Chronic Kidney Disease: किडनी की बीमारी का मतलब है कि किडनी सही से काम नहीं कर पा रही है। क्रोनिक किडनी की बीमारी (CKD) समय के साथ ही बिगड़ जाती है। हाई ब्लड प्रेशर और शुगर सीकेडी के दो नॉर्मल फैक्टर हैं। क्रोनिक किडनी की बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन आप लंबे टाइम तक इसकी काम करने की कैपेसिटी को बनाए रखने बहुत जरूरी हैं। अंतिम चरण की किडनी की बीमारी के लिए डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी Cameron Green लंबे अरसे से किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं। उनकी किडनी 60 % तक डैमेज हो चुकी हैं और ब्लड को सही से फिल्टर नहीं कर पाती हैं। फिलहाल उनकी ये बीमारी स्टेज 2 चल रही है। अगर किडनी में कोई समस्या होती है, तो इससे खून ठीक तरह से प्यूरीफाई नहीं हो पाता और खून में वेस्ट मटेरियल बढ़ने लगते हैं। इससे किडनी फेलियर भी हो सकता है।
क्रोनिक किडनी की बीमारी क्या है?
क्रोनिक किडनी रोग (Chronic Kidney Disease) का मतलब है कि आपकी किडनी खराब हो चुकी है और उतने अच्छे से काम नहीं कर पा रही है, जितना इन्हें करना चाहिए। आपकी किडनी आपकी बॉडी के लिए एक फिल्टर की तरह हैं, जो आपके खून से वेस्ट मटेरियल और इसके अलावा पानी को फिल्टर करती हैं। जब किडनी अपना काम करना बंद कर देती है, तो शरीर से खराब चीजों को बाहर नहीं कर पाती हैं और ये खून में जमा हो जाती हैं।
क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण, कारण और उपचार जानें इस Video में-
किडनी की बीमारी को “क्रोनिक” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि समय के साथ किडनी की काम करने की कैपेसिटी धीरे-धीरे कम हो जाती है। क्रोनिक किडनी की बीमारी से किडनी फेलियर भी हो सकता है, जिसे किडनी की बीमारी की लास्ट स्टेज कहा जाता है। क्रोनिक किडनी की बीमारी से पीड़ित हर किसी की किडनी खराब नहीं होती है, लेकिन ट्रिटमेंट के बिना अक्सर बीमारी खराब हो जाती है। क्रोनिक किडनी की बीमारी का कोई इलाज नहीं है।
क्रोनिक किडनी बीमारी के 5 चरण होते हैं
Chronic Kidney Disease की पहली स्टेज
क्रोनिक किडनी डिजीज की पहली स्टेज में किडनी की काम करने की कैपेसिटी 90-100 % होती है। इस स्टेज में मरीजों में कोई लक्षण शुरूआत में नहीं दिखता है। पेशाब में काफी ज्यादा प्रोटीन का जाना। सोनोग्राफी से किडनी में अगर खराबी दिखे, तो ये क्रोनिक किडनी डिजीज का पता लग जाता है।
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Chronic Kidney Disease की दूसरी स्टेज
इन मरीजों में किसी भी टाइप का कोई लक्षण नहीं दिखता है। लेकिन कुछ मरीजों को रात में बार-बार पेशाब जाना या हाई ब्लड प्रेशर की शिकायतें हो सकती हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों में खून का दबाव ज्यादा ही बढ़ सकता है।
Chronic Kidney Failure के कारणों को समझने के लिए Dr. Asit Rushikesh Mehta की इस Video में देखें-
Chronic Kidney Disease की तीसरी स्टेज
इसमें मरीजों को बिना किसी लक्षण या हल्के लक्षणों के साथ मौजूद हो सकते हैं। अगर इनके पेशाब की जांच जाए तो सीरम क्रीएटिनिन की मात्रा थोड़ी बढ़ी हो सकती है।
Chronic Kidney Disease की चौथी स्टेज
क्रोनिक किडनी डिजीज की चौथी स्टेज में किडनी की काम करने की कैपेसिटी में कमी आ सकती है। अगर इसके लक्षण की बात की जाए तो हल्के हो सकते हैं। यह किडनी फेलियर और उससे जुडी बीमारी के कारणों पर डिपेंड करता है।
Chronic Kidney Disease की पांचवी स्टेज
क्रोनिक किडनी डिजीज की पांचवी स्टेज बहुत गंभीर होती है। इसे किडनी बीमारी की आखिरी स्टेज भी कहते हैं। ऐसी कंडीशन में मरीजों को डायालिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है।
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