आयुर्वेद का अमृत कहलाने वाले च्यवनप्राश के फायदों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है. डाबर च्यवनप्राश इस विरासत को आजादी के बाद से भारत के हर घर तक पहुंचा रहा है. सर्दियों का मौसम आते ही खांसी-जुकाम, कमजोरी और मौसमी संक्रमण लोगों को परेशान करने लगते हैं. दिल्ली-एनसीआर, मुंबई जैसे महानगरों में तो प्रदूषण की दोहरी मार पड़ती है. ऐसे में सदियों पुराना आयुर्वेदिक ‘अमृत’ च्यवनप्राश सबसे भरोसेमंद साथी साबित होता है. आयुर्वेद के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता में भी च्यवनप्राश को रसायन श्रेणी की सर्वोत्तम औषधि बताया गया है. इसे खांसी, दमा, श्वांस रोग, कमजोरी और बुढ़ापे को दूर करने में यह चमत्कारी असर दिखाता है. आज आधुनिक विज्ञान भी इसकी ताकत को स्वीकार करता है. दर्जनों क्लीनिकल स्टडीज और रिसर्च पेपर्स में साबित हो चुका है कि च्यवनप्राश शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में असरदार है.
च्यवनप्राश के फायदे
- शरीर में IgG और IgM एंटीबॉडी लेवल बढ़ाता है
- एलर्जी पैदा करने वाले IgE और हिस्टामिन को कम करता है
- नेचुरल किलर (NK) सेल्स और फागोसाइटिक एक्टिविटी को बूस्ट करता है
- शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है
- वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित रखता है
- नियमित सेवन से सर्दी-खांसी कम होती है, एनर्जी लेवल बढ़ता है
- त्वचा में निखार आता है और मौसमी संक्रमण से बचाव होता है.
च्यवनप्राश आयुर्वेद-आधुनिक विज्ञान का परफेक्ट मेल
इम्युनिटी बूस्टर के लिए च्यवनप्राश का नुस्खा सदियों पुराना है. आधुनिक विज्ञान ने च्यवनप्राश में उपयोग की जाने वाली प्रमुख जड़ी-बूटियों के गुणों को मान्यता दी है. च्यवनप्राश में मौजूद आंवला, अश्वगंधा और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं जो स्ट्रेस दूर करने और शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद अन्य घटक जैसे पिप्पली, दालचीनी और इलायची पाचन में सहायता करते हैं. आधुनिक विज्ञान इन मसालों के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुणों की पुष्टि करता है. डाबर च्यवनप्राश में 40+ प्रामाणिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, शुद्ध देशी घी, तिल का तेल, शहद और खांड का संतुलित मिश्रण होता है.
140 साल पुराना भरोसा, आज भी नंबर-1
डाबर भारत का सबसे भरोसेमंद च्यवनप्राश ब्रांड बना हुआ है. हर बैच को आधुनिक लैब में टेस्ट किया जाता है, भारी धातुओं और कीटनाशकों से पूरी तरह मुक्त रखा जाता है. यही वजह है कि डॉक्टर, न्यूट्रिशनिस्ट और आयुर्वेदाचार्य सबसे ज्यादा डाबर च्यवनप्राश ही सुझाते हैं. इस सर्दी, अपनी और अपने परिवार की इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए वर्षों से भरोसे पर खरा उतर रहे डाबर च्यवनप्राश को ही चुनें, क्योंकि जब बात सेहत की हो तो पुराना सोना ही सबसे अच्छा होता है! बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लिए अलग-अलग वैरिएंट उपलब्ध हैं :
रोजाना कितना करें सेवन?
रोजाना सिर्फ 1-2 चम्मच, पूरे साल तंदुरुस्ती
वयस्क : सुबह-शाम 1-1 चम्मच गुनगुने दूध या पानी के साथ
बच्चे (3 साल से ऊपर) : आधा-1 चम्मच रोज.










