Silent Brain Stroke: साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक दिमाग की नसों में क्लॉटिंग होने के कारण होता है। जब दिमाग के सेल्स तक ऑक्सीजन न पहुंच पाने के कारण इससे ब्रेन डैमेज होता है। इसे साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसके कोई लक्षण दिखते नहीं हैं। ऐसा दिमाग के एक छोटे से भाग पर असर कर सकता है। इसी वजह से इसका पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है और अक्सर इसका पता ब्रेन स्कैन के दौरान ही चलता है।
जब दिमाग में कोई टिशु डैमेज या कोई घाव नजर आता है। इसे साइलेंट सेरेब्रोवास्कुलर एक्सीडेंट (Silent Cerebrovascular Accident) भी कहते हैं। ज्यादातर साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक बड़े-बुजुर्गों में होता है। इसलिए कुछ लक्षण दिखते भी हैं तो लोग इन्हें एजिंग का हिस्सा मानकर अनदेखा कर देते हैं। किसी को साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक होने पर कुछ संकेत दिख सकते हैं।
ये कुछ संकेत
- सांस लेने में दिक्कत होना।
 - संतुलन नहीं बन पाता है।
 - अचानक मूड में चेंज आना।
 - सोचने की ताकत कम होना।
 - याददाश्त कमजोर होना।
 - थोड़ी बहुत देर के लिए चेहरे या हाथों-पैरों का सुन्न पड़ना।
 
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साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक का प्रभाव
- डिमेशिंया
 - एंग्जाइटी
 - डिप्रेशन
 - याददाश्त कमजोर होना
 - बैलेंस न बन पाना
 
उपचार
इसमें लक्षण न दिखने की वजह से पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए कुछ लोगों को पता नहीं चल पाता है कि उन्हें स्ट्रोक भी आया था। हालांकि किसी और वजह से ब्रेन स्कैन कराने पर पता चलता है कि वे कभी इसके शिकार बने हैं। इसलिए डॉक्टर से मिलें और उपचार लें, ताकि भविष्य में यह परेशानी न हो।
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बचाव कैसे करें
- बीपी कंट्रोल रखें।
 - खाने में कम नमक खाएं।
 - वजन कंट्रोल में रखें।
 - स्मोकिंग न करें।
 - डायबीटिज मरीज अपना शुगर लेवल मैनेज करें।
 - कोलेस्ट्रॉल कम करें
 - एक्सरसाइज करें
 
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।










