पोप फ्रांसिस सोमवार की सुबह 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उन्हें आज शनिवार को दफनाया जाएगा। रोम उनके अंतिम संस्कार से पहले बुधवार, सुबह से ही सेंट पीटर्स बेसिलिका में खुले लकड़ी के ताबूत में रखे उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग लाइन में खड़े थे।
आज पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार
बता दें कि आज शनिवार को पोप फ्रांसिस को अंतिम विदाई दी जाएगी। हालांकि जिस चीज ने सबका ध्यान खींचा, वह थी कंधे पर हरे रंग का बैग लटकाए एक बुजुर्ग नन। वह चुपचाप पोप के ताबूत के पास पहुंची और एक बेहद निजी पल में, ताबूत के आगे कदम बढ़ाया। वेटिकन प्रार्थना करना और चुपचाप रोना प्रोटोकॉल है।
वह नन कोई और नहीं बल्कि सिस्टर जेनेविएव जीनिंग्रोस थीं। 81 वर्षीय सिस्टर जेनेविएव पोप की सबसे करीबी दोस्तों में से एक थी। किसी ने भी उन्हें बीच में नहीं रोका क्योंकि सभी को उनके और पोप के बीच के गहरी मित्रता के बारे में अच्छी तरह पता था।
जानें कौन हैं सिस्टर जेनेविएव जीनिग्रोंस
जेनेविएन जीनिग्रोंस रोम में हाशिए पर पड़े लोगों के साथ अपने काम के लिए प्रसिद्ध है। लिटिल सिस्टर्स ऑफ जीसस के आदेश से सिस्टर जेनेविएव ने 56 से ज्यादा सालों तक सबसे वंचित विशेष रूप से ट्रांसजेंडर महिलाओं और ओस्टिया में मेला ग्राउंड वर्कर्स की सेवा करने के लिए समर्पित किया है। जो लाजियो क्षेत्र का एक तटीय इलाका है। वह एक अन्य नन, अन्ना गियाचेटों के साथ कारवां में रहती हैं। जहां वह जिन समुदायों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं, उनके रोजाना के जीवन को भी साझा करती है। वह JGBTQ समुदाय के साथ भी मिलकर काम करती है।
ऐसा कहा जाता है कि वंचित लोगों के प्रति अपने समर्पण के जरिए से, वह उनके और पोप के बीच महत्वपूर्ण कड़ी बन गई है। बता दें कि सिस्टर जेनेविएव नियोनी ड्यूकेट की भतीजी है, जो एक फ्रांसीसी नन थीं, जिनका 1977 में अर्जेंटीना में सान्य तानाशाही के दौरान अपहरण कर हत्या कर दी गई थी।
पोप का उपनाम ‘ल एनफेंट टेरिबल’ लेकर भी बुलाते थे लोग
फ्रांसीसी-अर्जेंटीना नन को पोप ने प्यार से ‘ल एनफेंट टेरिबल’ के नाम से पुकारते थे। फ्रांसिस उनकी विद्रोही भावना के लिए, वह पहली बार सन् 2000 में पोप से मिली थी, जब कार्डिनल जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो आर्कबिशप ऑफ स्पेन पोप थे। ब्यूनस आयर्सहर बुधवार को वे लाइन पर पड़े समुदायों के लोगों के समुदायों को वेटिकन के आम दर्शकों के लिए लेकर आती थीं. इन ग्रुपों ने न सिर्फ उनका स्वागत किया बल्कि उन्हें खाने-पीने में भी बुलाया और जरूरत पड़ने पर फाइनेंशियल मदद भी की।
उनकी सिस्टर ने यह भी बताया कि वे उनसे बेहद प्यार करते थे क्योंकि यह पहली बार है. जब ट्रांस और ट्रांसजेंडर लोगों का किसी पोप द्वारा स्वागत किया गया है। उन्होंने उनका धन्यवाद भी किया क्योंकि अंतिम वक्त में एक चर्च में उनसे मिलने आया।