World Lung Cancer Day: लंग कैंसर, कैंसर के प्रकारों में से एक है। ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के बाद लोगों को फेफड़ों वाला कैंसर सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसका मुख्य कारण धूम्रपान होता है लेकिन अब वायु प्रदूषण से भी लंग कैंसर होने लगा है। आज वर्ल्ड कैंसर डे है। हर साल 1 अगस्त को मनाया जाने वाला यह दिवस इसलिए खास है ताकि दुनियाभर में लोगों तक लंग कैंसर की जागरुकता बढ़ सके और बीमारी की रोकथाम हो सके।
क्यों खास है आज का दिन?
1 अगस्त को मनाया जाने वाला वर्ल्ड लंग कैंसर डे हमारे सामने एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या हम समय रहते फेफड़ों के कैंसर की पहचान कर पा रहे हैं? एक्सपर्ट्स का मानना है कि लंग कैंसर के अधिकतर मामलों का पता तब चलता है जब बीमारी पहले से ही शरीर में काफी हद तक फैल चुकी होती है। यही वजह है कि यह बीमारी जानलेवा हो जाती है। लंग कैंसर के सबसे आम संकेतों में खांसी, मुंह का सूखना और मुंह से बदबू आना है। इसलिए, अमूमन लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
दिल्ली के एशियन अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. पुनीत गुप्ता बताते हैं कि लंग कैंसर की शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं दिखते हैं या फिर मरीजों को ऐसे सामान्य समस्याएं होती हैं जैसे कि खांसी-जुकाम, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। यहीं सही समय होता है जब इस बीमारी को समझकर इलाज शुरू करवाना होता है।
मुंह के कौन से लक्षण समझें?
खांसी- जब हमारे फेफड़ों में संक्रमण होता है तो सबसे पहले खांसी होती है। इस खांसी से कई बार मुंह में बलगम भी आता है। अगर खांसी बहुत लंबे समय तक बनी रहे और आपको खांसी के साथ सीने में खिंचाव महसूस हो तो यह कैंसर की दस्तक हो सकती है।
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ड्राई माउथ- लंग कैंसर होने पर ड्राई माउथ की समस्या भी होती है। इसमें मरीज की जीभ हमेशा सुखी रहती है। हालांकि, ये संकेत डिहाइड्रेशन का भी होता है लेकिन कैंसर का भी इससे ताल्लुक होता है।
मुंह की बदबू- फेफड़ों के कैंसर में संक्रमण बहुत ज्यादा होने पर आपको बैड ब्रीथिंग की समस्या भी होती है। मुंह से तेज गंध आना जब आप प्रतिदिन ब्रश भी करते हैं तो यह लंग कैंसर का संकेत होता है।
इसके अलावा, मुंह में मसूड़ों की सूजन, छाले होना और बार-बार स्वाद में बदलाव महसूस करना भी लंग कैंसर का लक्षण होता है।
लंग कैंसर के गंभीर संकेत
- सांस फूलना।
- खून वाली खांसी होना।
- तेजी से वजन घटना।
ये 3 संकेत बहुत गंभीर होते हैं। अक्सर लोग ऐसी स्थिति में ही डॉक्टर के पास पहुंचते हैं और तबत क इलाज की शुरुआत में काफी देरी हो जाती है।

किसे बीमारी का रिस्क सबसे ज्यादा?
डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी का रिस्क सिर्फ सिगरेट पीने वालों को नहीं है। बल्कि वायु प्रदूषण, पैसिव स्मोकिंग, फैमिली हिस्ट्री और खराब जीवनशैली अपनाने वाले लोगों को भी लंग कैंसर की स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए। इसके अलावा, 40 साल से ऊपर के ऐसे लोग जो लंबे समय से खांसी, थकावट या सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे हैं, उन्हें भी कैंसर की, खासतौर पर लंग कैंसर की जांच करवानी चाहिए। इसके लिए लो-डोज सीटी स्कैन (Low Dose CT Scan) जरूर करवा सकते हैं।
घर का चूल्हा भी खतरनाक!
डॉक्टर बताते हैं कि उनके पास ऐसे भी मरीज आए हैं जो कभी स्मोक नहीं करते थे, फिर भी उन्हें एडवांस स्टेज लंग कैंसर डिटेक्ट हुआ है। जब इसका कारण ढूंढा गया तो वह घर की रसोई का धूंआ था। इसलिए, बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी से यह बीमारी महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है।
देर से इलाज करवाना कितना खतरनाक?
एक्सपर्ट बताते हैं कि एक बार यह कैंसर फेफड़ों से बाहर फैल जाए, तो इलाज बहुत मुश्किल हो जाता है और मरीज का जीवन खतरे में पड़ सकता है। हालांकि, इम्यूनोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी जैसे विकल्प मौजूद हैं लेकिन इनका भी असर तभी बेहतर तरीके से होता है जब बीमारी को जल्दी समझ लिया जाए और इलाज शुरू करवाया जाए।
लंग कैंसर से बचाव के उपाय
- धूम्रपान करने से बचें।
- वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें।
- किचन में सही वेंटिलेशन की सुविधा करवाएं।
- संतुलित आहार खाएं, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
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