Tyres Care in summer: इस समय गर्मी से सभी का हाल बेहाल है। इंसान और मशीन दोनों पर गर्मी का असर दिखाई दे रहा है। बात अगर वाहनों की करें तो करें तो गर्मी में इनकी केयर सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। इतना ही नहीं गाड़ी के टायर्स पर तो सबसे ज्यादा लोड होता है और अगर टायर्स की देखभाल नहीं की, तो फिर लेने के देने पड़ सकते हैं।
गाड़ी में टायर्स की भी अहम् भूमिका होती है। लेकिन आज भी लोग टायर्स में हवा तो डलवा लेते हैं लेकिन जब इन्हें बदलने की जरूरत पड़ती है तब नज़रअंदाज कर देते हैं। खराब टायर्स बीच सफर में पंचर हो जाते हैं या फिर ब्लास्ट हो जाते हैं, जिसकी वजह से आप दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी रखी जाए तो आपका सफ़र आरामदायक बन सकता है।
कब बदलें टायर्स
अगर टायर 40,000 किलोमीटर या इससे ज्यादा चल चुका है तो फिर उसे बदल देना चाहिए। टायर पर बने खांचे (ट्रेड) की गहराई 1.6mm रह जाए तो भी टायर को बदल देना चाहिए। वैसे किसी भी टायर उम्र 5 साल होती है। अगर टायर्स पहले ही घिस चुका हो या उस पर दरार दिखने लगे तब भी उसे बदल देना ही बेहतर है।
ओवरलोडिंग बिलकुल न करें
अगर भी अपनी गाड़ी में ओवरलोडिंग करते हैं तो यह यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि सारा भार टायर्स पर ही पड़ता है। जरूरत से ज्यादा भार होने से कई बार टायर्स ब्लास्ट हो जाते हैं। गाड़ी में उतना ही सामान रखें जितना वाहन की कैपसिटी है। हैवी लोड से माइलेज पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा हर 5000 किलोमीटर के बाद व्हील अलाइनमेंट चेक कराते रहना चाहिए।
टायर्स की देखभाल है जरूरी
अपनी गाड़ी के सभी टायर्स में हर हफ्ते हवा जरूर चेक करें। टायर्स में हवा उतनी ही रखें जितनी कंपनी ने बताई है। कम हवा या ज्यादा हवा से भी टायर्स के साथ गाड़ी को नुकसान होता है। ज्यादा हवा होने से वाहन का बैलेंस बिगड़ सकता है। नाइट्रोजन एयर का इस्तेमाल टायर्स के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।
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