New Land Law : उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक नए मसौदा कानून को मंजूरी दे दी। इसके तहत अब 13 में से 11 जिलों में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि, यह प्रतिबंध कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर लगाया गया है। नए मसौदा कानून की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तारीफ की है। विधानसभा के चालू बजट सत्र में ही इस मसौदे को पेश किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट लिखा और इसे ‘ऐतिहासिक कदम’ बताया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक है। आज कैबिनेट ने राज्य के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरा सम्मान करते हुए सख्त भूमि कानून को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। इसके साथ ही राज्य की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
पोर्टल पर रखा जाएगा रिकॉर्ड
नए मसौदा कानून के तहत बाहरी लोगों को हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों को छोड़कर बागवानी और कृषि भूमि खरीदने की अनुमति नहीं होगी। इतना ही नहीं, जिला मजिस्ट्रेटों के पास अब भूमि खरीद को मंजूरी देने का अधिकार भी नहीं होगा। बताया गया है कि नए मसौदा कानून के तहत भूमि लेनदेन के लिए एक खास पोर्टल भी बनाया जाएगा, जहां बाहरी लोगों द्वारा की गई सभी खरीद का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
“राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक हमारी सरकार !”
---विज्ञापन---प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा… pic.twitter.com/FvANZxWiEB
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 19, 2025
भूमि खरीद बिक्री पुराना विवाद
बताया जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन कर भूमि का उपयोग करता है, तो सरकार उस भूमि को अपने कब्जे में ले लेगी। दरअसल, उत्तराखंड के गठन के बाद से ही बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद एक विवादित मुद्दा हमेशा से रहा है। बड़ी संख्या में लोग भूमि खरीद को लेकर सख्त कानून की मांग करते रहे हैं।
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साल 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी ने कांग्रेस सरकार के दौरान गैर-उत्तराखंड निवासियों पर भूमि खरीद के लिए पहली बार सीमा लागू की थी, जिसकी सीमा 500 वर्ग मीटर तय की गई थी। बी.सी. खंडूरी की सरकार में यह सीमा घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दी गई। बाद में भाजपा सरकार ने ही इस प्रतिबंध को हटा दिया था।