52 Shakti Peeth Ke Naam: भारत तीर्थ भूमि है, यहां के कण-कण में भगवान वास करते हैं। यहां की संस्कृति सृष्टि के सभी जीवों में ईश्वर को देखने की बात करती है। यही कारण है कि आध्यात्म और संस्कृति के मामले में देश को विश्वगुरु माना जाता है। यहां के प्राचीन धर्मगुरुओं और विचारकों ने अलग-अलग तीर्थ और शक्तिपीठों की स्थापना कर देश को एकता के सूत्र में बांधा था। इसी क्रम में 12 ज्योतिर्लिंग तथा 52 शक्तिपीठ भी आते हैं।
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क्या है 52 शक्तिपीठों की कथा (52 Shakti Peeth)
इन शक्तिपीठों का संबंध भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी सती से जुड़ी है। सती के पिता दक्ष प्रजापति थे जो शिव से चिढ़ते थे। एक बार उन्होंने एक यज्ञ किया। इस यज्ञ में सभी को आमंत्रण दिया गया परन्तु शिव और सती को नहीं बुलाया गया। यद्यपि सती पति सहित इस यज्ञ में जाना चाहती थी परन्तु शिव ने मना कर दिया था। इस पर सती स्वयं ही चली गई।
यज्ञ में शिव का अपमान होते देख सती ने यज्ञ कुंड में जलती अग्नि में कूद कर अपने प्राण दे दिए। जैसे ही शिव को इस बात का पता चला, उन्होंने वीरभद्र और अपने गणों को भेज कर समस्त यज्ञ को नष्ट कर दिया। सती की मृत देह को लेकर वे दुखी होकर घूमने लगे। तब उन्हें इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए जो धरती के 52 अलग-अलग स्थानों पर गिरे। इन्हीं स्थानों को आज शक्तिपीठ कहा जाता है। कालांतर में सती ने हिमालय के घर पुनर्जन्म लेकर शिव से विवाह किया।
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देश में कहां-कहां है 52 शक्तिपीठ (52 Shakti Peeth Ke Naam)
ये सभी शक्तिपीठ अलग-अलग स्थानों पर हैं। शास्त्रों में कुल 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं परन्तु इनमें से एक पर विवाद माना जाता है। अतः कुछ लोग उसे शक्तिपीठ मानते हैं और कुछ नहीं। इन सभी स्थानों के नाम, वहां पर गिरे सती के अंग तथा वहां मौजूद शक्तियों के नाम निम्न प्रकार हैं।
- हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व में – ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) – कोट्टरी
- शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट (इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है) – नेत्र – महिष मर्दिनी
- सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 कि॰मी॰ दूर सोंध नदी तीरे – नासिका – सुनंदा
- अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीर – गला – महामाया
- ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश – जीभ – सिधिदा (अंबिका)
- जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब – बांया वक्ष – त्रिपुरमालिनी
- अम्बाजी मंदिर, गुजरात – हृदय – अम्बाजी
- गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिर – दोनों घुटने – महाशिरा
- मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत के निकट एक पाषाण शिला – दायां हाथ – दाक्षायनी
- बिराज, उत्कल, उड़ीसा – नाभि – विमला
- गण्डकी नदी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर – मस्तक – गंडकी चंडी
- बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि॰मी॰ – बायां हाथ – देवी बाहुला
- उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि॰मी॰ – दायीं कलाई – मंगल चंद्रिका
- माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाँव, उदरपुर, त्रिपुरा – दायां पैर – त्रिपुर सुंदरी
- छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश – दांयी भुजा – भवानी
- त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल – बायां पैर – भ्रामरी
- कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम – योनि – कामाख्या
- जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल – दायें पैर का बड़ा अंगूठा – जुगाड्या
- कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता – दायें पैर का अंगूठा – कालिका
- प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश – हाथ की अंगुली – ललिता
- जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश – बायीं जंघा – जयंती
- किरीट, किरीटकोण ग्राम, लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि॰मी॰ दूर – मुकुट – विमला
- मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – मणिकर्णिका – विशालाक्षी एवं मणिकर्णी
- कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु पीठ – श्रवणी
- कुरुक्षेत्र, हरियाणा – एड़ी – सावित्री
- मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान – दो पहुंचियां – गायत्री
- श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश – गला – महालक्ष्मी
- कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल – अस्थि – देवगर्भ
- कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेश – बायां नितंब – काली
- शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश – दायां नितंब – नर्मदा
- रामगिरि, चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेश – दायां वक्ष – शिवानी
- वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, निकट मथुरा, उत्तर प्रदेश – केश गुच्छ/चूड़ामणि – उमा
- शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि॰मी॰ कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु – ऊपरी दाड़ – नारायणी
- पंचसागर, अज्ञात – निचला दाड़ – वाराही
- करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि॰मी॰ शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेश – बायां पायल – अर्पण
- श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश – दायां पायल – श्री सुंदरी
- विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल – बायीं एड़ी – कपालिनी (भीमरूप)
- प्रभास, 4 कि॰मी॰ वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात – आमाशय – चंद्रभागा
- भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश – ऊपरी ओष्ठ – अवंति
- जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्र – ठोड़ी – भ्रामरी
- सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश – गाल – राकिनी/विश्वेश्वरी
- बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान – बायें पैर की अंगुली – अंबिका
- रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगाल – दायां स्कंध – कुमारी
- मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा पर – बायां स्कंध – उमा
- नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल – पैर की हड्डी – कलिका देवी
- कर्नाट, अज्ञात – दोनों कान – जयदुर्गा
- वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि॰मी॰ दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल – भ्रूमध्य – महिषमर्दिनी
- यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश – हाथ एवं पैर – यशोरेश्वरी
- अट्टहास, 2 कि॰मी॰ लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल – ओष्ठ – फुल्लरा
- नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल – गले का हार – नंदिनी
- लंका, स्थान अज्ञात, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है। एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है) – पायल – इंद्रक्षी
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।