Ashubh Yoga: हिंदू धर्म में जब भी कोई कार्य करना होता है तो उसके लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है। शुभ मुहूर्त में सभी प्रकार के मांगलिक व धार्मिक कार्य किए जाते हैं। जबकि अशुभ मुहूर्त को यथासंभव टाला जाता है।
पंचांग के अनुसार मुहूर्त पांच कारकों (1) तिथि, (2) वार, (3) नक्षत्र, (4) योग और (5) करण से मिलकर बनता है। इनमें अलग-अलग तिथि, वार एवं नक्षत्र को अलग-अलग कार्यों के लिए शुभ माना गया है। इसी प्रकार सूर्य और चंद्रमा के बीच की विशेष निर्देशित दूरियों को योग कहा जाता है।
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9 योगों के लिए की गई है मनाही (Ashubh Yoga)
शास्त्रों में कुल 27 योग बताए गए हैं। इनमें से अधिकतर शुभ ही माने गए हैं। परन्तु कुछ योग अशुभ भी हैं जिनमें समस्त प्रकार के शुभ कार्यों को करने की मनाही की गई है। ज्योतिषी एम. एस. लालपुरिया के अनुसार 9 योग (जिनके नाम विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति हैं) को यथासंभव टालना चाहिए। जानिए किस योग की क्या विशेषता है।
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- विष्कुंभ योग: इस योग में शुरु किया गया कार्य समूल नाश हो जाता है, अथवा उसका अशुभ फल मिलता है।
- अतिगंड योग: इस योग में कार्य करने पर दुख, निराशा और तनाव ही प्राप्त होता है।
- शूल योग: इस अशुभ योग में कार्य आरंभ होने पर वह कभी पूरा नहीं हो पाता है।
- गंड योग: इस मुहूर्त में जो भी कार्य आरंभ किया जाएगा, उसमें लगातार एक के बाद एक अड़चनें आती ही रहेंगी।
- व्याघात योग: इस योग में शुभ कार्य आरंभ करने पर परिवारजन भी विरोधी बन जाते हैं।
- वज्र योग: इस योग में मारक व विनाश वाले कार्य किए जाते हैं। यदि शुभ कार्य करेंगे तो उनका भी घोर अशुभ परिणाम मिलेगा।
- व्यतिपात योग: इस मुहूर्त में कार्य करने से आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
- परिध योग: इस योग में कार्य करने पर मृत्यु समान कष्ट होता है। परन्तु यह योग शत्रु को पीड़ा पहुंचाने के लिए उत्तम माना गया है।
- वैधृति योग: इस योग में यात्रा करने अथवा नया वाहन खरीदने जैसे कार्य नहीं करने चाहिए।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।