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Rupee at Record Low: रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढ़का रुपया, एक डॉलर की कीमत बढ़कर हुई 82.64 रुपये

नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले में रुपये (Rupee vs Dollar) में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। रुपया लगातार गिरावट का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बना रहा है। आज एकबार फिर रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया एकबार फिर अबतक के अपने […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Oct 10, 2022 11:49
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Rupee at Record Low

नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले में रुपये (Rupee vs Dollar) में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। रुपया लगातार गिरावट का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बना रहा है। आज एकबार फिर रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया एकबार फिर अबतक के अपने सबसे निचले स्तर (Rupee at Record Low) पर पहुंचा गया है।

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आज (10 October) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 82.64 रुपए पर खुला है। इससे पहले पिछले कारोबारी दिन शुक्रवार 7 अक्टूबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 44 पैसे की कमजोरी के साथ 82.32 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने रुपये में लगातार जारी गिरावट पर लगाम लगाने के लिए पिछले दिनों कई कदम उठाए हैं, लेकिन नतीजा बहुत कम देखने को मिला है। रुपये लगातार कमजोरी के साथ कारोबार हो रहा है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया अबतक 11 फीसदी नीचे आ चुका है। गौरतलब है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के दो साल के निचले स्तर पर आने के बाद डॉलर की मांग और बढ़ रही है और रुपये की सुस्ती थमने का नाम नहीं ले रही है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों बढ़ोतरी का नाकारात्मक असर

आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक रुपये पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने का नाकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। इन बाजारों से डॉलर की खरीद बढ़ने के चलते देश की करेंसी रुपया लाल निशान में फिसलता जा रहा है। इनके साथ ही अन्य एशियाई करेंसी की गिरावट से एशियाई बाजारों का रुझान पता चल रहा है जो इनके साथ भारतीय करेंसी रुपये के लिए भी गिरावट का कारण बन रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर ?

रुपये के कमजोर होने से देश में आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारण विदेशों से आने वाली वस्तुओं जैसे- कच्चा तेल, मोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि महंगे हो जाएंगे। अगर रुपया कमजोर होता हैं तो विदेशों में पढ़ना, इलाज कराना और घूमना भी महंगा हो जाएगा।

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डॉलर की मांग और आपूर्ति से तय होती है रुपये की कीमत

गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

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First published on: Oct 10, 2022 09:28 AM

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