UIDAI ने 2 करोड़ से ज्यादा आधार नंबर डीएक्टिवेट कर दिए हैं. दरअसल, ये सभी वे लोग हैं, जिनका मृत्यु हो चुकी है. इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने बुधवार को इसकी जानकारी दी और कहा कि यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार डेटाबेस को सही और अप-टू-डेट रखने के लिए ये कदम उठाया है.
अथॉरिटी ने कहा कि यह क्लीन-अप ड्राइव पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकने और कल्याणकारी लाभों के लिए आधार नंबर के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए जरूरी है.
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UIDAI ने उठाया ये कदम
हालांकि मृत लोगों की पहचान करने के लिए, UIDAI ने रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI), राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम और नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम जैसी कई एजेंसियों से डेटा लिया है.
इस काम को और आसान बनाने के लिए और डेटा इकट्ठा करने के लिए UIDAI, बैंकों और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ काम करने की तैयारी कर रहा है.
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आधार नंबर क्यों डीएक्टिवेट कर रहा UIDAI?
अथॉरिटी ने साफ किया कि आधार नंबर कभी भी किसी और को दोबारा नहीं दिए जाते हैं. एक बार किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर, यह पक्का करने के लिए कि उसका आधार नंबर गैर-कानूनी तरीके से इस्तेमाल न हो, उसका आधार नंबर डीएक्टिवेट करना जरूरी है.
फीचर किया है लॉन्च
इस साल की शुरुआत में, UIDAI ने myAadhaar पोर्टल पर “परिवार के किसी सदस्य की मौत की रिपोर्टिंग” नाम का एक फीचर लॉन्च किया था. यह सर्विस अभी 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है जो सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या कोई भी कर सकता है रिपोर्ट?
नहीं. मौत की रिपोर्ट करने के लिए, परिवार के किसी सदस्य को पोर्टल पर खुद को वेरिफाई करना होगा और फिर मृतक व्यक्ति का आधार नंबर, डेथ रजिस्ट्रेशन नंबर और दूसरी बेसिक डिटेल्स डालनी होंगी.
UIDAI सबमिट की गई जानकारी को रिव्यू करता है और वेरिफिकेशन के बाद, आधार नंबर को डीएक्टिवेट करने की प्रक्रिया शुरू करता है.
UIDAI ने आधार होल्डर्स से कहा है कि वे ऑफिशियल डेथ सर्टिफिकेट मिलने के बाद अपने परिवार के सदस्यों की मौत की रिपोर्ट myAadhaar पोर्टल पर करें.
अथॉरिटी ने कहा कि इससे पूरे देश में ज्यादा सही और फ्रॉड-फ्री आधार डेटाबेस बनाए रखने में मदद मिलेगी.










