Sonam Kapoor Reaction On Israel-Hamas War: सोनम कपूर का इजराइल-हमास वॉर पर रिएक्शन सामने आया है। अब एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। एक्ट्रेस का नोट अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सोनम ने इस मामले पर कुछ ऐसा बयान दे दिया कि अब वो चर्चाओं में आ गई हैं। एक्ट्रेस ने एक नोट शेयर करते हुए लिखा, ‘मेरी संवेदनाएं इस त्रासदी से प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं और हर दिन इस संघर्ष के कारण निर्दोष लोगों की जान चली जाती है- जिनमें से बहुत सारे बच्चे हैं। फिलिस्तीनी संघर्ष और कब्जे में जीवन के प्रति मेरे मन में गहरी सहानुभूति और शोक है।’
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सोनम ने दिया रिएक्शन
एक्ट्रेस ने आगे लिखा, ‘मैं अपने यहूदी दोस्तों के प्रति भी यह स्पष्ट करने की जिम्मेदारी महसूस करती हूं, जैसा कि मैंने पहले भी किया है: हालांकि फिलिस्तीनियों के लिए मेरी आशाएं और सपने हैं, लेकिन उनमें से किसी में भी यहूदी व्यक्ति को नुकसान हो ये शामिल नहीं है। निर्दोष लोगों को आतंकित करना मुक्त फिलिस्तीन आंदोलन के अनुरूप नहीं है और इससे उसे कोई फायदा नहीं होगा। ये विचार कि ये ऐसा करता है, ने आगे और पीछे प्रतिशोध के एक दर्दनाक, दशकों लंबे चक्र को बढ़ावा दिया है (जिसमें कोई भी निर्दोष नागरिक, फिलिस्तीनी या इजरायली, हताहत होने का हकदार नहीं है), और झूठे विचार को बनाए रखने में मदद करता है। वो फिलिस्तीन समर्थक=यहूदी विरोधी है।’
वायरल हुआ सोनम का पोस्ट
एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘अगर आप आहत हैं, तो मैं आज अपने प्रियजनों, फिलिस्तीनी और यहूदी दोनों के साथ अपनी संवेदनाएं बांटती हूं, आप जहां भी और जहां भी हों, मैं आपको अपना प्यार और शक्ति भेज रही हूं। बहुत सारी जटिल, व्यक्तिगत और वैध भावनाएँ हैं, लेकिन हर इंसान बुनियादी अधिकार, उपचार और सुरक्षा का हकदार है; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी राष्ट्रीयता, धर्म, जातीयता, या वे कहां पैदा हुए थे। मैं जानती हूं कि मेरे शब्द कभी भी काफी नहीं होंगे या कई लोगों के गहरे घावों को ठीक नहीं करेंगे, लेकिन मैं हमेशा निर्दोष लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हूं।’
एक्ट्रेस ने कही ये बात
सोनम ने अपने अगले नोट में लिखा, ‘हिंसा और मौत से कुछ नहीं होता। ये बस हमारे अंदर मौजूद मानवता को नष्ट कर देता है। महात्मा गांधी की अहिंसा- ताकतवरों का हथियार है। अहिंसा और सत्य एक दूसरे पर आधारित हैं। हम कभी भी इतने मजबूत नहीं हो सकते कि विचार, वचन और कर्म से पूरी तरह अहिंसक हो सकें। लेकिन हमें अहिंसा को अपना लक्ष्य रखना चाहिए और इस दिशा में मजबूत प्रगति करनी चाहिए।’