Pakistan hike defence budget: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने जिस तरह पाकिस्तान को धूल चटाई, उसकी दहशत में शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान के आवाम की जरूरतों को दरकिनार कर सेना के रक्षा बजट को बढ़ा दिया है। बीते दिन पेश हुए 2025-26 बजट में रक्षा बजट को 18-20 प्रतिशत बढ़ाने का ऐलान किया है। इसके तहत वित्त वर्ष 2025-26 में पड़ोसी मुल्क के रक्षा बजट पर 2.55 ट्रिलियन रुपये यानी 9 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब देश की अर्थव्यवस्था कर्ज के भारी बोझ तले दबी हुई है। इस सवाल का जवाब पाकिस्तान की मौजूदा रणनीतिक और राजनीतिक स्थिति में छिपा है। आइए समझते हैं कि आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने रक्षा बजट में इतनी बड़ी बढ़ोतरी क्यों की।
Report: Pakistan to increase defence budget in June by 9% despite precarious economic situation, Pak education ministry budget to be reduced by 23%.
---विज्ञापन---— WLVN (@TheLegateIN) May 14, 2024
भारत के साथ तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का असर
हाल के दिनों में भारत-पाक सीमा पर तनाव एक बार फिर से सुर्खियों में है। खासतौर पर भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद। पाकिस्तान की सेना तैयारी और जवाबी क्षमता को मजबूत करना चाहती है। बजट में बढ़ोतरी का एक बड़ा मकसद भारत की बढ़ती सैन्य ताकत का जवाब देने की कोशिश है। यह बढ़ोतरी अभी भी भारत के लगभग 75-80 अरब डॉलर के रक्षा बजट की तुलना में बेहद कम है। फिर भी, पाकिस्तान जैसे कमजोर आर्थिक ढांचे वाले देश के लिए यह बोझ अत्यधिक है और इसकी टिकाऊता पर सवाल उठ रहे हैं।
आतंकवाद और आंतरिक अस्थिरता
खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की तरह पाकिस्तान को लंबे समय से आतंकवादी संगठनों और उग्रवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में। इसके अलावा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अन्य कट्टरपंथी गुट भी देश की आंतरिक शांति को चुनौती दे रहे हैं। सरकार का तर्क है कि इन खतरों से निपटने के लिए रक्षा खर्च बढ़ाना जरूरी है।
सैन्य आधुनिकीकरण की हड़बड़ी
बढ़ते बजट का एक हिस्सा ड्रोन, मिसाइल प्रणाली और अन्य उन्नत हथियारों की खरीद में लगाया जाएगा। चीन जैसे सहयोगी देशों से सैन्य उपकरणों की खरीद भी प्रस्तावित है। पाकिस्तान इस आधुनिकीकरण को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने का तरीका बता रहा है।
आईएमएफ कर्ज और फिर भी फौज को तरजीह
आश्चर्य की बात यह है कि यह सब तब हो रहा है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डिफॉल्ट की कगार पर है और देश लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेलआउट पैकेज पर निर्भर है। इसके बावजूद सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास परियोजनाओं के बजट में कटौती कर सेना को प्राथमिकता दी है। यह देश में सैन्य नेतृत्व के वर्चस्व और उसकी प्राथमिकताओं को उजागर करता है।
शिक्षा और विकास के आवंटन में कमी
पिछले साल पाकिस्तान की जीडीपी (GDP) सिर्फ 2.6 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी है, लेकिन रक्षा बजट उससे कई गुना ज्यादा 18-20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। सच तो यह है कि सामाजिक क्षेत्र के खर्च से 2550 अरब रुपये रक्षा क्षेत्र में डायवर्ट किए गए हैं। इसका मतलब है कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में पहले से चरमराए स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास के आवंटन में करीब 20 प्रतिशत की कटौती की गई है।
शिक्षा और स्वास्थ्य बजट हुआ कम
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान का शिक्षा और स्वास्थ्य बजट सेना के बजट से कई गुना कम है, जो सामाजिक विकास के प्रति शहबाज सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करता है। आपको बता दें कि एक दिन पहले पाकिस्तानी वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने सोमवार को देश का इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 जारी किया था। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले 9 माह में पड़ोसी मुल्क का ऋण बढ़कर पाकिस्तानी रुपये में 76000 अरब हो गया है।