---विज्ञापन---

Jivitputrika Vrat 2022: इस दिन है जितिया व्रत, यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत तमाम जानकारी

Jivitputrika Vrat 2022: अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat) मनाया जाता है। सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को जितिया व्रत और जीवित्पुत्रिका व्रत दोनों नामों से जाना जाता है। कई जगहों पर इसे जिउतपुत्रिका, जिउतिया और ज्युतिया भी कहा जाता है। इस […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Sep 19, 2022 12:28
Share :

Jivitputrika Vrat 2022: अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat) मनाया जाता है। सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को जितिया व्रत और जीवित्पुत्रिका व्रत दोनों नामों से जाना जाता है। कई जगहों पर इसे जिउतपुत्रिका, जिउतिया और ज्युतिया भी कहा जाता है।

इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सेहत और सुखमयी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। तीज की तरह यह व्रत भी बिना आहार और निर्जला किया जाता है। बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह त्योहार खास तौर पर मनाया जाता है।

---विज्ञापन---

अभी पढ़ें इस साल कब है दिवाली, यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत तमाम जानकारी

छठ पर्व की तरह जितिया व्रत पर भी नहाय-खाय की परंपरा होती है। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है यानी व्रत खोला जाता है।

---विज्ञापन---

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और संतान की दीर्घायु व उनकी सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्चों के जीवन में सुख शांति बनी रहती है और उन्हें संतान वियोग नहीं सहना पड़ता है। इस दिन महिलाएं पितृों का पूजन कर उनकी लंबी आयु की भी कामना करती हैं। इस व्रत को करते समय केवल सूर्योदय से पहले ही खाया-पिया जाता है। सूर्योदय के बाद पानी भी नहीं पी सकते हैं।

इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनों पूजा एवं पुत्रों की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद ही कुछ खाया पिया जा सकता है। इस व्रत में तीसरे दिन भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाए जानें की परंपरा है।

रक्षाबंधन और कृष्ण जन्माष्टमी की तरह इस वर्ष जितिया व्रत की तिथि को लेकर भी संशय की स्थिति है। यहां जानें इस वर्ष जितिया व्रत कब रखा जाएगा।

व्रत तिथि और का शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat Shubh Muhurt)

इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 और 18 सितंबर दोनों दिन है। ऐसे में जितिया व्रत को लेकर लोगों में संशय की स्थिति है। पंचांग के मुताबिक आश्विन कृष्ण की अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 2:14 से आरंभ होकर 18 सितंबर को दोपहर 4:32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में शास्त्रों के जानकारों के मुताबिक 17 सितंबर 2022 को नहाए-खाय होगा और अगले दिन यानी 18 सितंबर को जितिया निर्जला व्रत रखा जाएगा। इसके बाद 19 सितंबर को सूर्योदय के बाद इस व्रत का पारण होगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत पर बन रहे हैं कई शुभ मुहूर्त

इस साल जीवित्पुत्रिका यानी जितिया व्रत पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन यानी 18 सितंबर की सुबह से 06.34 मिनट तक सिद्धि योग है। जबकि सुबह 11.51 बजे से दोपहर 12.40 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। वहीं सुबह 09.11 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक अमृत और लाभ मुहूर्त है।

अभी पढ़ें गुरुवार को इन उपायों से चमक जाएगी आपकी किस्मत, खुलेंगे तरक्की के नए रास्ते

जितिया व्रत विधि (Jivitputrika Vrat Vidhi)

आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत किया जाता है। यह उत्सव 3 दिनों तक चलता है। व्रत के एक दिन पहले ही यानी सप्तमी तिथि को नहाय खाय मनाया जाता है। अष्टमी तिथि लगते ही स्त्रियां निर्जला व्रत शुरु कर देती हैं। अष्टमी तिथि को पूरा दिन रात स्त्रियां बिना अन्न, जल और फल खाए रहती हैं। फिर अगले दिन यानि नवमी तिथि लगने पर जितिया व्रत का पारण किया जाता है। यहां पारण का मतलब व्रत खोलने से है। नवमी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत खोला जाता है। व्रत खोलने से पहले दान-दक्षिणा निकाली जाती है। फिर उसके बाद ही व्रती स्त्री कुछ खा या पी सकती है।

जितिया व्रत पूजन की विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi)

  • सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें और गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ करें।
  • शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की प्रतिमा जल के पात्र में स्थापित करें।
  • उन्हें रोली, दीप और धूप अर्पित कर भोग लगाएं।
  • इस व्रत में प्रसाद और रंग-बिरंगे धागे अर्पित किए जाते हैं।
  • संतान को सुरक्षा कवच के रूप में धागे पहनाएं और लंबी आयु की कामना करते हुए उन्हें आशीर्वाद दें।

अभी पढ़ें – आज का राशिफल यहाँ पढ़ें

Click Here – News 24 APP अभी download करें

HISTORY

Edited By

Pankaj Mishra

Edited By

Manish Shukla

First published on: Sep 16, 2022 03:00 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें