रा को सीमित करता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
हृदय वाल्व रोग के लक्षण
- दिल की धड़कन तेज होना
- सीने में दर्द
- थकान
- पैर में सूजन
- चक्कर आना
- सोने में दिक्कत
- सांस लेने में तकलीफ
- पैर में सूजन
क्या है हृदय वाल्व रोग का इलाज
इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर लक्षणों के अलावा आपके वाल्व को हुए नुकसान का पता लगाने के लिए कुछ जाचें करेगा। वह आपके खून के नमूने ले सकता या फिर वाल्वों के खुलने और बंद होने और वाल्वों के माध्यम से बहने वाले रक्त की आवाज सुनकर पता लगाने की कोशिश कर सकता है। इसके लिए एक्सरे की मदद ली जाती है। साथ ही (अल्ट्रासाउंड) के तहत भी वाल्वों का पता किया जा सकता है। इस जांच के जरिए एक इकोकार्डियोग्राम नामक एक चित्र बनाता है, जिसका उपयोग डॉक्टरों द्वारा क्षति और बीमारी का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
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सामान्य स्थिति में वाल्व की मरम्मत की जाती है
अगर आपके वाल्व सामान्य हैं और उन्हें दवा से ठीक किया जा सकता है तो डॉक्टर्स कुछ दवांए देते हैं, लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर वाल्व को बदलने का सुझाव देते हैं। यदि वाल्व की मरम्मत करनी है तो सर्जन एनुलोप्लास्टी करते हैं। इस दौरान सर्जन वाल्व पर जमे कैल्शियम को हटाता है और उसकी मरम्मत करता है।
पहला विकल्प- प्रोस्थेटिक वाल्व के साथ वाल्व रिप्लेसमेंट
जिन लोगों का वाल्व खराब हो जाता है रिप्लेसमेंट का सलाह दी जाती है। इस स्थिति में ऑपरेशन की मदद से खराब वाल्व की जगह कृतिम वाल्व लगाया जाता है। एक कृत्रिम वाल्व या तो एक ऊतक या यांत्रिक वाल्व हो सकता है। वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी इस बीमारी में एक बढ़िया और प्रभावी इलाज है। यांत्रिक वाल्व टाइटेनियम जैसे मजबूत, सुरक्षित, अच्छी तरह से परीक्षण की गई सामग्री से बने होते हैं। जिन लोगों में यह लगाए जाते हैं उन्हें खून पतला करने वाली दवा के साथ अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखना होता है।
दूसरा विकल्प- ऊतक (बायोप्रोस्थेटिक) वाल्व
सभी ऊतक वाल्व जानवरों के ऊतकों से बने होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से लंबे समय तक चलने में मदद करने के लिए इलाज किया जाता है। ऊतक वाल्वों का मुख्य लाभ यह है कि आम तौर पर आजीवन रक्त को पतला करने वाली दवाओं या किसी आहार प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही, यह प्रसव उम्र की युवा महिलाओं के लिए उपयोगी है।
1960 तक कृत्रिम वाल्व उपलब्ध नहीं हुए थे
1913 से 1960 के दशक तक तक कृत्रिम वाल्व उपलब्ध नहीं हो पाए थे, तब तक इस बीमारी से गृस्त मरीजों का इलाल नहीं किया जा सकता था, लेकिन अब अब वाल्व के खराब होने पर उसकी जगह नए वाल्ड आसानी से लगाए जा रहे हैं। इन वाल्व की मदद से ही रोगी सक्रिय जीवन शैली में वापस लौटे हैं।
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