उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक अभय सिंह को हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है। जानलेवा हमले के मामले में अभय सिंह को दोषमुक्त कर दिया गया है। इससे पहले 20 अप्रैल 2024 को मामले में दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था। लेकिन दोनों जजों के फैसलों में फर्क था। एक न्यायाधीश ने अभय सिंह को दोषी बताया था और दूसरे ने दोषमुक्त करार दिया था। इसके बाद मामला तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा गया था।
दो जजों के फैसले में फर्क, तीसरे जज ने दी बड़ी राहत
बता दें कि न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने अभय सिंह को दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी। वहीं, न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव ने सेशन कोर्ट की ओर से अभय सिंह को बरी किए जाने के फैसले को बरकरार रखा था। फैसलों में फर्क के चलते मामले को तीसरे जज की बेंच में भेजा गया था। जिसके बाद जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अपने फैसले में जस्टिस राजन रॉय ने क्या कहा?
आज राजन रॉय ने अभय सिंह को दोषमुक्त करार दिया। जस्टिस राजन रॉय की एकल पीठ ने दोपहर 4:10 बजे अपना फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति राजन राय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा है। एफआईआर में घटना का सटीक समय और हमलावरों की संख्या को लेकर विरोधाभास मिला है। उन्होंने कहा कि उपयोग किए गए हथियारों का स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया था। पीड़ित विकास सिंह के बयान कई बार बदले गए, जिससे संदेह की स्थिति बनी। कोर्ट ने इन्हीं आधारों पर अभय सिंह और उनके साथियों को दोषमुक्त कर दिया।
अभय सिंह पर क्या थे आरोप?
यह मामला अयोध्या के महाराजगंज थाने का है। साल 2010 में अयोध्या के महाराजगंज थाने में विकास सिंह ने अभय सिंह और उसके साथियों पर जानलेवा हमले करने का मामला दर्ज कराया था। बाद में मामले की सुनवाई अंबेडकर नगर कोर्ट में ट्रांसफर कर दी गई थी। 10 मई 2023 को अंबेडकर नगर की कोर्ट ने अभय सिंह व अन्य आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया था। इसके खिलाफ विकास सिंह ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील दाखिल की थी।
अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक हैं अभय सिंह
अभय सिंह अयोध्या की गोसाईगंज सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते थे। हालांकि, राज्यसभा चुनाव में उन्होंने बगावत कर दी थी और सपा की जगह भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद से उनकी गिनती सपा के बागी विधायकों में होती है। सपा की तरफ से उनकी सदस्यता को लेकर फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं की गई है, इसलिए फिलहाल वह सपा के ही विधायक हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से लेकर तमाम मौके पर वह भाजपा नेताओं के साथ ही दिखाई देते हैं।