स्पोक व्हील या अलॉय व्हील: कार हो या मोटरसाइकिल इन वाहनों में स्पोक व्हील या फिर अलॉय व्हील मिलते हैं। स्पोक यानि कई पतली वायर वाले व्हील, इनमें कई वायर होती हैं जिन्हें एक गोल फ्रेम में हाथ से कसा जाता है। वहीं, अलॉय व्हील सिंगल पीस में होते हैं, जिन्हें बनाने में एलुमिनियम या मैग्नीशियम का यूज किया जाता है। दिल्ली के कृष्णा नगर में अलॉय व्हील का काम करने वाले आकाश चौधरी के मुताबिक दोनों व्हील टाइप के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। आजकल लोग अपनी बाइक या कारों में स्टाइलिश लुक देने वाले अलॉय व्हील और ट्यूबलेस टायरों को पसंद करते हैं।
नीचे दी वीडियो पर क्लिक कर जानें spoke wheel और alloy wheel के बारे में
एडवेंचर बाइक्स में कंपनियां देती हैं स्पोक व्हील
जानकारी के अनुसार स्पोक व्हील ऑफ रोडिंग, खराब सड़कों, उबड़-खाबड़ सड़क पर बेहतर परफॉमेंस देते हैं। टूटी सड़कों पर अचानक तेज झटका लगने की स्थिति में इनके टुटने का खतरा कम होता है। जबकि अलॉय व्हील में खराब सड़क पर दरार आने या मुड़ने का खतरा ज्यादा है। अकसर स्ट्रीट बाइक्स और एडवेंचर बाइक्स में कंपनियां स्पोक व्हील ही फ्रेफर करती हैं। बता दें रेसर बाइक KTM 390 Duke और पावरफुल इंजन के साथ आने वाली Royal enfield classic 350 में स्पोक व्हील मिलते हैं।
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अलॉय व्हील का प्रोडक्शन फास्ट
अलॉय व्हील सड़क पर ज्यादा तेज स्पीड, टॉर्क और हॉर्स पावर को झेलने की क्षमता रखते हैं। सॉलिड मैटेरियल से बने होने के चलते यह स्पोक व्हील के मुकाबले अधिक स्टेबल होते हैं। इनका वजन कम होता है। अलॉय व्हील महंगे होते हैं, इनमें ट्यूबलेस टायर आसानी से अपनी पकड़ बना लेते हैं। स्पोक व्हील में हाथ से काम करना पड़ता है, जिससे अलॉय व्हील के मुकाबला इनकी प्रोडक्शन कुछ स्लो होती है। स्पोक व्हील ज्यादा पुराना होने पर उसका चलते हुए बैलेंस बिगड़ जाता है।
दरार आने पर काम का नहीं रहता
अलॉय व्हील एक बार टूटने या उसमें दरार आने पर वह काम का नहीं रहता है। वहीं, स्पोक व्हील के वायर टूटने या मुड़ने पर उसे आसानी से बदलवाना आसान है। स्पोक व्हील अलॉय व्हील के मुकाबले सस्ते होते हैं। टू व्हीलर निर्माता कंपनियां अलॉय व्हील के साथ डिस्क ब्रेक ऑफर करती हैं। गाड़ियों के ऑप वेरिएंट में भी अलॉय व्हील ऑफर किए जाते हैं।