---विज्ञापन---

जेनरिक और ब्रांडेड दवाई में क्या है अंतर! PM Modi ने खोले हैं सस्ते केंद्र

Generic and Branded Medicines Difference: दवाइयां तो लगभग अब हर फैमिली का हिस्सा बन चुकी हैं। ज्यादातर परिवारों में कोई न कोई ऐसा होता ही है जो रोजाना मेडिसिन लेता ही है। दवाइयों के बाजार में ज्यादा चर्चा जेनरिक मेडिसिन को लेकर होती है। आपको बता दें, ब्रांडेड मेडिसिन और जेनरिक मेडिसिन को लेकर भी […]

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Feb 5, 2024 23:02
Share :
branded vs generic drugs examples,difference between generic and branded medicine in india,why generic drugs don't work,generic medicine and branded medicine difference in hindi,generic name vs brand name,problems with generic drugs,list of generic drugs and their brand names,difference between generic and brand name drugs pdf
branded vs generic

Generic and Branded Medicines Difference: दवाइयां तो लगभग अब हर फैमिली का हिस्सा बन चुकी हैं। ज्यादातर परिवारों में कोई न कोई ऐसा होता ही है जो रोजाना मेडिसिन लेता ही है। दवाइयों के बाजार में ज्यादा चर्चा जेनरिक मेडिसिन को लेकर होती है। आपको बता दें, ब्रांडेड मेडिसिन और जेनरिक मेडिसिन को लेकर भी काफी बात होती है। आखिर ब्रांडेड और जेनरिक मेडिसिन में क्या अंतर है और साथ ही जेनरिक मेडिसिन के इतने सस्ते होने की क्या वजह है।

ब्रांडेड और जेनरिक मेडिसिन क्या होती है ?

---विज्ञापन---

आपको सीधे सरल शब्दों में बताते हैं कि मार्केट में दो अलग तरह की मेडिसिन मिलती हैं। इन दोनों के बीच का अंतर जानने से पहले जानिए आखिर दवाइयां बनती कैसे हैं। दरअसल, इसमें एक फॉर्मूला होता है, जिसमें अलग-अलग कैमिकल को मिलाकर दवाइयां बनाई जाती हैं। जैसे कोई दर्द की दवा बना रहा है तो जिस सामग्री का प्रयोग होता है, उस पदार्थ से दवाई बना ली जाती है। अगर दवाई किसी बड़ी कंपनी की तरफ से बनती है तो वो ब्रांडेड दवाई बन जाती है। इसमें कंपनी का नाम एक ही होता है, जबकि यह बनती अन्य पदार्थों से है, लेकिन आपने देखा होगा दवाई के रैपर पर कंपनी का नाम सबसे ऊपर होता है।

ये भी पढ़ें- Medicine Strip: दवाइयों के पैकेट पर लाल रंग की लाइन क्यों? जानिए इसका मतलब

वहीं, जब उन्हीं पदार्थ को मिलाकर अगर कोई छोटी कंपनी मेडिसन बनाती है तो मार्केट में इसे जेनरिक दवाइयां के नाम से जानते हैं। इन दोनों दवाइयों में कोई फर्क नहीं होता है, बस सिर्फ नाम और ब्रांड का अंतर होता है। दवाइयां सॉल्ट और मोलिक्यूल्स (Molecule) से बनती हैं। इसलिए ध्यान रखें जब दवाइयां खरीदें, तो उसके सॉल्ट पर जरूर ध्यान दें। किसी भी कंपनी पर नहीं, जिसके नाम से दवाइयां बिकती हों। जेनेरिक दवाइयां जेनेरिक नाम से ही बेची जाती हैं। ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के बीच बड़ा अंतर बस छवि बनाने और बिक्री को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग की प्लानिंग का हिस्सा होती हैं।

---विज्ञापन---

सस्ती क्यों होती है जेनरिक दवाइयां?

जेनरिक मेडिसन के सस्ते होने की वजह यही है कि ये किसी भी बड़े ब्रांड से जुड़ी नहीं होती है। इसी कारण इन दवाइयों की मार्केटिंग पर ज्यादा पैसा बिलकुल भी खर्च नहीं होता है। इसके साथ ही रिसर्च, डेवलपमेंट, मार्केटिंग, प्रचार पर पर्याप्त लागत आती है। लेकिन, जेनेरिक मेडिसन, पहले डेवलपर्स के पेटेंट की अवधि खत्म होने के बाद उनके फार्मूलों और सॉल्ट का प्रयोग करके बनाई जाती हैं। ये सीधी मैन्युफैक्चरिंग की जाती है, क्योंकि इनका ट्रायल पहले से ही हो चुका होता है। मोदी सरकार प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र चलाती है, जिसके तहत कमजोर वर्ग के लोग सस्ती दवाइयां ले सकते हैं। ये छोटे मेडिकल स्टोर जैसे होते हैं, जिनपर जेनेरिक दवाइयां सस्ते दाम पर मिलती हैं।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

(www.softlay.com)

HISTORY

Written By

Deepti Sharma

Edited By

rahul solanki

First published on: Oct 07, 2023 03:22 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें