Sambhal Jama Masjid: उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद का विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू पक्ष ने यहां श्री हरिहर मंदिर होने का दावा किया है। जिस पर स्थानीय कोर्ट ने एडवोकेट कमीशन जारी कर मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां 1529 में श्री हरिहर मंदिर मौजूद था। जिसे बाबर ने तोड़कर शाही जामा मस्जिद बना दिया।
बढ़ाई गई सुरक्षा
इस मस्जिद को संभल की ‘बाबरी मस्जिद’ भी कहा जाता है। संभल में कोर्ट के आदेश के बाद से ही सर्वे चल रहा है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जानकारी के अनुसार, यहां सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दो रास्ते बंद कर दिए गए हैं। मस्जिद की ओर जाने वाले मुख्य बाजार और कोटपूर्वी के रास्ते पर सुरक्षा बल तैनात कर इसे बंद किया गया है। यहां उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (यूपी-पीएसी) और रेपिड एक्शन फोर्स (RAF) की तैनाती कर दी गई है। साथ ही किसी भी तरह के वाहन के जाने पर रोक लगा दी है।
अब #संभल की जामा मस्जिद नयी “ज्ञानवापी” है
सुप्रीमकोर्ट के वकील विष्णुशंकर जैन ने संभल की सिविलकोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद श्रीहरीहर मंदिर है.
---विज्ञापन---1529 में बाबर ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी थी.
वकील साहब और उनके मुवक्किल पुन: यहां मंदिर देखना चाहते है pic.twitter.com/VjC2oFqidm
— Narendra Pratap (@hindipatrakar) November 19, 2024
ओवैसी ने उठाए सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिद में तुरंत सर्वे कराने के निर्देश पर सवाल उठाए। उन्होंने एक्स पर लिखा- बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद हिंदुत्व समूह पूरे भारत में मुस्लिम पूजा स्थलों को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। यूपी के संभल के चंदौसी में शाही जामा मस्जिद के मामले को देख सकते हैं। कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किए जाने के सिर्फ तीन घंटे के भीतर ही सिविल जज ने मस्जिद स्थल पर एक प्रारंभिक सर्वेक्षण का आदेश दिया।
The Babri Masjid judgement has emboldened Hindutva groups to target Muslim places of worship across India. Look at the case of Shahi Jama Masjid at Chandausi, Sambhal, UP. Within three hours of the application being submitted, the Civil Judge ordered an initial survey at the…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 20, 2024
जिससे पता लगाया जा सके कि मस्जिद निर्माण के लिए मंदिर को तोड़ा गया था या नहीं। इस आवेदन को सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार के स्थायी वकील ने दायर किया। सर्वेक्षण भी उसी दिन किया गया। इसी तरह दूसरे पक्ष को सुने बिना बाबरी के ताले भी अदालत के आदेश के एक घंटे के भीतर खोले गए।
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यह तेजी क्यों?
ओवैसी ने आगे कहा कि यह तेजी सामान्य मामलों में नहीं दिखाई जाती है। यदि अदालतें ऐसे आदेशों का पालन करना जारी रखती हैं, तो पूजा स्थल अधिनियम एक मृत पत्र मात्र है। अधिनियम का उद्देश्य ऐसे मुकदमों को पहले स्थान पर अदालतों तक पहुंचने से रोकना था। सैकड़ों वर्षों से एक मस्जिद को प्रेरित और सांप्रदायिक मुकदमों का विषय बनाया जा रहा है। अदालतों को इसे शुरू में ही रोकना चाहिए।
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What a victory for Hindus, what a victory! The reclamation of the Hari Har Mandir in Sambhal, destroyed by Babur, has begun with the survey underway!
Sambhal’s demographics have drastically changed, with 78% of the population now being “them”. I sincerely hope the UP Police… pic.twitter.com/Cd8VBjk3gI
— Abhishek Agarwal 🇮🇳 (@AbhishekOfficl) November 19, 2024
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मस्जिद कमेटी ने क्या कहा?
दूसरी ओर शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली ने भी इस मामले पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने न्यूज 18 इंडिया से कहा- सर्वे में अब तक मस्जिद के अंदर हिंदू मंदिर होने का कोई भी सबूत नहीं मिला है। मंदिर के अंदर मस्जिद बनाने की कोरी अफवाह फैलाई जा रही है। ऐसा आनन-फानन में चुनाव में ध्रुवीकरण की वजह से किया जा रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होनी है। जिसमें अपना पक्ष रखा जाएगा।
कल की बात है हमारे सम्भल की शाही जामा मस्जिद पर हिंदुओं का दावा दुपहर 1:30 बजे दरखास्त दी गई, ढाई घंटे में फैसला 4 घंटे में सर्वे मुकम्मल।
क्या आपने अदालत से लेकर प्रशासन तक ऐसी चुस्ती फुर्ती और तेजी कभी किसी और मामले में देखी है???#JamaMasjid #Sambhal #SambhalJamaMasjid pic.twitter.com/gw1ukML7g6
— Dr. Irfanulla 🇯🇴 (@DrIrfanulla) November 20, 2024
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यहां होगा कल्कि अवतार
बता दें कि हिंदू पक्ष की पैरवी विष्णु शंकर जैन कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी। ये वही मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के दशावतार में से कल्कि अवतार होना है। कोर्ट ने सर्वे के दौरान फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने के लिए कहा है।
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