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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

‘संभल में जामा मस्जिद का मूल स्वरूप नष्ट हो गया’, जानें ASI ने अदालत में क्या-क्या कहा?

UP Sambhal Mosque Controversy : यूपी के संभल में पिछले दिनों जामा मस्जिद सर्वे पर बवाल हो गया था। इस मामले में अब एएसआई ने अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया। आइए जानते हैं कि ASI की रिपोर्ट में क्या-क्या है?

Author Edited By : Deepak Pandey Updated: Dec 2, 2024 13:21
UP Sambhal Mosque Controversy
UP Sambhal Mosque Controversy (File Photo)

UP Sambhal Mosque Controversy : उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित जामा मस्जिद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अदालत के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जामा मस्जिद का सर्वे किया। कैला देवी मंदिर ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर एएसआई ने सीनियर डिवीजन कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। जिला सरकारी वकील (सिविल) प्रिंस शर्मा ने अदालत में लिखित बयान पेश किया और कहा कि संभल में जामा मस्जिद का मूल स्वरूप नष्ट हो चुका है।

एएसआई ने अपने जवाब में कहा कि एएसआई द्वारा संभल जामा मस्जिद संरक्षित है। सही अधिकारी को इसकी कस्टडी दी जानी चाहिए, ताकि इसे संरक्षित किया जा सके और लोग वहां जा सकें। वादी कैला देवी मंदिर ट्रस्ट ने अपनी याचिका में एएसआई को एक पक्ष बनाया। जिला सरकारी वकील प्रिंस शर्मा ने कहा कि अभी तक स्थानीय प्रदर्शनकारियों के डर से एएसआई मस्जिद का सर्वे नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि 2018 में शिकायत मिली थी कि मस्जिद में रेलिंग बनाई जा रही थी और जब एएसआई ने मस्जिद की समिति को ऐसा करने से रोकने का प्रयास किया तो उनके अधिकारियों को डराया धमकाया गया और उन्हें वहां से चले जाना पड़ा।

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2018 में जामा मस्जिद समिति के खिलाफ हुआ था केस

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इस मामले में 19 जनवरी 2018 को जामा मस्जिद समिति के खिलाफ प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 30A और 30B के तहत संभल थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इसके एक महीने बाद एडिशनल डिविजनल कमिश्नर ने रेलिंग को हटाने का आदेश दिया, लेकिन आज तक आदेश का पालन नहीं हुआ।

1920 में संरक्षित घोषित हुआ था स्मारक

एएसआई के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि साल 1920 में स्मारक ‘संरक्षित’ घोषित हुआ था। यहां प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम के प्रावधान लागू हैं। पिछले दिनों संभल में किए गए जामा मस्जिद सर्वे में पता चला कि मस्जिद का मूल स्वरूप खो गया है, क्योंकि मस्जिद समिति ने इस स्मारक को रंग दिया और मरम्मत कार्य के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया। वास्तविक पुराने फर्श को संगमरमर के फर्श से बदल दिया गया।

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जानें एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में और क्या-क्या मिला?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जून में सर्वे के दौरान एएसआई के अधिकारियों को एक शिलालेख मिला, जिसमें कहा गया था कि जामा मस्जिद का निर्माण 1526 में मीर हिंदू बेग ने किया था। 1620 में सैयद कुतुब और 1656 में रुस्तम खान ने इसकी मरम्मत की थी। सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टीम को मस्जिद के बाईं ओर के प्रवेश द्वार पर एक पुराना कुआं मिला, जिसे अब समिति ने ढक दिया और उस पर एक बड़ा कमरा बना दिया गया। सर्वेक्षण टीम को यह भी मिला कि मस्जिद के निचले हिस्से में बने कमरों को दुकानों में बदल दिया गया था और उन्हें समिति ने किराए पर दे दिया।

First published on: Dec 02, 2024 01:19 PM

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