Mrs Undercover Review: जी 5 पर रिलीज हुई मिसेज अंडरकवर, फिल्म के स्टूडेंट्स और फिल्मों के शौकीनों के लिए एक बड़ा सबक है।
इस फिल्म ने साबित कर दिया कि शेफ और रेसिपी अच्छी ना हो, तो कितनी भी अच्छे इन्ग्रेडिएंट्स हो, कितने भी अच्छे मसाले हों, उससे बनी डिश, डस्टबिन में ही जाती है।
मिसेज अंडरकवर की कहानी
मिसेज अंडरकवर की कहानी की बात करें तो ये कहानी है कोलकाता में कामयाब, पढ़ी-लिखी लड़कियों और महिलाओं के सीरियल मर्डर की, जिसमें कॉमनमैन नाम का एक कैरेक्टर जागरूक और अपने हक की बात करने वाली औरतों को अपना शिकार बनाता है।
12 साल पहले ट्रेनिंग लेकर बनी अंडरकवर
स्पेशल टास्क फोर्स के चीफ परेशान हैं, कि ये कॉमनमैन औरतों के साथ-साथ, कोलकाता में उनके एजेंट्स को भी मार चुका है। अब टास्क फोर्स चीफ की आख़िरी उम्मीद, सिर्फ वो एजेंट हैं, जो पिछले 12 साल पहले ट्रेनिंग लेकर, अंडरकवर बनकर एक हाउस वाइफ बन गई है।
दुर्गा नाम की एजेंट मिशन में जुटी
दुर्गा नाम की ये एजेंट, अब अपने सास-बहू का ख़्याल रखती हैं, पति के ताने सुनती है, घर की साफ-सफाई करती है और बेटे के स्कूल टिफ़िन से लेकर पढ़ाई करवाने तक के मिशन में जुटी रहती है।
कॉमनमैन की तलाश में निकल पड़ती है
कॉमनमैन को पकड़ने के लिए, टास्क फोर्स के चीफ दुर्गा को मनाने के मिशन पर निकले है, वो मंदिर के पूजारी से लेकर, गोल गप्पे बेचने वाले तक भैया तक, रिक्शे वाले से लेकर कमाठीपुरा के मॉर्डन माल तक सब बनते है, बस इसलिए क्योंकि उन्हें यकीन है कि हाउस वाइफ़… दुर्गा होती है और दुर्गा, जो सिर्फ़ सपनों में लेडी बॉन्ड होती है, वो पति की बेवफाई और ससूर जी के डिनर टाइमिंग के बीच खुद को साबित करने क लिए कॉमनमैन की तलाश में निकल पड़ती है।
रियलिस्टिक सी है कहानी
अब इस फिल्म को रियलिस्टिक सा बनाया जाता, तो ह्यूमर खुद ब खुद आता, लेकिन इस फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग और डायरेक्शन की कमान अकेले संभाल रही अनुश्री ने मिसेज अंडरकवर को कॉमेडी थ्रिलर बनाने के लिए, कॉमेडी के सीन क्रिएट करने के लिए इतनी मेहनत की, कि कॉमेडी पीछे छूट गई।
अनुश्री ने क्लाइमेक्स में ड्रामा किया किएट
कैरेक्टर कॉमेडी के चक्कर में ओरिजिनैलिटी खो बैठे और हाउस वाइफ को दुर्गा साबित करने के अनुश्री ने क्लाइमेक्स में जो ड्रामा किएट किया, वो इतना ओवर ड्रामैटिक हो गया कि दुर्गा के नेक्स्ट मिशन के तौर पर सिक्वेल का बोर्ड देखकर आप सिर पर हाथ रख लेते हैं।
लाइटिंग का इफेक्ट जबरदस्त
वैसे तो कोलकाता की रीयल लोकेशन्स तो फिल्म के हक में जाती हैं, लेकिन जब स्पेशल टास्क फोर्स के ऑफिस को ज़्यादा सीक्रेट बनाने के लिए गो-डाउन जैसी लोकेशन में लाइटिंग का इफेक्ट जबरदस्ती डाला जाता है, तो लगता है कि ये फैमिली मैन का सस्ता फीमेल-सेंट्रिक वर्ज़न है।
फिल्म को 1.5 स्टार
परफॉरमेंस पर आइए, तो आप सोचेंगे कि राधिका आप्टे जैसी काबिल एक्ट्रेस आखिर कर क्या रही है। ओटीटी फेवरिट रही राधिका आप्टे ने फीमेल सेंट्रिक फिल्म के नाम पर, कन्फ्यूज़्ड कहानी पिक कर ली है। सुमित व्यास, जो शुरु से ही ज़ाहिर है कि सीरियल किलर कॉमन मैन हैं, उनका कैरेक्टर सबसे ज़्यादा कमज़ोर है। टास्क फोर्स चीफ बने राजेश कुमार ना तो सीरियस बन पाए हैं, ना तो कॉमेडी कर पाए हैं, और इसकी वजह उनके कैरेक्टर की कमज़ोर राइटिंग है। मिसेज अंडरकवर फिल्म को 1.5 स्टार।