UP CM Yogi Love Innocent Children: (हेमेंद्र त्रिपाठी) उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हिंदूवादी छवि से तो हर कोई परिचित है। अफसरों को दिए जा रहे ताबड़तोड़ निर्देश और प्रदेश की जनता के लिए हर मुद्दे पर सीधे तौर पर लिए जा रहे फैसले उनकी इस हिंदूवादी छवि को एक प्रदेश के समर्पित व जनसेवक छवि को निखारता है। शायद! यही वजह है कि 2017 से सत्ता संभालने के बाद 2022 में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की जनता ने अपने मुख्यमंत्री के रूप में चुना।
अपने कार्यकाल के दौरान सीएम योगी के फैसलों में प्रदेश की पूरी जनता के साथ बच्चों के लिए भी एक विशेष प्यार दिखा। बात चाहे कोरोनाकाल में तीसरी लहर से बचाने के लिए पीकू वार्ड बनाने की हो या इसी महामारी में अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारियां अपने सिर उठाने की हो या फिर इसी साल 2023 में मासूम बच्चों की वेशभूषा और उनकी शिक्षा भाव था को दुरुस्त करने के लिए अभिभावकों के खाते में 1200 रुपए भेजने की हो, सीएम योगी का बच्चों के प्रति लगाव उनके हर दूसरे फैसले में दिख ही जाता है, और उससे जुड़ी हुई कई तस्वीरें भी अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल भी होती रहती हैं।
अफसरों के लिए सख्त तो बच्चों के लिए नरम स्वभाव के हैं सीएम योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सूबे के विभागीय के लिए दिख रहा बर्ताव जितना सख्त होता है, उससे कई गुना ज्यादा नरम स्वभाव मासूम बच्चों के लिए भी होता है। हालांकि, सीएम योगी और बच्चों के बीच इस रिश्ते की कहानी कोई नई नहीं है। इसका जीता-जागता उदाहरण कुछ साल पहले गोरखपुर में फैले इंसेफेलाइटिस रोग से जुड़ी तस्वीरों में भी साफ तौर पर दिख जाता है। कहा जाता है कि एक सांसद से मुख्यमंत्री तक का सफर करने के बीच उनके काम करने के तरीकों में तो बहुत बदलाव आया लेकिन गोरखपुर के सबसे चहेते सांसद के तौर पर उनका बच्चों के लिए जो लगाव पहले हुआ करता था, वहीं लगाव लगातार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में दौरे के दौरान हुई बच्चों से मुलाकात में भी दिख जाता है और बच्चों व सीएम योगी के बीच के इस अदृश्य रिश्ते का ही परिणाम थी कि प्रदेश में खासकर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताई जा रही कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले ही उससे मासूमों को सुरक्षित करने की सीएम योगी ने पूरी तैयारी कर ली थी।
जब हर साल जाती थी हजारों बच्चों की जान, तब सीएम योगी ने संभाली कमान
सीएम योगी और बच्चों के बीच जुड़ाव की ये कहानी कोई नई नहीं है। बल्कि, आज से 27 से 28 साल पहले बतौर सांसद यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को एक घातक महामारी से बचाने के लिए एक बड़ी जंग की शुरुआत की थी, जो उसके यूपी के सीएम बनने के बाद पूरी तरह सफल हुई। आपको बताते चलें कि गोरखपुर में बीते कुछ सालों पहले इंसेफेलाइटिस रोग जैसी घातक बीमारी के कारण हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती थी, इसी भीषण बीमारी के चलते जितने बच्चे मरते थे, उससे दुगुने मासूम बच्चे उम्रभर के लिए शारीरिक व मानसिक विकलांगता को झेलते थे।
सीएम योगी के संघर्षों ने बच्चों की मौतों पर लगाया ‘विराम’
गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस रोग जैसे मुद्दे को लेकर भीषण गर्मी के बीच तत्कालीन सांसद यानी मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुआई में सरकारी दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन होते थे। इतना ही नहीं, बच्चों के लड़ी जा रही इस जंग में सीएम योगी की क्या भूमिका थी, ये भी उस वक्त साफ हुई जब एक बार संसद में इस बात को रखते हुए मुख्यमंत्री योगी अत्यंत भावुक हुए थे। गोरखपुर के सांसद रहने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही सीएम योगी ने सबसे पहले इंसेफेलाइटिस रोग को खत्म करने पर जोर दिया और देखते ही देखते योगी की इस मुद्दे पर दिख रही सक्रियता ने इंसेफेलाइटिस रोग पर विराम लगा दिया। जिसका नतीजा ये हुआ कि 2016 से 2020 के बीच इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी से जूझ रहे बच्चों की संख्या 3911 से कम होकर 1624 पर आ गयी। साथ ही इस बीमारी से होने वाली बच्चों की मौतों की संख्या भी 641 से कम होकर 79 पर पहुंच गई। ये मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से बच्चों के लिए 2 दशक पहले शुरू हुए संघर्ष का ही परिणाम है, जिसके फल स्वरूप पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी खत्म होने की कगार पर आ गई है।
इंसेफेलाइटिस की तर्ज पर लड़ी कोरोना की लगाई, सीएम योगी के नेतृत्व की हर जगह हुई तारीफ
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से लिए गए फैसलों की तारीफ पूरे देश में हुई। बच्चों के लिए सबसे घातक बताई गई कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए भी सीएम योगी ने यूपी के भीतर ठीक वैसी ही तैयारियां की थीं, जैसी इंसेफेलाइटिस रोग को खत्म करने के लिए गोरखपुर में की गईं थीं। कोरोना की थर्ड वेव आने से पहले ही उससे लड़ने के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू वार्ड), मिनी पीकू वार्ड बनाए गए, प्रदेश के अस्पतालों में बेड और दवाइयों की उपलब्धता के साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई गई। इस दौरान बच्चों को इस महामारी से बचाने के लिए बच्चों के अभिभावकों का वैक्सीनेशन प्राथमिकता से किया गया और इसका परिणाम ये रहा कि बच्चों के लिए कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर इतनी तैयारी करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना।
कोविड में अनाथ हुए बच्चों का सहारा बने सीएम योगी, देखभाल के साथ ली शादी की जिम्मेदारी
सीएम योगी की ने बच्चों के प्रति संवेदनाएं रखते हुए शुरू की गई बाल सेवा योजना के तहत प्रदेश के बच्चों के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। योजना के तहत, महामारी से अनाथ हुए 10 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों की देखभाल के लिए प्रदेश सरकार की ओर से संचालित राजकीय बाल गृह (शिशु) में और अनाथ हुई बालिग बालिकाओं को भी राजकीय बाल गृह (बालिका) या कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (आवासीय) में रखा गया। इसके साथ ही बाल सेवा योजना’ के तहत महामारी के दौरान मासूम अनाथ हुए मासूम बच्चों के बालिग होने तक उनकी देखभाल करने वाले को 4 हजार रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। इतना ही नहीं, कोरोना के बीच अनाथ हुईं बालिकाओं के विवाह की दुरुस्त व्यवस्था के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने बालिकाओं की शादी के लिए 1,01,000 रुपए की राशि भी उपलब्ध कराई गई।
बेहतर शिक्षा देने के लिए बदली सरकारी स्कूलों की तस्वीर
उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं थी, लेकिन सीएम योगी के सत्ता में आने के बाद सबसे पहले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया। 2017 से पहले जिन सरकारी स्कूलों में बड़े बड़े पेड़, आवारा जानवर घास चरते हुए दिखाई देते थे, कहीं बच्चे थे शिक्षक नहीं या शिक्षक नजर आते थे बच्चे नहीं। सरकारी स्कूली की स्थिति के साथ बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए सीएम योगी ने 2017 में सरकार बनाने के बाद विशेष ऑपरेशन कायाकल्प जैसा अभियान चलाया और एक हद तक इन स्कूलों की तस्वीरों में सुधार लाए। जिसके परिणाम स्वरूप 2017 से पहले इन सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या जो 1 करोड़ 34 लाख तक पहुंच गई थी वो संख्या बढ़कर 1 करोड़ 91 लाख तक पहुंच गई।
गरीब मां बाप का सहारा बनकर बच्चों की स्कूली व्यवस्थाओं में किया सहयोग
अक्सर गरीबी के चलते माता पिता बच्चों की शिक्षा व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दे पाते, जिसके चलते उनके भविष्य को लेकर भी चिंताएं बढ़ जाती हैं। मां बाप की इसी चिंता को सीएम योगी ने भी अपना लिया, जिसके बाद साल 2023 के जुलाई माह में उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के स्कूल बैग, यूनिफॉर्म, जूते मोजे व स्टेशनरी के सामान के लिए सीएम योगी ने प्रति विद्यार्थी अभिभावकों के खाते में 1200 रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे, जिससे 1 करोड़ 91 लाख विद्यार्थी इससे लाभान्वित हुए।